24 October 2025 Current Affairs Download [PDF] | Daily GK Questions in Hindi

UPSC, SSC, RPSC, बैंकिंग और Sarkari परीक्षाओं के लिए 24 October 2025 के Current Affairs पढ़ें – एक क्लिक में FREE PDF डाउनलोड करें।

24 अक्टूबर 2025 Current Affairs in हिंदी Thumbnail PDF

24 October 2025 के टॉप करेंट अफेयर्स PDF फॉर्मेट में पढ़ें और FREE Latest Test Quiz देवें।

'माहे' की डिलीवरी – कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित पहला पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले पानी का जहाज

update on: 24 OCT 2025 04:49PM | राष्ट्रीय समाचार

INS Mahe ASW Shallow Water Craft by CSL Kochi

  • कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि द्वारा निर्मित आठ पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल शिल्प (ASW SWC) में से पहला ‘माहे’ भारतीय नौसेना को सौंपा गया।

  • पोत का नाम केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर ‘माहे’ के नाम पर रखा गया।

  • ‘माहे’ का स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण भारत की आत्मनिर्भर नौसैनिक क्षमता का उदाहरण है।

  • यह पोत तटीय जल में पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) के लिए पूरी तरह सुसज्जित है।

  • 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से निर्मित, ‘माहे’ आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।

भारतीय नौसेना को ‘माहे’ की डिलीवरी – एक ऐतिहासिक उपलब्धि

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि ने 23 अक्टूबर 2025 को भारतीय नौसेना को पहला पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल शिल्प (ASW SWC)माहे’ सौंप दिया। यह डिलीवरी भारत की स्वदेशी नौसैनिक निर्माण क्षमता में एक नया मील का पत्थर है।

‘माहे’ को पुडुचेरी के ऐतिहासिक समुद्री बंदरगाह शहर के नाम पर रखा गया है, जो भारत की समृद्ध समुद्री विरासत और तटीय परंपरा को दर्शाता है।

उन्नत डिज़ाइन और अत्याधुनिक तकनीक

सीएसएल द्वारा निर्मित यह जहाज पूरी तरह स्वदेशी डिज़ाइन पर आधारित है। इसकी लंबाई लगभग 78 मीटर और विस्थापन क्षमता लगभग 1,100 टन है। जहाज में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जो इसे समुद्र के भीतर युद्ध संचालन में सक्षम बनाते हैं।

  • टॉरपीडो और बहु-कार्यात्मक पनडुब्बी रोधी रॉकेट से सुसज्जित।
  • उन्नत रडार और सोनार प्रणाली से लैस, जो सटीक निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया में सक्षम बनाती है।
  • यह जहाज बारूदी सुरंग बिछाने की क्षमता रखता है, जो तटीय रक्षा को और मज़बूत करता है।

भारतीय नौसेना की शक्ति में वृद्धि

‘माहे’ के शामिल होने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह जहाज तटीय जलक्षेत्र में निगरानी, गश्त और रक्षा अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह डिलीवरी ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को नई दिशा प्रदान करती है।

स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

‘माहे’ में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है — जो भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र की प्रगति को दर्शाता है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने इस परियोजना के माध्यम से तकनीकी उत्कृष्टता, समयबद्ध डिलीवरी और गुणवत्ता नियंत्रण में अपनी क्षमता सिद्ध की है।

आठ एएसडब्ल्यू जहाजों की श्रृंखला का पहला पोत

‘माहे’ आठ ASW Shallow Water Craft की श्रृंखला का पहला पोत है, जिन्हें भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया जा रहा है। इन जहाजों का निर्माण सागर सुरक्षा, तटीय रक्षा और समुद्री निगरानी को और मज़बूत करेगा।

राष्ट्र की समुद्री शक्ति में नया अध्याय

‘माहे’ की डिलीवरी भारत की समुद्री सुरक्षा और रक्षा आत्मनिर्भरता के नए युग की शुरुआत है। यह पोत भारतीय नौसेना की उन क्षमताओं को और सशक्त करेगा जो हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

निष्कर्ष

‘माहे’ की डिलीवरी न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के स्वदेशी रक्षा निर्माण और आत्मनिर्भर नौसेना की दिशा में ऐतिहासिक कदम भी है। यह जहाज भविष्य के समुद्री अभियानों में भारत की रणनीतिक और तकनीकी बढ़त को सुदृढ़ करेगा।

मुख्य बिंदु: माहे, ASW SWC, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, भारतीय नौसेना, पनडुब्बी रोधी युद्धक जहाज, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी रक्षा निर्माण, तटीय सुरक्षा, मेक इन इंडिया, नौसैनिक आधुनिकीकरण।
📥 Free Test Serires Join करें!

प्रोजेक्ट अरुणांक (बीआरओ) ने 18वां स्थापना दिवस मनाया

update on: 24 OCT 2025 03:37PM | राष्ट्रीय समाचार

Project Arunank BRO 18th Raising Day Arunachal Pradesh

  • सीमा सड़क संगठन (BRO) की परियोजना अरुणांक ने नाहरलागुन, अरुणाचल प्रदेश में 18वां स्थापना दिवस मनाया।

  • 2008 में स्थापना के बाद से परियोजना ने 696 किलोमीटर सड़कें और 1.18 किलोमीटर प्रमुख पुल निर्मित व अनुरक्षित किए।

  • परियोजना ने 278 किलोमीटर हापोली–सरली–हुरी सड़क जैसी ऐतिहासिक परियोजनाएँ पूर्ण कीं, जो आज़ादी के बाद पहली बार पक्की बनी।

  • एक पेड़ माँ के नाम’ हरित पहल के तहत 23,850 पेड़ लगाए गए।

  • बीआरओ ने आकस्मिक वेतनभोगी श्रमिकों के लिए नए कल्याणकारी उपाय भी आरंभ किए।

स्थापना दिवस पर विकास और समर्पण का उत्सव

प्रोजेक्ट अरुणांक ने अपने 18वें स्थापना दिवस पर अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन में एक समारोह का आयोजन किया। यह अवसर भारत के सबसे दुर्गम भूभागों में 17 वर्षों की सेवा, समर्पण और नवाचार का प्रतीक रहा।

2008 में आरंभ की गई इस परियोजना ने सीमांत क्षेत्रों तक सड़क संपर्क स्थापित करते हुए सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं और स्थानीय नागरिकों की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों को पूरा किया है।

प्रमुख परियोजनाएँ और तकनीकी नवाचार

बीआरओ द्वारा संचालित प्रोजेक्ट अरुणांक ने कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ सफलतापूर्वक पूरी की हैं। इनमें उल्लेखनीय हैं:

  • हापोली–सरली–हुरी सड़क (278 किमी): पहली बार तारकोल से पक्की सड़क।
  • किमिन–पोटिन सड़क: 2021 में दोहरी लेन में अपग्रेड।
  • टीसीसी–ताकसिंग सड़क: 2025 में पूर्ण होने की दिशा में।
  • टीसीसी–माज़ा सड़क: नवंबर 2025 में उद्घाटन प्रस्तावित।

परियोजना में स्टील स्लैग, कट-एंड-कवर टनल, जियो सेल्स, प्लास्टिक शीट, जीजीबीएफएस कंक्रीट और गैबियन वॉल जैसी आधुनिक और टिकाऊ निर्माण तकनीकों को अपनाया गया है। इनसे सड़क निर्माण की गुणवत्ता, स्थायित्व और पर्यावरणीय स्थिरता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक पहल

एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत अरुणाचल प्रदेश में 23,850 पौधे लगाए गए, जिससे क्षेत्रीय हरियाली और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला। इसके साथ ही, नाहरलागुन–जोराम टॉप–संग्राम–जीरो मार्ग पर एक मोटरेबल अभियान आयोजित कर सड़क सुरक्षा जागरूकता को प्रोत्साहित किया गया।

श्रमिक कल्याण और सामाजिक सुरक्षा

स्थापना दिवस पर बीआरओ ने अपने आकस्मिक वेतनभोगी श्रमिकों के लिए नए कल्याणकारी उपायों की घोषणा की, जिनमें बेहतर आवास सुविधाएँ, सुरक्षा उपकरण और नियमित स्वास्थ्य शिविर शामिल हैं। यह पहल बीआरओ के “मानव-केंद्रित विकास” दृष्टिकोण को सशक्त बनाती है।

भविष्य की दिशा: कनेक्टिविटी और तकनीकी प्रगति

आने वाले वर्षों में प्रोजेक्ट अरुणांक का लक्ष्य है – सड़क चौड़ीकरण, पुल और सुरंग निर्माण के माध्यम से नागरिक और रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति करना।

भू-वस्त्र, ढलान स्थिरीकरण प्रणाली, डिजिटल मॉनिटरिंग उपकरण और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण पद्धतियों जैसी अत्याधुनिक तकनीकें अपनाकर बीआरओ स्थायित्व, सुरक्षा और दक्षता में नई ऊंचाइयाँ छूने की दिशा में अग्रसर है।

रणनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्व

अरुणाचल प्रदेश में सड़क निर्माण केवल सीमा सुरक्षा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापारिक संपर्क के नए अवसरों का भी सेतु बन गया है। बीआरओ की पहलें “सीमा विकास से भारत विकास” की अवधारणा को साकार कर रही हैं।

निष्कर्ष

प्रोजेक्ट अरुणांक भारत के उत्तर-पूर्वी सीमांत क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय एकीकरण और सतत विकास का प्रतीक है। अपने 18 वर्षों की इस यात्रा में परियोजना ने न केवल सड़कों का निर्माण किया है, बल्कि विश्वास, जुड़ाव और आत्मनिर्भरता की राह भी बनाई है।

मुख्य बिंदु: प्रोजेक्ट अरुणांक, सीमा सड़क संगठन, बीआरओ, अरुणाचल प्रदेश, हापोली सरली हुरी सड़क, सीमा विकास, सड़क निर्माण, हरित पहल, एक पेड़ माँ के नाम, सशस्त्र बल, ग्रामीण संपर्क, सतत विकास।

📥 Free Test Serires Join करें!

“सबकी योजना, सबका विकास” पर लोक सेवा जागरूकता फिल्म का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन आज से शुरू

update on: 24 OCT 2025 10:12AM | राष्ट्रीय समाचार

Sabki Yojana Sabka Vikas Awareness Film

  • जन योजना अभियान - सबकी योजना, सबका विकास पर आधारित दो मिनट की लोक सेवा जागरूकता (PSA) फिल्म का आज से राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन आरंभ।

  • फिल्म 24 अक्टूबर से 6 नवंबर 2025 तक देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी।

  • उद्देश्य – पंचायत विकास योजनाओं की तैयारी में जनभागीदारी और जागरूकता को बढ़ावा देना।

  • फिल्म प्रदर्शन लोक सेवा जागरूकता दिशानिर्देशों के अनुसार उन राज्यों में नहीं होगा जहां आदर्श आचार संहिता लागू है।

  • फिल्म फिल्म आरंभ से पहले और इंटरवल के अंतिम पाँच मिनट में दिखाई जाएगी।

जन योजना अभियान 2025-26: समावेशी विकास की दिशा में

जन योजना अभियान (People’s Plan Campaign - PPC) 2025-26 को 2 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में शुरू किया गया था। यह अभियान पंचायतों को साक्ष्य-आधारित और समावेशी पंचायत विकास योजनाएँ (Panchayat Development Plans) तैयार करने में सक्षम बनाता है, जो राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप स्थानीय प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं।

2018 में शुरू हुई यह पहल अब एक प्रमुख राष्ट्रीय अभियान बन चुकी है, जिसने जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को गहरा करने, भागीदारी योजना को संस्थागत बनाने और ग्रामीण स्वशासन की नींव को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।

ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर दर्ज उपलब्धियाँ

ई-ग्रामस्वराज पोर्टल के अनुसार, अब तक 18.13 लाख से अधिक पंचायत विकास योजनाएँ अपलोड की गई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ (GPDP)
  • ब्लॉक पंचायत विकास योजनाएँ (BPDP)
  • जिला पंचायत विकास योजनाएँ (DPDP)

फिल्म प्रदर्शन का उद्देश्य

इस राष्ट्रव्यापी फिल्म प्रदर्शन का लक्ष्य नागरिकों में यह संदेश फैलाना है कि स्थानीय शासन और विकास की दिशा तय करने में हर नागरिक की भूमिका अहम है। यह पहल पंचायती राज मंत्रालय की जनभागीदारी आधारित नीति को और मजबूत करेगी तथा ग्राम पंचायत स्तर पर विकास एजेंडा के निर्धारण में जनता की सहभागिता को बढ़ाएगी।

प्रधानमंत्री की दृष्टि से सामंजस्य

यह अभियान प्रधानमंत्री के “जनभागीदारी से जनकल्याण” और “सबकी योजना, सबका विकास” के दृष्टिकोण को साकार करता है। इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष 2026–27 के लिए पंचायत विकास योजनाओं की तैयारी में जनता को सक्रिय भागीदार बनाना है।

फिल्म प्रदर्शन की रूपरेखा

  • देशभर के सिनेमाघरों में 24 अक्टूबर से 6 नवंबर 2025 तक प्रदर्शन।
  • फिल्म की अवधि: लगभग 2 मिनट
  • प्रदर्शन समय: फिल्म शुरू होने से पहले और इंटरवल के अंतिम पाँच मिनट
  • जिन राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू है, वहाँ प्रदर्शन स्थगित रहेगा।

नागरिक सहभागिता और जागरूकता

इस लोक सेवा जागरूकता फिल्म के माध्यम से नागरिकों को स्थानीय शासन में सक्रिय भूमिका निभाने, पंचायत विकास योजनाओं में सुझाव देने और ग्राम सभाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह ग्रामीण भारत में सशक्त भागीदारी शासन (Participatory Governance) की दिशा में एक अहम कदम है।

निष्कर्ष

जन योजना अभियान – सबकी योजना, सबका विकास सरकार की उस नीति को मजबूत करता है जिसमें जनभागीदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही ग्रामीण शासन की बुनियाद हैं। यह अभियान भारत के हर नागरिक को यह संदेश देता है कि विकास की योजना केवल सरकार नहीं बनाती — हर नागरिक उसका सक्रिय भागीदार है।

मुख्य बिंदु: सबकी योजना सबका विकास, जन योजना अभियान, पंचायत विकास योजना, लोक सेवा जागरूकता फिल्म, ग्रामीण विकास, पंचायती राज मंत्रालय, ईग्रामस्वराज, नागरिक सहभागिता, जनभागीदारी, ग्राम पंचायत।

आयुष मंत्रालय और आईसीएमआर "आयुर्वेद के माध्यम से हेपेटोबिलरी वेलनेस" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की मेजबानी करेंगे

update on: 24 OCT 2025 04:07PM | राष्ट्रीय समाचार

National Symposium on Hepatobiliary Wellness through Ayurveda

  • आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) 25–26 अक्टूबर 2025 को भुवनेश्वर में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करेंगे।

  • विषय: “आयुर्वेद के माध्यम से हेपेटोबिलरी वेलनेस – पारंपरिक ज्ञान और समकालीन विज्ञान के बीच सेतु”

  • संगोष्ठी का उद्देश्य – आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।

  • थीम: “यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा” – यकृत-पित्त स्वास्थ्य के लिए एकीकृत दृष्टिकोण।

  • सीसीआरएएस-सीएआरआई और आईसीएमआर-आरएमआरसी द्वारा संयुक्त नेतृत्व।

साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा की दिशा में अग्रसर

आयुष मंत्रालय, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) और उसके केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (CARI), भुवनेश्वर के माध्यम से, आईसीएमआर और आरएमआरसी, भुवनेश्वर के सहयोग से 25–26 अक्टूबर 2025 को “आयुर्वेद के माध्यम से हेपेटोबिलरी वेलनेस” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा है।

इस संगोष्ठी का उद्देश्य यकृत और पित्त संबंधी स्वास्थ्य में आयुर्वेद और आधुनिक अनुसंधान के बीच वैज्ञानिक संवाद को सशक्त बनाना और एकीकृत, साक्ष्य-आधारित समाधान प्रस्तुत करना है।

विशेष विषय: "यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा"

संगोष्ठी का केंद्रीय विषय “यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा” (Protect the Liver, Protect Life) है, जो यह दर्शाता है कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से यकृत स्वास्थ्य व्यक्ति की समग्र प्रतिरक्षा और जीवन शक्ति से गहराई से जुड़ा हुआ है।

सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रो. रविनारायण आचार्य ने कहा कि “आयुर्वेदिक सिद्धांत यकृत-पित्त स्वास्थ्य के लिए एक समग्र ढांचा प्रदान करते हैं, जिसमें संतुलन, रोकथाम और प्राकृतिक पुनर्स्थापन पर बल दिया गया है।”

आईसीएमआर की दृष्टि – आधुनिक और पारंपरिक विज्ञान का संगम

आईसीएमआर की अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. संघमित्रा पति ने कहा कि “हेपेटोबिलरी विकार बहुआयामी होते हैं, जिनके समाधान के लिए बहु-विषयक सहयोग और नवाचार की आवश्यकता है। पारंपरिक अंतर्दृष्टि और आधुनिक विज्ञान का एकीकरण रोग प्रबंधन के लिए नए रास्ते खोल सकता है।”

संगोष्ठी के प्रमुख विषय और सत्र

दो दिवसीय कार्यक्रम में पाँच प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी:

  • आयुर्वेद आहार विज्ञान, दिनचर्या, ऋतुचर्या और पंचकर्म की भूमिका।
  • एनएएफएलडी, हेपेटाइटिस, यकृत सिरोसिस के वैज्ञानिक प्रबंधन पर सत्र।
  • आयुर्वेद योगों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और क्रियाविधि पर अनुसंधान।
  • “गट-लिवर एक्सिस” जैसे नवाचारों पर केंद्रित समेकित मॉडल।
  • आयुर्वेदिक औषधियों का आधुनिक चिकित्सा संस्थानों में एकीकरण।

इस संगोष्ठी में 58 वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ होंगी — 22 मौखिक और 36 पोस्टर — जो नैदानिक ​​अनुसंधान और अनुवाद संबंधी परिणामों पर केंद्रित होंगी।

एथनोमेडिसिन और पारंपरिक ज्ञान पर विशेष सत्र

हेपेटोबिलरी विकारों में एथनोमेडिसिन” पर एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें ओडिशा के 20 आदिवासी चिकित्सकों को सम्मानित किया जाएगा। यह पहल भारत की स्वदेशी चिकित्सा परंपराओं के संरक्षण के प्रति आयुष मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

सहयोगात्मक अनुसंधान के नए आयाम

सीसीआरएएस और आईसीएमआर द्वारा किए जा रहे सहयोगात्मक अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण प्रगति हुई है:

  • पिक्रोरिज़ा कुरोआ (कुटकी) और आयुष-पीटीके योगों पर प्री-क्लिनिकल अध्ययन – यकृत-सुरक्षात्मक प्रभाव साबित।
  • सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ के साथ सहयोग – एटीटी-प्रेरित यकृत विषाक्तता पर अध्ययन।
  • आरोग्यवर्धिनी वटी और पिप्पल्यासव पर नैदानिक ​​अध्ययन – एमएएसएलडी प्रबंधन में सकारात्मक परिणाम।
  • तपेदिक रोगियों में आयुष-पीटीके की प्रभावकारिता पर डबल-ब्लाइंड नियंत्रित अध्ययन जारी।

प्रतिभागी और विशेषज्ञ

कार्यक्रम में प्रमुख वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • प्रो. (डॉ.) आशुतोष विश्वास – कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ, एम्स भुवनेश्वर।
  • प्रो. सुब्रत कुमार आचार्य – प्रो-चांसलर, केआईआईएमएस भुवनेश्वर एवं कार्यकारी निदेशक, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, नई दिल्ली।
  • डॉ. शारदा ओटा – प्रभारी सहायक निदेशक, सीएआरआई भुवनेश्वर।
  • प्रो. मानस रंजन साहू, डॉ. एन. श्रीकांत, डॉ. अशोक बी.के., डॉ. राजेश कुमावत सहित अनेक प्रतिष्ठित शोधकर्ता।

वैज्ञानिक दृढ़ता और वैश्विक विश्वसनीयता की दिशा में

यह संगोष्ठी आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से मान्य करने, अनुसंधान में पारदर्शिता और आधुनिक चिकित्सा से सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान में अग्रणी भूमिका और भी मज़बूत होगी।

निष्कर्ष

“आयुर्वेद के माध्यम से हेपेटोबिलरी वेलनेस” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत की उस दूरदर्शी पहल का प्रतीक है, जिसमें पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम एक एकीकृत, साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा मॉडल की नींव रखता है। यह प्रयास न केवल यकृत-पित्त स्वास्थ्य में नई दिशा देगा बल्कि आयुर्वेद के वैज्ञानिक पुनर्पुष्टि का भी सशक्त उदाहरण बनेगा।

मुख्य बिंदु: आयुष मंत्रालय, आईसीएमआर, सीसीआरएएस, हेपेटोबिलरी स्वास्थ्य, यकृत सुरक्षा, आयुर्वेद संगोष्ठी, भुवनेश्वर, साक्ष्य आधारित चिकित्सा, एथनोमेडिसिन, आत्मनिर्भर अनुसंधान।
📥 Free Test Serires Join करें!

24 October 2025 से बनने वाले Current Affirs Questions

1. ‘INS माहे’ किस श्रेणी का पोत है?

A. माइन स्वीपर (Mine Sweeper)
B. पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल शिल्प (ASW Shallow Water Craft)
C. मिसाइल विध्वंसक पोत (Missile Destroyer Ship)
D. गश्ती नौका (Patrol Boat)

✅ उत्तर: B. पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल शिल्प (ASW Shallow Water Craft)

🧩 Explanation:
‘INS माहे’ भारतीय नौसेना के लिए निर्मित पहला ASW Shallow Water Craft है। इसका मुख्य कार्य तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बियों की खोज और नष्ट करना है।

2. ‘INS माहे’ का निर्माण किस संस्था द्वारा किया गया है?

A. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL)
B. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE)
C. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL)
D. हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL)

✅ उत्तर: C. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL)

🧩 Explanation:
‘INS माहे’ का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, कोच्चि द्वारा किया गया। CSL भारत की अग्रणी शिपबिल्डिंग कंपनियों में से एक है, जिसने इस पोत को स्वदेशी डिज़ाइन के साथ तैयार किया।

3. ‘INS माहे’ का नाम किस स्थान से प्रेरित है?

A. लक्षद्वीप
B. पुडुचेरी का माहे शहर
C. अंदमान द्वीप
D. कोचीन बंदरगाह

✅ उत्तर: B. पुडुचेरी का माहे शहर

🧩 Explanation:
पोत का नाम पुडुचेरी के ऐतिहासिक समुद्री शहर ‘माहे’ के नाम पर रखा गया है। यह भारत की समुद्री विरासत और तटीय परंपरा को दर्शाता है।

4. ‘INS माहे’ में कितने प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है?

A. 50%
B. 60%
C. 75%
D. 80% से अधिक

✅ उत्तर: D. 80% से अधिक

🧩 Explanation:
‘INS माहे’ में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का प्रयोग हुआ है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का उत्कृष्ट उदाहरण है।

5. ‘INS माहे’ की डिलीवरी भारतीय नौसेना को कब की गई?

A. 15 अगस्त 2025
B. 23 अक्टूबर 2025
C. 26 जनवरी 2025
D. 2 अक्टूबर 2025

✅ उत्तर: B. 23 अक्टूबर 2025

🧩 Explanation:
‘INS माहे’ की डिलीवरी 23 अक्टूबर 2025 को भारतीय नौसेना को की गई। यह आठ ASW जहाजों की श्रृंखला में पहला पोत है और भारत की नौसैनिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जा रहा है।

6. “प्रोजेक्ट अरुणांक” किस संगठन की परियोजना है?

A. भारतीय नौसेना (Indian Navy)
B. सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation - BRO)
C. भारतीय थलसेना इंजीनियर कोर
D. भारतीय वायुसेना निर्माण विभाग

✅ उत्तर: B. सीमा सड़क संगठन (BRO)

🧩 Explanation:
प्रोजेक्ट अरुणांक (Project Arunank), BRO की एक प्रमुख परियोजना है, जो अरुणाचल प्रदेश में सड़क और पुल निर्माण के माध्यम से सीमा क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और रक्षा बुनियादी ढांचे को सशक्त कर रही है।

7. प्रोजेक्ट अरुणांक ने वर्ष 2025 में कौन-सा स्थापना दिवस मनाया?

A. 10वां
B. 15वां
C. 18वां
D. 20वां

✅ उत्तर: C. 18वां

🧩 Explanation:
2008 में शुरू हुई परियोजना ने 24 अक्टूबर 2025 को अपना 18वां स्थापना दिवस नाहरलागुन, अरुणाचल प्रदेश में मनाया। यह अवसर परियोजना की 17 वर्षों की सेवा और समर्पण का प्रतीक था।

8. ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के तहत प्रोजेक्ट अरुणांक द्वारा कितने पौधे लगाए गए?

A. 12,000
B. 18,500
C. 23,850
D. 30,000

✅ उत्तर: C. 23,850

🧩 Explanation:
परियोजना ने “एक पेड़ माँ के नाम” हरित अभियान के तहत 23,850 पेड़ लगाए, जिससे पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा मिला — यह बीआरओ की सामाजिक-जिम्मेदारी पहल का हिस्सा है।

9. हापोली–सरली–हुरी सड़क, जो पहली बार पक्की बनी, उसकी कुल लंबाई कितनी है?

A. 150 किमी
B. 200 किमी
C. 278 किमी
D. 320 किमी

✅ उत्तर: C. 278 किमी

🧩 Explanation:
हापोली–सरली–हुरी सड़क (278 किमी) प्रोजेक्ट अरुणांक की ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह आज़ादी के बाद पहली बार पक्की सड़क बनी जिसने दुर्गम इलाकों को जोड़ा और स्थानीय जनता को विकास से जोड़ा।

10. प्रोजेक्ट अरुणांक का मुख्यालय (HQ) कहाँ स्थित है?

A. इटानगर
B. नाहरलागुन (Naharlagun)
C. जीरो (Ziro)
D. पासीघाट (Pasighat)

✅ उत्तर: B. नाहरलागुन (Naharlagun)**

🧩 Explanation:
प्रोजेक्ट अरुणांक का मुख्यालय नाहरलागुन, अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यहाँ से बीआरओ सीमांत क्षेत्रों की सड़क निर्माण परियोजनाओं का समन्वय और संचालन करता है।

11. ‘सबकी योजना, सबका विकास’ पर आधारित लोक सेवा जागरूकता फिल्म का प्रदर्शन किस अवधि में किया जा रहा है?

A. 2 अक्टूबर से 15 अक्टूबर 2025 तक
B. 24 अक्टूबर से 6 नवंबर 2025 तक
C. 1 नवंबर से 15 नवंबर 2025 तक
D. 10 अक्टूबर से 20 अक्टूबर 2025 तक

✅ उत्तर: B. 24 अक्टूबर से 6 नवंबर 2025 तक

🧩 Explanation:
यह दो मिनट की लोक सेवा जागरूकता फिल्म 24 अक्टूबर से 6 नवंबर 2025 तक देशभर के सिनेमाघरों में दिखाई जा रही है। इसका उद्देश्य जन योजना अभियान 2025-26 के अंतर्गत पंचायत योजनाओं में जनभागीदारी और जागरूकता को बढ़ावा देना है।

12. ‘जन योजना अभियान 2025-26’ किस मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है?

A. ग्रामीण विकास मंत्रालय
B. पंचायती राज मंत्रालय
C. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
D. सामाजिक न्याय मंत्रालय

✅ उत्तर: B. पंचायती राज मंत्रालय

🧩 Explanation:
जन योजना अभियान (People’s Plan Campaign), पंचायती राज मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य पंचायतों को साक्ष्य-आधारित और समावेशी पंचायत विकास योजनाएँ (PDPs) तैयार करने में सक्षम बनाना है।

13. जन योजना अभियान (PPC) पहली बार किस वर्ष आरंभ किया गया था?

A. 2014
B. 2016
C. 2018
D. 2020

✅ उत्तर: C. 2018

🧩 Explanation:
जन योजना अभियान (PPC) वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। यह अब एक राष्ट्रीय जनभागीदारी आंदोलन बन चुका है जो स्थानीय शासन, पारदर्शिता और नागरिक भागीदारी को मजबूत करता है।

14. ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर अब तक कितनी पंचायत विकास योजनाएँ अपलोड की जा चुकी हैं?

A. लगभग 10 लाख
B. लगभग 15 लाख
C. लगभग 18.13 लाख
D. लगभग 20 लाख

✅ उत्तर: C. लगभग 18.13 लाख

🧩 Explanation:
ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर अब तक 18.13 लाख से अधिक पंचायत विकास योजनाएँ अपलोड की जा चुकी हैं, जिनमें ग्राम, ब्लॉक और जिला पंचायत स्तर की योजनाएँ शामिल हैं।

15. फिल्म ‘सबकी योजना, सबका विकास’ का मुख्य उद्देश्य क्या है?

A. चुनाव प्रचार को बढ़ावा देना
B. ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़ाना
C. पंचायत योजनाओं में जनभागीदारी और जागरूकता बढ़ाना
D. ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करना

✅ उत्तर: C. पंचायत योजनाओं में जनभागीदारी और जागरूकता बढ़ाना

🧩 Explanation:
फिल्म का मुख्य उद्देश्य है — जन योजना अभियान के तहत नागरिकों को स्थानीय शासन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना, ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने क्षेत्र के विकास एजेंडा के निर्धारण में योगदान दे सके।

16: आयुष मंत्रालय और ICMR द्वारा आयोजित “आयुर्वेद के माध्यम से हेपेटोबिलरी वेलनेस” संगोष्ठी कब और कहाँ आयोजित की जाएगी?

A) 24–25 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली
B) 25–26 अक्टूबर 2025, भुवनेश्वर
C) 26–27 अक्टूबर 2025, मुंबई
D) 25–26 अक्टूबर 2025, चेन्नई

उत्तर: B) 25–26 अक्टूबर 2025, भुवनेश्वर

स्पष्टीकरण: समाचार के अनुसार, यह दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 25–26 अक्टूबर 2025 को भुवनेश्वर में आयोजित की जाएगी।


17. इस संगोष्ठी का केंद्रीय विषय (theme) क्या है?

A) यकृत सुरक्षा, जीवन रक्षा
B) आयुर्वेद और योग का एकीकरण
C) हृदय स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा
D) पारंपरिक चिकित्सा का प्रचार

उत्तर: A) यकृत सुरक्षा, जीवन रक्षा

स्पष्टीकरण: संगोष्ठी का मुख्य विषय है “यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा”, जो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से यकृत स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के संबंध को दर्शाता है।

18. संगोष्ठी में किन संस्थानों ने संयुक्त नेतृत्व किया है?

A) AIIMS और ICMR
B) CCRAS-CARI और ICMR-RMRC
C) CSIR-CDRI और Fortis Escorts
D) AYUSH मंत्रालय और WHO

उत्तर: B) CCRAS-CARI और ICMR-RMRC

स्पष्टीकरण: समाचार में स्पष्ट उल्लेख है कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का नेतृत्व CCRAS-CARI (भुवनेश्वर) और ICMR-RMRC (भुवनेश्वर) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

19. संगोष्ठी में विशेष रूप से किस विषय पर सत्र आयोजित किया गया है?

A) हृदय रोग
B) एथनोमेडिसिन और पारंपरिक ज्ञान
C) कैंसर अनुसंधान
D) दंत स्वास्थ्य

उत्तर: B) एथनोमेडिसिन और पारंपरिक ज्ञान

स्पष्टीकरण: “हेपेटोबिलरी विकारों में एथनोमेडिसिन” पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया है, जिसमें ओडिशा के आदिवासी चिकित्सकों को सम्मानित किया गया।


20. संगोष्ठी में कुल कितनी वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ होंगी?

A) 22
B) 36
C) 58
D) 100

उत्तर: C) 58

स्पष्टीकरण: समाचार के अनुसार, 58 वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ होंगी — जिनमें 22 मौखिक और 36 पोस्टर प्रस्तुतियाँ शामिल हैं।

21. आयुष-PTK योगों पर किए गए प्री-क्लिनिकल अध्ययन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

A) हृदय स्वास्थ्य में सुधार
B) यकृत-सुरक्षात्मक प्रभावों का मूल्यांकन
C) मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
D) कैंसर उपचार

उत्तर: B) यकृत-सुरक्षात्मक प्रभावों का मूल्यांकन

स्पष्टीकरण: संगोष्ठी में किए गए प्री-क्लिनिकल अध्ययन ने पिक्रोरिज़ा कुरोआ (कुटकी) और आयुष-PTK योगों के यकृत-सुरक्षात्मक प्रभाव को साबित किया।