भारत का स्वर्ण युग

गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी) को भारतीय इतिहास का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है। इस काल में भारत ने कला, साहित्य, विज्ञान, दर्शन और गणित के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की।

गुप्त साम्राज्य: एक परिचय

गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी शताब्दी ईस्वी के अंत में हुआ और यह चौथी से छठी शताब्दी तक भारत के अधिकांश भाग पर शासन करता रहा। इस साम्राज्य ने भारत को राजनीतिक एकता, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक विकास का एक नया युग प्रदान किया।

महत्वपूर्ण तथ्य

काल: 320-550 ईस्वी

क्षेत्र: उत्तर भारत और मध्य भारत

संस्थापक: श्री गुप्त

राजधानी: पाटलिपुत्र

उपाधि: भारत का स्वर्ण युग

गुप्त शासकों का क्रम

शासक शासनकाल महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ स्रोत
श्री गुप्त 240-280 ई. गुप्त वंश का संस्थापक प्रयाग प्रशस्ति
घटोत्कच 280-319 ई. साम्राज्य का विस्तार वायु पुराण
चंद्रगुप्त प्रथम 319-335 ई. महाराजाधिराज की उपाधि, गुप्त संवत् का प्रारंभ सिक्के, लेख
समुद्रगुप्त 335-375 ई. भारत का नेपोलियन, प्रयाग प्रशस्ति प्रयाग प्रशस्ति, सिक्के
चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) 375-415 ई. नवरत्न, सांस्कृतिक विकास, शकों पर विजय मेहरौली लौह स्तंभ, सिक्के
कुमारगुप्त प्रथम 415-455 ई. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना सिक्के, मंदिर निर्माण
स्कंदगुप्त 455-467 ई. हूणों के आक्रमण का सामना भीतरी स्तंभ लेख, सिक्के

प्रमुख गुप्त शासक

चंद्रगुप्त प्रथम (319-335 ई.)

शासनकाल: 319-335 ई.
उपाधि: महाराजाधिराज
वैवाहिक गठबंधन: लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी
संवत्: गुप्त संवत् का प्रारंभ (319-320 ई.)
प्रमुख उपलब्धियाँ
  • महाराजाधिराज की उपाधि धारण करने वाले पहले गुप्त शासक
  • लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह
  • गुप्त संवत् का प्रारंभ
  • सोने के सिक्कों का प्रचलन
  • साम्राज्य विस्तार की नींव रखी

समुद्रगुप्त (335-375 ई.)

शासनकाल: 335-375 ई.
उपाधि: भारत का नेपोलियन
प्रशस्ति: प्रयाग प्रशस्ति (हरिषेण द्वारा रचित)
रुचि: संगीत और कविता
प्रमुख उपलब्धियाँ
  • उत्तर भारत के 9 राज्यों पर विजय (दिग्विजय)
  • दक्षिण भारत के 12 राज्यों पर विजय
  • सीमावर्ती राज्यों और गणतंत्रों पर अधिकार
  • अश्वमेध यज्ञ का आयोजन
  • प्रयाग प्रशस्ति में उपलब्धियों का वर्णन

समुद्रगुप्त को 'भारत का नेपोलियन' कहा जाता है क्योंकि उसने एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया। उसकी उपलब्धियों का वर्णन प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है जो उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित है। समुद्रगुप्त स्वयं एक कुशल संगीतकार और कवि था।

चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य (375-415 ई.)

शासनकाल: 375-415 ई.
उपाधि: विक्रमादित्य
नवरत्न: 9 विद्वान दरबारी
विजय: शकों पर विजय
प्रमुख उपलब्धियाँ
  • शकों पर विजय और 'शकारि' की उपाधि
  • वैवाहिक गठबंधनों द्वारा साम्राज्य विस्तार
  • नवरत्नों का दरबार स्थापित किया
  • सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विकास को प्रोत्साहन
  • मेहरौली का लौह स्तंभ निर्माण

चंद्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है। उसने शकों को पराजित कर पश्चिमी भारत पर अधिकार किया। उसके दरबार में नवरत्न (9 विद्वान) थे जिनमें कालिदास, वराहमिहिर, आर्यभट्ट आदि प्रमुख थे। इस काल को भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है।

नवरत्न - चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार के नौ रत्न

गुप्त काल की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ

कला और स्थापत्य

  • अजंता और एलोरा की गुफाएँ
  • देवगढ़ और भितरगाँव के मंदिर
  • विष्णु, शिव और दुर्गा की मूर्तियाँ
  • नागर शैली का विकास
  • गुप्त कालीन मूर्तिकला का स्वर्ण युग

साहित्य

  • कालिदास: अभिज्ञानशाकुन्तलम्, मेघदूत
  • विशाखादत्त: मुद्राराक्षस
  • शूद्रक: मृच्छकटिकम्
  • अमरसिंह: अमरकोश
  • वराहमिहिर: बृहत्संहिता

विज्ञान और गणित

  • आर्यभट्ट: आर्यभटीय, शून्य और दशमलव प्रणाली
  • वराहमिहिर: खगोलशास्त्र और ज्योतिष
  • ब्रह्मगुप्त: ब्रह्मस्फुटसिद्धांत
  • धन्वंतari: आयुर्वेद
  • सुश्रुत: सुश्रुत संहिता (शल्य चिकित्सा)

शिक्षा

  • नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना
  • तक्षशिला और विक्रमशिला विश्वविद्यालय
  • वेदों और उपनिषदों का अध्ययन
  • विज्ञान और गणित की शिक्षा
  • विदेशी छात्रों का आगमन

गुप्त साम्राज्य का पतन

गुप्त साम्राज्य का पतन छठी शताब्दी के मध्य में शुरू हुआ और सातवीं शताब्दी तक यह पूरी तरह समाप्त हो गया।

पतन के कारण

  • हूणों का आक्रमण
  • कमजोर उत्तराधिकारी
  • सामंतों का विद्रोह
  • आर्थिक संकट
  • प्रशासनिक कमजोरी

पतन के परिणाम

  • क्षेत्रीय राज्यों का उदय
  • सांस्कृतिक गतिविधियों में कमी
  • आर्थिक मंदी
  • विदेशी आक्रमणों में वृद्धि
  • राजनीतिक अराजकता

गुप्तोत्तर राज्य

गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद निम्नलिखित राज्यों का उदय हुआ:

  • मौखरि वंश: कन्नौज क्षेत्र
  • मैत्रक वंश: वल्लभी क्षेत्र
  • पुष्यभूति वंश: थानेश्वर क्षेत्र
  • गौड़ वंश: बंगाल क्षेत्र
  • हर्षवर्धन का साम्राज्य: उत्तर भारत

गुप्त साम्राज्य: परीक्षा उपयोगी तथ्य

महत्वपूर्ण तथ्य

गुप्त संवत् का प्रारंभ: 319-320 ई.

महाराजाधिराज उपाधि: चंद्रगुप्त प्रथम

प्रयाग प्रशस्ति: समुद्रगुप्त

नवरत्न: चंद्रगुप्त विक्रमादित्य

नालंदा विश्वविद्यालय: कुमारगुप्त प्रथम

ज्ञान परीक्षण

1. गुप्त संवत् का प्रारंभ किस शासक ने किया?
समुद्रगुप्त
चंद्रगुप्त प्रथम
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
स्कंदगुप्त
2. 'भारत का नेपोलियन' किस गुप्त शासक को कहा जाता है?
चंद्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
कुमारगुप्त
3. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किस गुप्त शासक ने की?
समुद्रगुप्त
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य
कुमारगुप्त प्रथम
स्कंदगुप्त