मुगल साम्राज्य: एक परिचय
मुगल साम्राज्य भारत के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है जो 1526 ईस्वी से 1857 ईस्वी तक चला। इस साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की थी और इसने भारत के इतिहास, संस्कृति, कला और स्थापत्य पर अमिट छाप छोड़ी। मुगल साम्राज्य ने भारत को एकीकृत करने और एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण
मुगल साम्राज्य का विषय UPSC, RPSC, SSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। इस अध्याय से प्रश्न राजनीतिक इतिहास, प्रशासनिक व्यवस्था, सांस्कृतिक विकास, अर्थव्यवस्था और स्थापत्य कला से संबंधित होते हैं।
प्रमुख मुगल सम्राट
मुगल साम्राज्य में कई महान शासक हुए, जिन्होंने भारत के इतिहास को नई दिशा दी। इनमें से छह प्रमुख सम्राटों ने साम्राज्य को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया।
बाबर (1526-1530 ई.)
मुगल साम्राज्य का संस्थापक
जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर, जिसे बाबर के नाम से जाना जाता है, ने 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को पराजित कर मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
हुमायूँ (1530-1540, 1555-1556 ई.)
द्वितीय मुगल सम्राट
नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ ने दो बार शासन किया। शेरशाह सूरी ने उसे पराजित करके 1540-1555 तक शासन किया, लेकिन हुमायूँ ने फारस की सहायता से पुनः सिंहासन प्राप्त किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
अकबर (1556-1605 ई.)
महानतम मुगल सम्राट
जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर मुगल साम्राज्य का सबसे महान सम्राट माना जाता है। उसने साम्राज्य का विस्तार किया और धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
जहाँगीर (1605-1627 ई.)
चौथा मुगल सम्राट
नूरुद्दीन मुहम्मद सलीम, जिसे जहाँगीर के नाम से जाना जाता है, ने न्याय की श्रृंखला लगवाई और कला एवं साहित्य को संरक्षण दिया।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
शाहजहाँ (1628-1658 ई.)
स्थापत्य कला का सम्राट
शहाबुद्दीन मुहम्मद खुर्रम, जिसे शाहजहाँ के नाम से जाना जाता है, ने भारत की सबसे खूबसूरत इमारतों का निर्माण करवाया।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
औरंगजेब (1658-1707 ई.)
अंतिम महान मुगल सम्राट
मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब ने सबसे लंबे समय तक शासन किया। उसने इस्लामी कानूनों को कठोरता से लागू किया और साम्राज्य का अधिकतम विस्तार किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
प्रशासनिक व्यवस्था
मुगल साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था अत्यंत विकसित और केंद्रीकृत थी। अकबर ने इसमें महत्वपूर्ण सुधार किए और एक सुदृढ़ प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया।
केंद्रीय प्रशासन
- बादशाह: सर्वोच्च शासक और सेनापति
- वकील: प्रधानमंत्री
- दीवान: वित्त मंत्री
- मीर बख्शी: सैन्य अधिकारी
- सद्र-उस-सुदूर: धार्मिक मामलों का प्रमुख
- काजी-उल-कुजात: प्रधान न्यायाधीश
- मीर समन: शाही घरेलू विभाग का प्रमुख
प्रांतीय प्रशासन
- सूबेदार: प्रांत का गवर्नर
- दीवान: प्रांतीय वित्त अधिकारी
- बख्शी: प्रांतीय सैन्य अधिकारी
- सद्र: प्रांतीय धार्मिक अधिकारी
- कोतवाल: शहर का प्रशासनिक अधिकारी
- काजी: प्रांतीय न्यायाधीश
मनसबदारी प्रथा
अकबर द्वारा शुरू की गई मनसबदारी प्रथा मुगल प्रशासन की रीढ़ थी। इस प्रथा के अंतर्गत सैनिक और असैनिक अधिकारियों को 'जात' और 'सवार' के आधार पर पद दिए जाते थे। जात व्यक्तिगत पद और वेतन निर्धारित करती थी, जबकि सवार घुड़सवार सैनिकों की संख्या निर्धारित करती थी। यह प्रथा सैनिक और असैनिक सेवाओं के बीच अंतर समाप्त करती थी।
अर्थव्यवस्था
मुगल काल में भारत की अर्थव्यवस्था समृद्ध थी और कृषि, व्यापार तथा उद्योग इसके प्रमुख आधार थे। मुगलों ने एक विकसित भू-राजस्व प्रणाली स्थापित की।
अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्रोत
कृषि
मुख्य आजीविका और राजस्व स्रोत
व्यापार
आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
शिल्प
वस्त्र, धातु और कागज उद्योग
कर प्रणाली
जकात, खराज, जजिया कर
भू-राजस्व प्रणाली
मुगल काल में तीन प्रमुख भू-राजस्व प्रणालियाँ प्रचलित थीं - जब्ती प्रणाली (उपज का अनुमान), कंकुट प्रणाली (उपज का मापन), और बटाई प्रणाली (उपज का बँटवारा)। अकबर के वित्तमंत्री टोडरमल ने 'दहसाला बंदोबस्त' या 'ज़ब्ती प्रणाली' को संगठित रूप दिया, जिसमें भूमि की पैमाइश, उपज का अनुमान और भू-राजस्व का निर्धारण किया जाता था।
Samaj aur Sanskriti (समाज और संस्कृति)
मुगल काल में भारतीय समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों का समन्वय हुआ और एक नई मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ।
सांस्कृतिक स्वर्ण युग
मुगल काल को भारत का सांस्कृतिक स्वर्ण युग कहा जाता है। इस दौरान साहित्य, कला, संगीत और स्थापत्य कला ने अभूतपूर्व उन्नति की।
Sahitya (साहित्य)
अबुल फजल - आइन-ए-अकबरी, अकबरनामा
फैजी - फारसी कविताएँ
अब्दुल कादिर बदायूँनी - मुंतखब-उत-तवारीख
तानसेन - संगीत ग्रंथ
सूरदास, तुलसीदास - हिंदी साहित्य
Chitrakala (चित्रकला)
मुगल चित्रकला शैली का विकास
प्रकृतिवाद और यथार्थवाद
लघु चित्रों का विकास
हिंदू और फारसी शैलियों का समन्वय
प्रसिद्ध चित्रकार: दसवंत, बसावन
Sangeet (संगीत)
तानसेन - संगीत सम्राट
बैजू बावरा - प्रसिद्ध संगीतकार
ध्रुपद और खयाल शैली का विकास
वाद्ययंत्र: सितार, सरोद, तबला
संगीत की 36 मेलों का वर्गीकरण
Sathapatya Kala (स्थापत्य कला)
मुगल स्थापत्य कला भारतीय और फारसी शैलियों का अद्भुत समन्वय है। मुगलों ने भारत में कुछ सबसे खूबसूरत इमारतों का निर्माण करवाया।
Taj Mahal (ताजमहल)
शाहजहाँ द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया गया संगमरमर का मकबरा। विश्व के सात आश्चर्यों में से एक।

Lal Kila (लाल किला)
शाहजहाँ द्वारा निर्मित लाल बलुआ पत्थर का किला। मुगल साम्राज्य की शक्ति और वैभव का प्रतीक।

Fatehpur Sikri (फतेहपुर सीकरी)
अकबर द्वारा निर्मित लाल बलुआ पत्थर का शहर। बुलंद दरवाजा, जामा मस्जिद और सलीम चिश्ती की दरगाह यहाँ स्थित हैं।
स्थापत्य की विशेषताएँ
मुगल स्थापत्य कला में चारबाग शैली, दोहरे गुम्बज, बुलंद दरवाजे, मेहराब और मीनारों का प्रयोग किया गया। इमारतों में लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग हुआ। सजावट के लिए पच्चीकारी, जड़ाऊ कार्य, अरबesque डिजाइन और कुरान की आयतों का प्रयोग किया गया। मुगलों ने बागों, मकबरों, मस्जिदों और महलों का निर्माण करवाया।
मुगल साम्राज्य का पतन
मुगल साम्राज्य का पतन कई कारणों से हुआ, जिनमें आंतरिक कमजोरियाँ, प्रशासनिक दोष और बाहरी आक्रमण प्रमुख थे।
पतन के कारण
- कमजोर उत्तराधिकारी
- प्रशासनिक अक्षमता
- औरंगजेब की धार्मिक नीतियाँ
- आर्थिक संकट
- मराठों और सिखों का उदय
- यूरोपीय शक्तियों का प्रवेश
पतन के परिणाम
- भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना
- क्षेत्रीय राज्यों का स्वतंत्र होना
- भारत में नई सांस्कृतिक धाराओं का प्रवेश
- प्रशासनिक व्यवस्था में परिवर्तन
- अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन
1857 का विद्रोह और मुगल साम्राज्य का अंत
1857 के विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। इस विद्रोह में बहादुर शाह जफर को भारत का सम्राट घोषित किया गया, लेकिन विद्रोह की विफलता के बाद अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार कर रंगून निर्वासित कर दिया और औपचारिक रूप से मुगल साम्राज्य का अंत घोषित कर दिया। इसके साथ ही भारत में मुगल शासन का अंत हो गया और ब्रिटिश राज की स्थापना हुई।
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