मुगल काल में राजस्थान का परिचय
मुगल काल (1526-1857 ई.) में राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए। इस काल में राजपूत शासकों और मुगल सम्राटों के बीच संबंधों ने राजस्थान की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया। बाबर के आगमन से लेकर औरंगजेब की मृत्यु तक, राजस्थान के राजपूत शासकों ने मुगलों के साथ विभिन्न प्रकार के संबंध स्थापित किए।
अकबर की राजपूत नीति ने मुगल-राजपूत संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा, जबकि औरंगजेब की कट्टर नीति ने इन संबंधों में दरार पैदा की।
मुगल सम्राट और उनकी राजपूत नीति
1. बाबर (1526-1530 ई.)
बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की। उसने खानवा के युद्ध (1527 ई.) में राणा सांगा को पराजित किया। बाबर की राजपूत नीति सैन्य विजय पर केंद्रित थी।
परीक्षा उपयोगी तथ्य
खानवा का युद्ध (17 मार्च, 1527) बाबर और राणा सांगा के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई।
बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में राजपूतों की वीरता का उल्लेख किया है।
2. हुमायूँ (1530-1540, 1555-1556 ई.)
हुमायूँ के शासनकाल में मुगल-राजपूत संबंध तनावपूर्ण रहे। शेरशाह सूरी के विरुद्ध संघर्ष में हुमायूँ को राजपूतों का सहयोग नहीं मिला।
3. अकबर (1556-1605 ई.)
अकबर ने राजपूतों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने की नीति अपनाई। उसने राजपूत शासकों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किए और उन्हें मुगल दरबार में उच्च पद दिए।
| राजपूत शासक | संबंध | मुगल दरबार में पद |
|---|---|---|
| राजा भारमल (आमेर) | अकबर की पत्नी के पिता | 5000 की मनसबदारी |
| राजा मानसिंह (आमेर) | अकबर का विश्वासपात्र | 7000 की मनसबदारी, सेनापति |
| राजा भगवंत दास (आमेर) | अकबर का ससुर | 5000 की मनसबदारी |
| मोटा राजा उदयसिंह (मारवाड़) | अकबर का सहयोगी | 5000 की मनसबदारी |
4. जहाँगीर (1605-1627 ई.)
जहाँगीर ने अकबर की राजपूत नीति को जारी रखा। उसने मेवाड़ के राणा अमरसिंह के साथ संधि की, जिससे लंबे समय तक चले संघर्ष का अंत हुआ।
5. शाहजहाँ (1627-1658 ई.)
शाहजहाँ के काल में राजपूत-मुगल संबंध मधुर रहे। उसने राजपूत शासकों को उच्च पद दिए और उनके साथ अच्छे संबंध बनाए रखे।
6. औरंगजेब (1658-1707 ई.)
औरंगजेब की कट्टर धार्मिक नीति के कारण मुगल-राजपूत संबंध बिगड़े। उसने राजपूत शासकों पर अनेक प्रतिबंध लगाए, जिससे संघर्ष उत्पन्न हुआ।
महत्वपूर्ण युद्ध और घटनाएँ
खानवा का युद्ध
बाबर ने राणा सांगा को पराजित किया
हरमाड़ा का युद्ध
मालदेव और मुगल सेना के बीच युद्ध
अकबर-भारमल संधि
आमेर और मुगल साम्राज्य के बीच मैत्री संधि
चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण
अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर कब्जा किया
हल्दीघाटी का युद्ध
अकबर और महाराणा प्रताप के बीच युद्ध
मुगल-मेवाड़ संधि
जहाँगीर और राणा अमरसिंह के बीच संधि
जजिया कर पुन: लागू
औरंगजेब ने जजिया कर पुन: लागू किया
परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की सेना का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर: मानसिंह और आसफ खाँ
प्रश्न: अकबर ने किस राजपूत शासक की पुत्री से विवाह किया?
उत्तर: राजा भारमल (आमेर)
प्रश्न: औरंगजेब ने जजिया कर कब पुन: लागू किया?
उत्तर: 1679 ई.
प्रमुख राजपूत शासक और उनका मुगलों के साथ संबंध
1. मानसिंह (आमेर)
मानसिंह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उन्हें 7000 की मनसबदारी प्राप्त थी और वे बंगाल, बिहार और उड़ीसा के सूबेदार रहे। मानसिंह ने अकबर के लिए कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े।
2. महाराणा प्रताप (मेवाड़)
महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और हल्दीघाटी के युद्ध (1576 ई.) में उसका सामना किया। उन्होंने जीवन भर मुगलों के विरुद्ध संघर्ष किया।
3. रायसिंह (बीकानेर)
रायसिंह ने अकबर की अधीनता स्वीकार की और उन्हें 5000 की मनसबदारी प्राप्त हुई। वे अकबर के विश्वासपात्र सेनापतियों में से एक थे।
4. जसवंत सिंह (मारवाड़)
जसवंत सिंह शाहजहाँ और औरंगजेब के शासनकाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें औरंगजेब ने काबुल का सूबेदार नियुक्त किया था।
5. दुर्गादास राठौड़ (मारवाड़)
दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब के विरुद्ध संघर्ष किया और मारवाड़ की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने अजीत सिंह को मारवाड़ का शासक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुगल काल में राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत
मुगल काल में राजस्थान की कला, स्थापत्य और संस्कृति ने नए आयाम प्राप्त किए। मुगल और राजपूत शैली का समन्वय होने से एक विशिष्ट शैली का विकास हुआ।
स्थापत्य कला
- आमेर का किला: मानसिंह द्वारा निर्मित, मुगल और राजपूत शैली का उत्कृष्ट उदाहरण
- जयपुर शहर: जयसिंह द्वारा स्थापित, वास्तुकला का अनूठा नमूना
- दिलवाड़ा जैन मंदिर: सफेद संगमरमर से निर्मित सुप्रसिद्ध मंदिर
- बीकानेर का जूनागढ़ किला: रायसिंह द्वारा निर्मित
चित्रकला
मुगल काल में राजस्थानी चित्रकला की विभिन्न शैलियों का विकास हुआ:
- मेवाड़ शैली: सबसे प्राचीन शैली, जिसमें धार्मिक विषयों को चित्रित किया गया
- मारवाड़ शैली: जोधपुर और बीकानेर में विकसित, जिसमें गहरे रंगों का प्रयोग हुआ
- हाड़ौती शैली: कोटा और बूंदी में विकसित, जिसमें शिकार के दृश्यों को चित्रित किया गया
- किशनगढ़ शैली: निहालचंद द्वारा विकसित, जिसमें भक्ति और श्रृंगार के चित्र बनाए गए
साहित्य
- राजा मानसिंह ने संगीत की पुस्तक 'मानकुतूहल' की रचना की
- महाराणा कुम्भा ने 'संगीतराज' और 'सूडप्रबंध' ग्रंथों की रचना की
- बीकानेर के राजा रायसिंह ने 'रायसिंह महोत्सव' की रचना की
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण नोट्स
मुगल-राजपूत संधियाँ
• 1562 ई. - अकबर और भारमल (आमेर)
• 1569 ई. - अकबर और रायसिंह (बीकानेर)
• 1570 ई. - अकबर और उदयसिंह (मारवाड़)
• 1615 ई. - जहाँगीर और अमरसिंह (मेवाड़)
महत्वपूर्ण तिथियाँ
• 1527 ई. - खानवा का युद्ध
• 1557 ई. - हरमाड़ा का युद्ध
• 1568 ई. - चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण
• 1576 ई. - हल्दीघाटी का युद्ध
• 1679 ई. - जजिया कर पुन: लागू
मुगल दरबार में प्रमुख राजपूत
• राजा मानसिंह - 7000 की मनसबदारी
• राजा भगवंत दास - 5000 की मनसबदारी
• रायसिंह - 5000 की मनसबदारी
• मोटा राजा उदयसिंह - 5000 की मनसबदारी
मुगल कालीन प्रमुख किले
• आमेर का किला - जयपुर
• जूनागढ़ किला - बीकानेर
• मेहरानगढ़ किला - जोधपुर
• चित्तौड़गढ़ किला - चित्तौड़गढ़