भारत का संविधान: एक परिचय
भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानूनी दस्तावेज है जो सरकार के मौलिक राजनीतिक सिद्धांतों, प्रक्रियाओं, अधिकारों, निर्देशक सिद्धांतों, प्रतिबंधों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है। यह विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है जिसमें एक प्रस्तावना, 470 अनुच्छेद (जो 25 भागों में विभाजित हैं) और 12 अनुसूचियाँ शामिल हैं।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
"हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"
संविधान के मुख्य तथ्य
प्रमुख विशेषताएँ
- विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान
- लचीला और कठोर संविधान का मिश्रण
- संघात्मक व्यवस्था के साथ एकात्मक झुकाव
- वयस्क मताधिकार पर आधारित लोकतंत्र
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- मौलिक अधिकार और कर्तव्य
संविधान का इतिहास और विकास
भारतीय संविधान का विकास ब्रिटिश शासन के दौरान कई अधिनियमों और संवैधानिक दस्तावेजों के माध्यम से हुआ। संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना (1946) के तहत हुआ था, जिसने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों में संविधान का निर्माण किया।
एम.एन. रॉय द्वारा संविधान सभा के गठन का विचार प्रस्तुत किया गया
कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा का गठन हुआ (9 दिसंबर, 1946)
22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया
26 नवंबर, 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ और भारत गणराज्य बना
महत्वपूर्ण तथ्य
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जो बाद में भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने। संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे, जिन्हें "भारतीय संविधान के जनक" के रूप में जाना जाता है।
संविधान के स्रोत
भारतीय संविधान विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों से प्रेरणा लेकर बनाया गया है, जिसमें सबसे अधिक प्रभाव ब्रिटिश संविधान का है।
स्रोत | विशेषताएँ |
---|---|
ब्रिटेन | संसदीय शासन प्रणाली, एकल नागरिकता, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली |
अमेरिका | मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता |
आयरलैंड | राज्य के नीति निर्देशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति |
कनाडा | संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना |
ऑस्ट्रेलिया | प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान |
जर्मनी | आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन |
दक्षिण अफ्रीका | संविधान संशोधन की प्रक्रिया |
फ्रांस | गणतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श |
संविधान की प्रमुख विशेषताएँ
लिखित और विस्तृत
विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान
लचीला और कठोर
कुछ प्रावधान साधारण बहुमत से बदले जा सकते हैं
संघात्मक व्यवस्था
केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन
लोकतांत्रिक गणराज्य
वयस्क मताधिकार पर आधारित लोकतंत्र
संसदीय शासन प्रणाली
कार्यपालिका का विधायिका के प्रति उत्तरदायित्व
एकीकृत न्यायपालिका
सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण
संविधान की अनूठी विशेषताएँ
- मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व
- धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत
- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
- त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था
- स्वतंत्र निर्वाचन आयोग
मौलिक अधिकार (भाग III, अनुच्छेद 12-35)
मौलिक अधिकार संविधान के भाग III में वर्णित हैं जो व्यक्ति के मूल अधिकारों की रक्षा करते हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
मौलिक अधिकारों के प्रकार
- समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
महत्वपूर्ण अनुच्छेद
- अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता
- अनुच्छेद 19: वाक् स्वतंत्रता आदि का अधिकार
- अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 21A: शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 32: संवैधानिक उपचारों का अधिकार
अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
"किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।"
सर्वोच्च न्यायालय ने इस अनुच्छेद की व्याख्या विस्तृत रूप से की है और इसमें जीवन जीने का अधिकार, गरिमापूर्ण जीवन, स्वच्छ पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि को शामिल किया है।
नीति निर्देशक तत्व (भाग IV, अनुच्छेद 36-51)
नीति निर्देशक तत्व संविधान के भाग IV में वर्णित हैं जो राज्य के लिए नीति निर्देशक सिद्धांत प्रदान करते हैं। ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं लेकिन देश के शासन के लिए मौलिक हैं।
प्रमुख नीति निर्देशक तत्व
सामाजिक न्याय
राज्य लोगों के कल्याण को बढ़ावा देगा
आर्थिक न्याय
संपत्ति का समान वितरण सुनिश्चित करेगा
बाल कल्याण
बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए प्रावधान
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार
महत्वपूर्ण अनुच्छेद
अनुच्छेद 44: समान नागरिक संहिता - राज्य भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 48: कृषि और पशुपालन का संगठन - राज्य कृषि और पशुपालन को आधुनिक वैज्ञानिक ढंग से संगठित करने का प्रयास करेगा।
मूल कर्तव्य (भाग IV-A, अनुच्छेद 51A)
मूल कर्तव्य संविधान में 42वें संशोधन (1976) द्वारा जोड़े गए थे। ये नागरिकों के मूल कर्तव्यों को परिभाषित करते हैं।
मूल कर्तव्यों की सूची
- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करना
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखना और उनका पालन करना
- भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे अक्षुण्ण रखना
- देश की रक्षा करना और राष्ट्र की सेवा करना
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का विकास करना
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझना और उसका परिरक्षण करना
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना
- व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करना
- 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के माता-पिता या संरक्षक द्वारा शिक्षा का अवसर प्रदान करना (86वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)
संविधान संशोधन
संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में वर्णित है। अब तक संविधान में 105 संशोधन किए जा चुके हैं।
संशोधन | वर्ष | महत्वपूर्ण प्रावधान |
---|---|---|
प्रथम संशोधन | 1951 | मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध, भूमि सुधार कानूनों की संवैधानिकता सुनिश्चित की |
सातवाँ संशोधन | 1956 | राज्यों का पुनर्गठन, केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण |
42वाँ संशोधन | 1976 | मूल कर्तव्य जोड़े गए, प्रस्तावना में संशोधन |
44वाँ संशोधन | 1978 | आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों की सुरक्षा |
73वाँ संशोधन | 1992 | पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा |
74वाँ संशोधन | 1992 | नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा |
86वाँ संशोधन | 2002 | 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार |
101वाँ संशोधन | 2016 | वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया गया |
संविधान की अनुसूचियाँ
भारतीय संविधान में मूल रूप से 8 अनुसूचियाँ थीं, जो अब बढ़कर 12 हो गई हैं।
अनुसूची | विषय |
---|---|
पहली अनुसूची | राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का उल्लेख |
दूसरी अनुसूची | राष्ट्रपति, राज्यपाल, न्यायाधीशों आदि के वेतन-भत्ते |
तीसरी अनुसूची | पदाधिकारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ |
चौथी अनुसूची | राज्यसभा में सीटों का आवंटन |
पाँचवी अनुसूची | अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन |
छठी अनुसूची | असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन |
सातवीं अनुसूची | केंद्र, राज्य और समवर्ती सूची |
आठवीं अनुसूची | संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाएँ |
नौवीं अनुसूची | कुछ भूमि सुधार कानूनों को न्यायिक पुनरावलोकन से मुक्ति |
दसवीं अनुसूची | दल-बदल विरोधी कानून (52वाँ संशोधन, 1985) |
ग्यारहवीं अनुसूची | पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियाँ (73वाँ संशोधन, 1992) |
बारहवीं अनुसूची | नगरपालिकाओं की शक्तियाँ (74वाँ संशोधन, 1992) |
संविधान से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
संविधान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है
- संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 थी
- संविधान निर्माण में कुल 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे
- संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुईं
- संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी में हस्तलिखित है
- संविधान की प्रस्तावना को संविधान की 'आत्मा' कहा जाता है
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रेरित है
- भारत का संविधान 'लचीला और कठोर' दोनों प्रकार का है
संविधान की प्रति
संसद के पुस्तकालय में सुरक्षित
हस्तलेख
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा
सजावट
नंदलाल बोस और उनके शिष्यों द्वारा
संरक्षण
हेलियम से भरे केस में संरक्षित