राजस्थान के प्रतीक चिन्ह - परिचय
राजस्थान, जिसे "राजाओं की भूमि" के नाम से जाना जाता है, भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए राजस्थान सरकार ने विभिन्न प्रतीक चिन्हों को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है। ये प्रतीक चिन्ह राज्य की पहचान, संस्कृति, पर्यावरण और ऐतिहासिक महत्व को प्रतिबिंबित करते हैं।
इस लेख में हम राजस्थान के सभी आधिकारिक प्रतीक चिन्हों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे, जिसमें राज्य पशु, पक्षी, वृक्ष, फूल, गीत और अन्य महत्वपूर्ण प्रतीक शामिल हैं। प्रत्येक प्रतीक के बारे में संपूर्ण जानकारी, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, महत्व और रोचक तथ्यों को शामिल किया गया है।

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Table of Contents
- राजस्थान के प्रतीक चिन्ह - परिचय
- राजस्थान राज्य पशु
- राजस्थान राज्य पक्षी
- राजस्थान राज्य वृक्ष
- राजस्थान राज्य फूल
- राजस्थान की राज्य भाषा
- राजस्थान का राज्य गीत
- राजस्थान का राज्य नृत्य
- राजस्थान का राज्य खेल
- राजस्थान प्रतीक चिन्ह महत्वपूर्ण प्रश्न
- राजस्थान प्रतीक चिन्ह FAQ
Rajasthan State Symbols
राजस्थान के राज्य प्रतीक चिन्ह (State Symbols of Rajasthan) का ज्ञान प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) में सफलता पाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। चाहे आप RPSC, REET, SSC, या UPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हों, राजस्थान की राज्य भाषा, राज्य गीत, राज्य नृत्य, राज्य खेल, राज्य दिवस और अन्य प्रतीक चिन्ह के बारे में गहन समझ होना जरूरी है।
राजस्थान के प्रमुख प्रतीक चिन्ह
राजस्थान, भारत का “सांस्कृतिक खजाना”, अपनी समृद्ध विरासत, रंग-बिरंगे त्योहार और राजसी इतिहास के लिए जाना जाता है। इस राज्य के कई प्रतीक चिन्ह हैं जो इसकी संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाते हैं। राजस्थान के प्रमुख प्रतीक चिन्ह न केवल राज्य की पहचान हैं, बल्कि यह इसकी गौरवशाली विरासत का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
राज्य पशु: चिंकारा (Chinkara)
- चिंकारा (वैज्ञानिक नाम: Gazella bennettii) राजस्थान का राज्य पशु है, जिसे 1981 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। यह एक सुंदर और तेज गति से दौड़ने वाला मृग है जो राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है।
- चिंकारा राजस्थान के रेगिस्तानी इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह राज्य की जैव विविधता का प्रतीक है। इसकी लंबाई लगभग 1-1.5 मीटर और वजन 15-25 किलोग्राम तक होता है। चिंकारा अपनी सुंदरता, चपलता और रेगिस्तानी परिस्थितियों के अनुकूल ढलने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- चिंकारा को 1981 में राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया
- यह थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है
- इसकी गति 80 किमी/घंटा तक हो सकती है
- चिंकारा बिना पानी पिए कई दिनों तक जीवित रह सकता है
- यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है
राज्य पक्षी: गोडावण (Great Indian Bustard)
- गोडावण (वैज्ञानिक नाम: Ardeotis nigriceps) राजस्थान का राज्य पक्षी है। इसे 1981 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। गोडावण एक बड़ा, जमीन पर रहने वाला पक्षी है जो मुख्य रूप से राजस्थान के रेगिस्तानी और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है।
- यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर है और इसे IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) श्रेणी में रखा गया है। राजस्थान का डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण का प्रमुख आवास है। गोडावण की लंबाई लगभग 1 मीटर और वजन 15-18 किलोग्राम तक हो सकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- गोडावण को 1981 में राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया गया
- यह भारत का सबसे भारी उड़ने वाला पक्षी है
- इसकी आबादी में तेजी से गिरावट आई है
- राजस्थान में जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में इसका संरक्षण किया जा रहा है
- गोडावण को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षण प्राप्त है
राज्य वृक्ष: खेजड़ी (Khejri)
- खेजड़ी (वैज्ञानिक नाम: Prosopis cineraria) राजस्थान का राज्य वृक्ष है। इसे 1983 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। खेजड़ी राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगने वाला एक महत्वपूर्ण वृक्ष है जो रेगिस्तानी पर्यावरण के अनुकूल है।
- यह वृक्ष राजस्थान की संस्कृति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खेजड़ी की पत्तियों का उपयोग चारे के रूप में, फलियों का उपयोग भोजन के रूप में और लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। इस वृक्ष का राजस्थान के लोगों के जीवन में इतना महत्व है कि इसे "राजस्थान का कल्पवृक्ष" भी कहा जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- खेजड़ी को 1983 में राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया
- यह थार रेगिस्तान में सबसे अधिक पाया जाने वाला वृक्ष है
- खेजड़ी राजस्थान के लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत है
- इस वृक्ष के संरक्षण के लिए राजस्थान में "खेजड़ली बलिदान" की ऐतिहासिक घटना हुई थी
- खेजड़ी वृक्ष की जड़ें बहुत गहरी जाती हैं, जो इसे शुष्क परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करती हैं
राज्य फूल: रोहिड़ा (Rohida)
- रोहिड़ा (वैज्ञानिक नाम: Tecomella undulata) राजस्थान का राज्य फूल है। इसे 1983 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। रोहिड़ा एक सुंदर पीले रंग का फूल है जो थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है।
- यह फूल फरवरी से मई के महीनों में खिलता है और इसके पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत और टिकाऊ होती है। रोहिड़ा का पेड़ राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में एक महत्वपूर्ण वृक्ष है जो मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है। इसके फूल न केवल सुंदर होते हैं बल्कि इनका औषधीय महत्व भी है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- रोहिड़ा को 1983 में राजस्थान का राज्य फूल घोषित किया गया
- यह थार रेगिस्तान का मूल निवासी पौधा है
- रोहिड़ा के फूल पीले-नारंगी रंग के होते हैं
- इसकी लकड़ी फर्नीचर बनाने के लिए उपयोग की जाती है
- रोहिड़ा का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है
राजस्थान के प्रतीक चिन्ह - महत्वपूर्ण बिंदु
चिंकारा: राजस्थान का राज्य पशु, 1981 में घोषित
गोडावण: राजस्थान का राज्य पक्षी, 1981 में घोषित
खेजड़ी: राजस्थान का राज्य वृक्ष, 1983 में घोषित
रोहिड़ा: राजस्थान का राज्य फूल, 1983 में घोषित
हिंदी: राजस्थान की आधिकारिक भाषा
घूमर: राजस्थान का राज्य नृत्य
बास्केटबॉल: राजस्थान का राज्य खेल
30 मार्च: राजस्थान स्थापना दिवस
राजस्थान की राज्य भाषा – हिंदी (1950)
- राजस्थान की राज्य भाषा हिंदी है। सन 1950 में इसे राजस्थान की आधिकारिक भाषा (Official Language of Rajasthan) के रूप में स्वीकृत किया गया था। हिंदी न केवल प्रशासनिक और शैक्षिक कार्यों की प्रमुख भाषा है, बल्कि यह पूरे राज्य में संवाद और सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण माध्यम भी है।
- राजस्थान के अधिकांश सरकारी दस्तावेज़, न्यायालय के कार्य, और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षण का कार्य हिंदी में ही किया जाता है। राज्य की विविध बोलियाँ — जैसे मारवाड़ी, मेवाड़ी, शेखावटी, हाड़ौती आदि — हिंदी की ही समृद्ध शाखाएँ हैं, जो प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत बनाती हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- राज्य भाषा: हिंदी
- स्वीकृति वर्ष: 1950
- स्थिति: राजस्थान की आधिकारिक एवं प्रशासनिक भाषा
- अन्य प्रमुख बोलियाँ: मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, शेखावटी आदि
राजस्थान का राज्य गीत – केसरीया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश
- राजस्थान का राज्य गीत है “केसरीया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश”। यह गीत राजस्थान की समृद्ध संस्कृति, अतिथि सत्कार (पधारो म्हारे देश), और वीरता की भावना का प्रतीक है। इस लोकगीत को पारंपरिक रूप से मांगणियार समुदाय के कलाकार गाते हैं, और इसकी धुन में मरुधरा की आत्मा बसती है।
- इस गीत के बोल राजस्थानी भाषा में हैं और यह पूरे भारत में राजस्थान की पहचान के रूप में जाना जाता है। जब भी राजस्थान की संस्कृति या पर्यटन की बात होती है, यह गीत अपने आप सुनाई देता है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- राज्य गीत का नाम: केसरीया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश
- भाषा: राजस्थानी
- थीम: अतिथि सत्कार, संस्कृति, प्रेम और मरुधरा की सुंदरता
- लोकगायक समुदाय: मांगणियार
- महत्व: राजस्थान की पहचान और संस्कृति का प्रतीक
राजस्थान का राज्य नृत्य – घूमर (Ghoomar)
- राजस्थान का राज्य नृत्य है घूमर (Ghoomar)। यह एक पारंपरिक राजस्थानी लोक नृत्य है, जो राजस्थान की संस्कृति, स्त्री सौंदर्य और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। घूमर नृत्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा समूह में किया जाता है, जिसमें वे रंग-बिरंगी पारंपरिक पोशाक (घाघरा-चोली और ओढ़नी) पहनकर, गीतों की ताल पर सुंदर गोल घेरों में घूमती हैं।
- यह नृत्य विशेष रूप से त्योहारों, विवाह समारोहों और सांस्कृतिक अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है। घूमर की उत्पत्ति उदयपुर (मेवाड़) क्षेत्र में हुई थी, लेकिन आज यह पूरे राजस्थान की पहचान बन चुका है।
- घूमर का सांस्कृतिक महत्व : घूमर नृत्य राजस्थान की राजसी और लोक संस्कृति को जोड़ने वाला सेतु है। इसके मनमोहक घुमाव और संगीत के साथ यह नृत्य “राजस्थान की आत्मा” का जीवंत प्रदर्शन करता
महत्वपूर्ण तथ्य :
- राज्य नृत्य का नाम: घूमर (Ghoomar)
- प्रकार: पारंपरिक लोक नृत्य
- प्रदर्शनकर्ता: महिलाएँ
- उत्पत्ति स्थान: मेवाड़ (उदयपुर), राजस्थान
- महत्व: संस्कृति, परंपरा और स्त्री गरिमा का प्रतीक
- लोकप्रिय अवसर: तीज, गंगौर, विवाह, सांस्कृतिक उत्सव
राजस्थान का राज्य खेल – बास्केटबॉल (Basketball)
- राजस्थान का राज्य खेल है बास्केटबॉल (Basketball)। इसे वर्ष 1948 में राज्य के प्रमुख खेलों में शामिल किया गया था। बास्केटबॉल राजस्थान का सबसे लोकप्रिय और तेज़ी से विकसित होने वाला खेल है, जो युवाओं के बीच अत्यधिक पसंद किया जाता है।
- राजस्थान में इस खेल की लोकप्रियता का मुख्य कारण स्कूलों, कॉलेजों और खेल अकादमियों में इसकी सक्रिय भागीदारी है। जयपुर, उदयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हुए हैं, जिन्होंने राजस्थान का नाम देशभर में रोशन किया है।
- राजस्थान में बास्केटबॉल का महत्व :बास्केटबॉल केवल एक खेल नहीं, बल्कि राजस्थान के युवाओं की ऊर्जा और प्रतिस्पर्धात्मक भावना का प्रतीक है। राज्य सरकार द्वारा कई स्तरों पर बास्केटबॉल को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण केंद्र और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
राजस्थान का राज्य दिवस – 30 मार्च 1949
- राजस्थान राज्य दिवस (Rajasthan State Day) हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन राजस्थान के इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि 30 मार्च 1949 को राजस्थान राज्य की आधिकारिक स्थापना (Formation of Rajasthan State) हुई थी। इसी दिन विभिन्न रियासतों के एकीकरण से आधुनिक राजस्थान का निर्माण हुआ।
- राजस्थान दिवस पूरे राज्य में उत्साह, गर्व और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। जयपुर में इस दिन विशेष परेड, लोकनृत्य, सांस्कृतिक प्रदर्शन, और ऐतिहासिक झांकियाँ आयोजित की जाती हैं जो राजस्थान की गौरवशाली विरासत को दर्शाती हैं।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : राजस्थान की स्थापना से पहले यह क्षेत्र 22 रियासतों (Princely States) में बँटा हुआ था। सरदार वल्लभभाई पटेल और तत्कालीन नेताओं के प्रयासों से इन रियासतों का एकीकरण हुआ, और 30 मार्च 1949 को राजस्थान राज्य अस्तित्व में आया।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- राज्य दिवस का नाम: राजस्थान राज्य दिवस / राजस्थान स्थापना दिवस
- तारीख: 30 मार्च
- स्थापना वर्ष: 1949
- महत्व: राजस्थान राज्य के गठन का प्रतीक
- मुख्य आयोजन स्थल: जयपुर एवं राज्य के प्रमुख शहर
- कार्यक्रम: सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, परेड, लोकनृत्य, सम्मान समारोह
राजस्थान के चिन्ह : एक नजर
| प्रतीक चिन्ह |
नाम |
वर्ष |
महत्व |
| राज्य भाषा |
हिंदी |
1950 |
राजस्थान की आधिकारिक भाषा |
| राज्य गीत |
केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश |
2015 |
राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है |
| राज्य नृत्य |
घूमर |
पारंपरिक |
राजस्थान का सबसे लोकप्रिय लोक नृत्य |
| राज्य खेल |
बास्केटबॉल |
1948 |
राजस्थान का सबसे लोकप्रिय खेल |
| राज्य दिवस |
30 मार्च |
1949 |
राजस्थान स्थापना दिवस |
राजस्थान प्रतीक चिन्ह से बनने वाले अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न
1. राजस्थान का राज्य पशु कौन है?
A) गुलाबी बंदर
B) चिंकारा
C) भारतीय हाथी
D) तेंदुआ
Answer: B) चिंकारा
Explanation:
चिंकारा (Gazella bennettii) को 1981 में राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया। यह राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है और राज्य की जैव विविधता का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
2.चिंकारा की अधिकतम गति कितनी हो सकती है?
A) 40 किमी/घंटा
B) 60 किमी/घंटा
C) 80 किमी/घंटा
D) 100 किमी/घंटा
Answer: C) 80 किमी/घंटा
Explanation:
चिंकारा तेज गति से दौड़ने वाला मृग है और इसकी गति 80 किमी/घंटा तक हो सकती है, जो इसे रेगिस्तानी क्षेत्रों में शिकारी से बचने में मदद करती है।
3. चिंकारा किस अधिनियम के तहत संरक्षित है?
A) वान्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972
B) पशु कल्याण अधिनियम 1960
C) वन अधिनियम 1927
D) पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
Answer: A) वान्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972
Explanation:
चिंकारा को वान्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। यह अधिनियम भारत में दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा के लिए लागू किया गया है।
4. राजस्थान में चिंकारा मुख्य रूप से कहाँ पाया जाता है?
A) अरावली पर्वत
B) थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्र
C) सवाई माधोपुर के जंगल
D) पुष्कर के तालाब
Answer: B) थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्र
Explanation:
चिंकारा मुख्य रूप से थार रेगिस्तान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है, जो इसे रेगिस्तानी परिस्थितियों के अनुकूल बनाता है।
5. चिंकारा के लिए सही विवरण चुनिए:
A) यह हाथियों का छोटा संस्करण है
B) यह पानी के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है
C) यह केवल जंगलों में पाया जाता है
D) यह केवल रात में सक्रिय होता है
Answer: B) यह पानी के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है
Explanation:
चिंकारा रेगिस्तानी परिस्थितियों के लिए अनुकूल है और बिना पानी पिए कई दिनों तक जीवित रह सकता है। यह इसकी तेज दौड़ने की क्षमता और रेगिस्तान में जीवन जीने की अनुकूलता को दर्शाता है।
6. राजस्थान का राज्य पक्षी कौन है?
A) मोर
B) गोडावण (Great Indian Bustard)
C) हंस
D) तीतर
Answer: B) गोडावण (Great Indian Bustard)
Explanation:
गोडावण (Ardeotis nigriceps) को 1981 में राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया गया। यह बड़ा, जमीन पर रहने वाला पक्षी है और राजस्थान के रेगिस्तानी व अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है।
7. गोडावण को IUCN रेड लिस्ट में किस श्रेणी में रखा गया है?
A) Least Concern
B) Vulnerable
C) Endangered
D) Critically Endangered
Answer: D) Critically Endangered
Explanation:
गोडावण गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) प्रजाति है। इसकी आबादी में तेजी से गिरावट आई है और यह विलुप्त होने की कगार पर है।
8. गोडावण का प्रमुख संरक्षण स्थल कौन सा है?
A) रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान
B) डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
C) सरिस्का टाइगर रिजर्व
D) कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
Answer: B) डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
Explanation:
राजस्थान में गोडावण का प्रमुख आवास और संरक्षण स्थल डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर है। यहां इस संकटग्रस्त पक्षी की आबादी को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
9. गोडावण के बारे में सही विवरण चुनिए:
A) यह सबसे हल्का उड़ने वाला पक्षी है
B) यह मुख्य रूप से जंगलों में रहता है
C) यह भारत का सबसे भारी उड़ने वाला पक्षी है
D) यह केवल पानी के निकट पाया जाता है
Answer: C) यह भारत का सबसे भारी उड़ने वाला पक्षी है
Explanation:
गोडावण भारत का सबसे भारी उड़ने वाला पक्षी है। इसकी लंबाई लगभग 1 मीटर और वजन 15-18 किलोग्राम तक हो सकता है।
10. गोडावण को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की कौन सी अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त है?
A) अनुसूची I
B) अनुसूची II
C) अनुसूची III
D) अनुसूची IV
Answer: A) अनुसूची I
Explanation:
गोडावण को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षण प्राप्त है। अनुसूची I में शामिल प्रजातियों को सबसे उच्चतम सुरक्षा प्रदान की जाती है।
11. राजस्थान का राज्य वृक्ष कौन सा है?
A) पीपल
B) खेजड़ी (Khejri)
C) नीम
D) आम
Answer: B) खेजड़ी (Khejri)
Explanation:
खेजड़ी (Prosopis cineraria) को 1983 में राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया। यह वृक्ष रेगिस्तानी और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगने वाला महत्वपूर्ण वृक्ष है और राजस्थान के पर्यावरण, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है।
12. खेजड़ी वृक्ष के लिए सही विवरण चुनिए:
A) इसकी जड़ें बहुत गहरी जाती हैं
B) यह केवल नदियों के किनारे उगता है
C) यह केवल हरे भरे जंगलों में पाया जाता है
D) इसके फल खाने योग्य नहीं होते
Answer: A) इसकी जड़ें बहुत गहरी जाती हैं
Explanation:
खेजड़ी की जड़ें बहुत गहरी होती हैं, जिससे यह शुष्क और अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में जीवित रह सकती है। यह थार रेगिस्तान में लंबे समय तक पानी और पोषण के अभाव में जीवित रहने में मदद करती हैं।
13. खेजड़ी वृक्ष का राजस्थान की संस्कृति और जीवन में क्या महत्व है?
A) केवल धार्मिक महत्व
B) चारा, भोजन और ईंधन का स्रोत
C) केवल सजावटी उद्देश्य
D) केवल औद्योगिक लकड़ी के लिए
Answer: B) चारा, भोजन और ईंधन का स्रोत
Explanation:
खेजड़ी की पत्तियों का उपयोग चारे के रूप में, फलियों का उपयोग भोजन के रूप में और लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। यह राजस्थान के लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत है।
14. खेजड़ी के संरक्षण के लिए राजस्थान में कौन सी ऐतिहासिक घटना प्रसिद्ध है?
A) रणथम्भौर आंदोलन
B) खेजड़ली बलिदान
C) सरिस्का संरक्षा आंदोलन
D) पुष्कर उत्सव
Answer: B) खेजड़ली बलिदान
Explanation:
"खेजड़ली बलिदान" राजस्थान में खेजड़ी वृक्ष के संरक्षण के लिए हुई एक ऐतिहासिक घटना है। यह घटना राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण और पेड़-पौधों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता का प्रतीक है।
15. खेजड़ी मुख्य रूप से कहाँ पाई जाती है?
A) अरावली पर्वत
B) थार रेगिस्तान
C) सवाई माधोपुर के जंगल
D) पुष्कर के तालाब
Answer: B) थार रेगिस्तान
Explanation:
खेजड़ी थार रेगिस्तान में सबसे अधिक पाई जाती है और रेगिस्तानी परिस्थितियों के अनुकूल है। यह वृक्ष रेगिस्तान के इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
16. राजस्थान का राज्य फूल कौन सा है?
A) गुलाब
B) रोहिड़ा (Rohida)
C) कमल
D) सूर्यमुखी
Answer: B) रोहिड़ा (Rohida)
Explanation:
रोहिड़ा (Tecomella undulata) को 1983 में राजस्थान का राज्य फूल घोषित किया गया। यह थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाने वाला सुंदर पीले रंग का फूल है।
17. रोहिड़ा का पेड़ मुख्य रूप से किस उद्देश्य के लिए उपयोगी है?
A) केवल सजावट के लिए
B) मिट्टी के कटाव को रोकने और फर्नीचर बनाने के लिए
C) केवल औषधीय उद्देश्य के लिए
D) केवल कागज बनाने के लिए
Answer: B) मिट्टी के कटाव को रोकने और फर्नीचर बनाने के लिए
Explanation:
रोहिड़ा का पेड़ रेगिस्तानी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है। इसकी लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होती है, जिसका उपयोग फर्नीचर बनाने में किया जाता है।
18. रोहिड़ा के फूल मुख्यतः कब खिलते हैं?
A) जून से अगस्त
B) फरवरी से मई
C) सितंबर से नवंबर
D) दिसंबर से जनवरी
Answer: B) फरवरी से मई
Explanation:
रोहिड़ा के फूल फरवरी से मई के महीनों में खिलते हैं। यह समय थार रेगिस्तान में इस पौधे की खूबसूरती को सबसे अधिक प्रदर्शित करता है।
19. रोहिड़ा के फूलों का रंग किस प्रकार का होता है?
A) लाल
B) नीला
C) पीला-नारंगी
D) सफेद
Answer: C) पीला-नारंगी
Explanation:
रोहिड़ा के फूल पीले-नारंगी रंग के होते हैं और रेगिस्तानी क्षेत्र की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं।
20. रोहिड़ा के औषधीय उपयोग के बारे में सही कथन चुनिए:
A) इसका कोई औषधीय उपयोग नहीं है
B) इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है
C) इसका उपयोग केवल आधुनिक दवाओं में किया जाता है
D) यह केवल जड़ी-बूटी बाजार में बिकता है
Answer: B) इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है
Explanation:
रोहिड़ा का फूल और पेड़ पारंपरिक चिकित्सा में उपयोगी हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण स्थानीय लोग इसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी उपचारों में करते हैं।
21. राजस्थान की आधिकारिक राज्य भाषा कौन सी है?
A) मराठी
B) गुजराती
C) हिंदी
D) पंजाबी
Answer: C) हिंदी
Explanation:
1950 में हिंदी को राजस्थान की आधिकारिक और प्रशासनिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। यह राज्य के सरकारी, न्यायालयिक और शैक्षिक कार्यों की प्रमुख भाषा है।
22. राजस्थान में प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों में कौन सी भाषा मुख्य रूप से उपयोग की जाती है?
A) अंग्रेज़ी
B) हिंदी
C) मारवाड़ी
D) संस्कृत
Answer: B) हिंदी
Explanation:
राजस्थान में सरकारी दस्तावेज़, न्यायालय और शैक्षणिक संस्थानों में मुख्य रूप से हिंदी का प्रयोग किया जाता है। यह राज्य की प्रशासनिक और शैक्षणिक भाषा है।
23. राजस्थान में हिंदी की कौन-कौन सी प्रमुख बोलियाँ हैं?
A) राजस्थानी, बंगाली, गुजराती
B) मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, शेखावटी
C) पंजाबी, उर्दू, सिंधी
D) तेलुगू, कन्नड़, तमिल
Answer: B) मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, शेखावटी
Explanation:
राजस्थान की विविध बोलियाँ जैसे मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, शेखावटी आदि, हिंदी की समृद्ध शाखाएँ हैं और राज्य की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
24. हिंदी को राजस्थान की आधिकारिक भाषा के रूप में कब स्वीकार किया गया था?
A) 1947
B) 1950
C) 1965
D) 1972
Answer: B) 1950
Explanation:
साल 1950 में हिंदी को राजस्थान की आधिकारिक एवं प्रशासनिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।
25. राजस्थान में हिंदी का महत्व किस क्षेत्र में सबसे अधिक है?
A) केवल साहित्यिक कार्य
B) केवल व्यापारिक लेन-देन
C) प्रशासनिक, न्यायिक और शैक्षणिक कार्य
D) केवल धार्मिक अनुष्ठान
Answer: C) प्रशासनिक, न्यायिक और शैक्षणिक कार्य
Explanation:
हिंदी राजस्थान में सरकारी दस्तावेज़, न्यायालय, और शैक्षणिक संस्थानों में मुख्य भाषा है, जो प्रशासनिक और सामाजिक संवाद का प्रमुख माध्यम है।
26. राजस्थान का राज्य गीत कौन सा है?
A) पधारो म्हारे देश
B) केसरीया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश
C) रंगीलो राजस्थान
D) माटी री खुशबू
Answer: B) केसरीया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश
Explanation:
“केसरीया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश” राजस्थान का राज्य गीत है। यह गीत राज्य की संस्कृति, अतिथि सत्कार और मरुधरा की सुंदरता का प्रतीक है।
27. राजस्थान के राज्य गीत के बोल किस भाषा में हैं?
A) हिंदी
B) संस्कृत
C) राजस्थानी
D) गुजराती
Answer: C) राजस्थानी
Explanation:
राजस्थान का राज्य गीत राजस्थानी भाषा में है और यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान और लोक परंपरा को दर्शाता है।
28. राजस्थान के राज्य गीत को पारंपरिक रूप से कौन गाता है?
A) राजपूत समुदाय
B) मांगणियार समुदाय
C) ब्राह्मण समुदाय
D) भोपला कलाकार
Answer: B) मांगणियार समुदाय
Explanation:
इस लोकगीत को पारंपरिक रूप से मांगणियार समुदाय के कलाकार गाते हैं। उनकी धुन और गायकी में मरुधरा की आत्मा बसती है।
29. राजस्थान के राज्य गीत की थीम में कौन-से तत्व प्रमुख हैं?
A) युद्ध और विजय
B) अतिथि सत्कार, संस्कृति, प्रेम और मरुधरा की सुंदरता
C) व्यापार और अर्थव्यवस्था
D) कृषि और जल संरक्षण
Answer: B) अतिथि सत्कार, संस्कृति, प्रेम और मरुधरा की सुंदरता
Explanation:
राज्य गीत की मुख्य थीम राजस्थान की संस्कृति, अतिथि सत्कार, मरुधरा की सुंदरता और प्रेम को दर्शाती है।
30. राजस्थान के राज्य गीत का महत्व क्या है?
A) केवल लोकगीत के रूप में मनोरंजन के लिए
B) राज्य की पहचान और संस्कृति का प्रतीक
C) केवल पर्यटन का प्रचार करने के लिए
D) राज्य की प्रशासनिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए
Answer: B) राज्य की पहचान और संस्कृति का प्रतीक
Explanation:
यह गीत राजस्थान की समृद्ध संस्कृति, वीरता और अतिथि सत्कार की भावना का प्रतीक है और पूरे भारत में राज्य की सांस्कृतिक पहचान बनाता है।
31. राजस्थान का राज्य नृत्य कौन सा है?
A) कालबेलिया
B) घूमर (Ghoomar)
C) भोलो-भालो
D) गोटा
Answer: B) घूमर (Ghoomar)
Explanation:
घूमर राजस्थान का पारंपरिक राज्य नृत्य है, जो स्त्री सौंदर्य, उल्लास और राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।
32. घूमर नृत्य मुख्य रूप से कौन करता है?
A) पुरुष
B) महिलाएँ
C) बच्चे
D) सभी उम्र के लोग
Answer: B) महिलाएँ
Explanation:
घूमर नृत्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा समूह में प्रस्तुत किया जाता है। वे पारंपरिक घाघरा-चोली और ओढ़नी पहनकर गीतों की ताल पर गोल घेरों में घूमती हैं।
33. घूमर नृत्य की उत्पत्ति कहाँ हुई थी?
A) जयपुर
B) जोधपुर
C) उदयपुर (मेवाड़)
D) बीकानेर
Answer: C) उदयपुर (मेवाड़)
Explanation:
घूमर नृत्य की उत्पत्ति उदयपुर (मेवाड़) क्षेत्र में हुई थी, लेकिन आज यह पूरे राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है।
34. घूमर नृत्य मुख्यतः किन अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है?
A) केवल स्वतंत्रता दिवस
B) तीज, गंगौर, विवाह और सांस्कृतिक उत्सव
C) बस कृषि मेलों में
D) केवल स्कूल कार्यक्रमों में
Answer: B) तीज, गंगौर, विवाह और सांस्कृतिक उत्सव
Explanation:
घूमर नृत्य त्योहारों, विवाह समारोहों और अन्य सांस्कृतिक अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है, जो राजस्थान की जीवंत लोक संस्कृति को दर्शाता है।
35. घूमर नृत्य का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
A) केवल मनोरंजन के लिए
B) राजस्थान की संस्कृति, परंपरा और स्त्री गरिमा का प्रतीक
C) केवल पर्यटन आकर्षण
D) केवल युद्ध समारोहों में प्रदर्शन
Answer: B) राजस्थान की संस्कृति, परंपरा और स्त्री गरिमा का प्रतीक
Explanation:
घूमर नृत्य राजस्थान की राजसी और लोक संस्कृति को जोड़ने वाला सेतु है। इसके मनमोहक घुमाव और संगीत के साथ यह नृत्य “राजस्थान की आत्मा” का जीवंत प्रदर्शन करता है।
36. राजस्थान राज्य दिवस कब मनाया जाता है?
A) 1 जनवरी
B) 15 अगस्त
C) 26 जनवरी
D) 30 मार्च
Answer: D) 30 मार्च
Explanation:
राजस्थान राज्य दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन राजस्थान के आधिकारिक गठन का प्रतीक है।
37. राजस्थान राज्य की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
A) 1947
B) 1948
C) 1949
D) 1950
Answer: C) 1949
Explanation:
30 मार्च 1949 को राजस्थान का आधिकारिक गठन हुआ, जब विभिन्न रियासतों का एकीकरण किया गया।
38. राजस्थान राज्य गठन से पहले यह क्षेत्र कितनी रियासतों में बँटा हुआ था?
A) 10
B) 15
C) 22
D) 30
Answer: C) 22
Explanation:
राजस्थान की स्थापना से पहले यह क्षेत्र 22 रियासतों में बँटा हुआ था। सरदार वल्लभभाई पटेल और तत्कालीन नेताओं के प्रयासों से इनका एकीकरण हुआ।
39. राजस्थान राज्य दिवस के अवसर पर मुख्य आयोजन स्थल कौन सा है?
A) उदयपुर
B) जोधपुर
C) जयपुर
D) बीकानेर
Answer: C) जयपुर
Explanation:
जयपुर में राजस्थान राज्य दिवस पर विशेष परेड, लोकनृत्य, सांस्कृतिक प्रदर्शन और ऐतिहासिक झांकियाँ आयोजित की जाती हैं। अन्य प्रमुख शहरों में भी समारोह आयोजित होते हैं।
40. राजस्थान राज्य दिवस का महत्व क्या है?
A) राज्य की स्वतंत्रता का प्रतीक
B) राजस्थान राज्य के गठन का प्रतीक
C) कृषि के विकास का प्रतीक
D) सांस्कृतिक त्योहार का प्रतीक
Answer: B) राजस्थान राज्य के गठन का प्रतीक
Explanation:
राजस्थान राज्य दिवस राजस्थान राज्य के गठन और विभिन्न रियासतों के एकीकरण का प्रतीक है, जो राज्य की गौरवशाली विरासत और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।
राजस्थान के प्रतीक चिन्ह - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. राजस्थान का राज्य पशु कौन सा है और इसे कब घोषित किया गया?
राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा (Indian Gazelle) है। इसे 1981 में आधिकारिक रूप से राज्य पशु घोषित किया गया था। चिंकारा एक सुंदर और तेज गति से दौड़ने वाला मृग है जो राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है।
2. गोडावण क्यों संकटग्रस्त पक्षी है और इसके संरक्षण के क्या उपाय हैं?
गोडावण विलुप्त होने की कगार पर है मुख्य रूप से आवास नष्ट होने, शिकार और बिजली की लाइनों से टकराने के कारण। इसके संरक्षण के लिए राजस्थान सरकार ने डेजर्ट नेशनल पार्क स्थापित किया है और प्रजनन केंद्र बनाए हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत इसे संरक्षण प्राप्त है।
3. खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का कल्पवृक्ष क्यों कहा जाता है?
खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान का कल्पवृक्ष इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह रेगिस्तानी परिस्थितियों में भी फलता-फूलता है और राजस्थान के लोगों को छाया, चारा, लकड़ी, भोजन और दवा सहित कई आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इस वृक्ष का राजस्थान की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है।
4. राजस्थान के प्रतीक चिन्हों का क्या महत्व है?
राजस्थान के प्रतीक चिन्ह राज्य की पहचान, संस्कृति, पर्यावरण और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं। ये प्रतीक राज्य के गौरव, जैव विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके माध्यम से राज्य की विशेषताओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया जाता है।