धौलावीरा क्या है? बेसिक जानकारी
धौलावीरा सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत नगर था जो वर्तमान गुजरात के कच्छ जिले में खादिर बेत द्वीप पर स्थित है। यह हड़प्पा संस्कृति का दक्षिणी सीमांत नगर था और इसकी सबसे बड़ी विशेषता त्रिस्तरीय नगर योजना और उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली है।
धौलावीरा: महत्वपूर्ण तथ्य
स्थान: कच्छ जिला, गुजरात
काल: 2650-1450 ईसा पूर्व
विशेषता: त्रिस्तरीय नगर योजना
क्षेत्रफल: 47 हेक्टेयर
खोजकर्ता: जगपति जोशी (1967-68)
UNESCO विश्व धरोहर स्थल
धौलावीरा को 2021 में UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया
धौलावीरा की खोज किसने की? खोजकर्ता और वर्ष
खोज का वर्ष
1967-68 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जगपति जोशी ने धौलावीरा की खोज की
खोजकर्ता
जगपति जोशी - प्रसिद्ध भारतीय पुरातत्ववेत्ता
उत्खनन
1990-2005 के बीच आर. एस. बिष्ट के नेतृत्व में व्यापक उत्खनन
समयकाल
2650-1450 ईसा पूर्व (हड़प्पा संस्कृति का सबसे लंबा कालखंड)
प्रारंभिक हड़प्पा काल
नगर की स्थापना और विकास
परिपक्व हड़प्पा काल
नगर का स्वर्ण युग, त्रिस्तरीय योजना का विकास
उत्तर हड़प्पा काल
नगर का क्रमिक पतन और परित्याग
आधुनिक खोज
जगपति जोशी द्वारा खोज
धौलावीरा की विशेषताएं टॉप 10 विशेषताएं
त्रिस्तरीय नगर योजना
किला (उच्च भाग), मध्य नगर और निचला नगर - सिंधु घाटी की सबसे व्यवस्थित योजना
उन्नत जल प्रबंधन
16 जलाशय, बाँध, नहरें - रेगिस्तान में जल संचयन की अद्भुत प्रणाली
सबसे लंबी हड़प्पा लिखावट
10 संकेतों वाली सबसे लंबी हड़प्पा लिपि यहीं मिली
स्टेडियम
283 मीटर लंबा स्टेडियम - सामूहिक समारोहों के लिए
पत्थर की वास्तुकला
ईंटों के स्थान पर पत्थरों का प्रयोग - स्थानीय सामग्री का उपयोग
शिल्प उत्पादन
शंख और अर्ध-कीमती पत्थरों के शिल्प का उत्पादन केंद्र
विशाल अन्नागार
बड़े अन्नागार - कृषि उत्पादों का भंडारण
सड़क व्यवस्था
ग्रिड पैटर्न में सीधी और चौड़ी सड़कें
धौलावीरा नगर योजना नगर का लेआउट
नगर के भाग | विवरण | विशेषताएं |
---|---|---|
किला (उच्च भाग) | नगर का सबसे ऊँचा हिस्सा | प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र, दुर्गीकृत |
मध्य नगर | किले के नीचे का हिस्सा | अभिजात वर्ग के आवास, महत्वपूर्ण इमारतें |
निचला नगर | सबसे बाहरी हिस्सा | सामान्य जनता के आवास, बाजार, शिल्प क्षेत्र |
स्टेडियम | 283 मीटर लंबा | सामूहिक समारोहों और खेलों के लिए |
जलाशय | 16 जलाशय | वर्षा जल संचयन, नहरों से जुड़े |
नगर योजना का महत्व:
धौलावीरा की त्रिस्तरीय नगर योजना सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे व्यवस्थित और उन्नत योजना मानी जाती है। यह सामाजिक स्तरीकरण और प्रशासनिक व्यवस्था को दर्शाती है। किला (उच्च भाग) में शासक वर्ग और महत्वपूर्ण प्रशासनिक इमारतें थीं, मध्य नगर में अभिजात वर्ग रहता था, जबकि निचला नगर सामान्य जनता और शिल्पकारों के लिए था। यह योजना हड़प्पावासियों के उन्नत नगर नियोजन ज्ञान को प्रदर्शित करती है।
धौलावीरा का जल प्रबंधन जल संचयन प्रणाली
जल संचयन संरचनाएं
- 16 जलाशय: विभिन्न आकारों के जलाशय
- बाँध: मानसूनी नदियों पर बने बाँध
- नहरें: जलाशयों को जोड़ने वाली नहरें
- तालाब: वर्षा जल संचयन के तालाब
- कुएं: भूजल के लिए कुएं
तकनीकी विशेषताएं
- जल निस्तारण: अतिरिक्त जल के निस्तारण की व्यवस्था
- जल शोधन: जल को शुद्ध करने की व्यवस्था
- वितरण: नहरों द्वारा जल वितरण
- संचयन: वर्षा जल का दीर्घकालिक संचयन
- प्रबंधन: व्यवस्थित जल प्रबंधन प्रणाली
जल प्रबंधन का तकनीकी दृष्टिकोण:
धौलावीरा का जल प्रबंधन प्रणाली प्राचीन भारत की जल प्रबंधन तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद, हड़प्पावासियों ने इतनी उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली विकसित की कि पूरे वर्ष जल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकी। उन्होंने मानसूनी वर्षा के जल को संचित करने के लिए बाँध बनाए और इस जल को नहरों के माध्यम से विभिन्न जलाशयों तक पहुँचाया। जलाशयों को पत्थरों से मजबूती से बनाया गया था ताकि जल का रिसाव न हो। यह प्रणाली इतनी कारगर थी कि आज भी इससे जल प्रबंधन के आधुनिक सिद्धांत सीखे जा सकते हैं।
धौलावीरा और लोथल में अंतर तुलनात्मक विश्लेषण
पहलू | धौलावीरा | लोथल |
---|---|---|
स्थान | कच्छ जिला, गुजरात | अहमदाबाद जिला, गुजरात |
विशेषता | त्रिस्तरीय नगर योजना | बंदरगाह नगर, गोदीबाड़ा |
क्षेत्रफल | 47 हेक्टेयर | 7 हेक्टेयर |
जल प्रबंधन | 16 जलाशय, बाँध, नहरें | गोदीबाड़ा, नालियाँ |
निर्माण सामग्री | पत्थर प्रधान | ईंट प्रधान |
आर्थिक आधार | कृषि और शिल्प | समुद्री व्यापार |
UNESCO स्थिति | विश्व धरोहर (2021) | विश्व धरोहर नहीं |
तुलनात्मक विश्लेषण:
धौलावीरा और लोथल दोनों हड़प्पा संस्कृति के महत्वपूर्ण नगर थे लेकिन इनकी प्रकृति और विशेषताओं में मौलिक अंतर थे। धौलावीरा एक अंतर्देशीय नगर था जबकि लोथल एक बंदरगाह नगर था। धौलावीरा की नगर योजना त्रिस्तरीय थी और यहाँ जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया था, जबकि लोथल में गोदीबाड़ा और समुद्री व्यापार प्रमुख थे। धौलावीरा का क्षेत्रफल लोथल से कई गुना अधिक था और यहाँ पत्थर का प्रयोग अधिक हुआ था, जबकि लोथल में ईंटों का प्रयोग प्रमुख था। दोनों नगर हड़प्पा संस्कृति की विविधता और अनुकूलन क्षमता को दर्शाते हैं।
धौलावीरा UPSC नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
UPSC के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:
प्रीलिम्स के लिए:
- खोज: 1967-68, जगपति जोशी
- स्थान: कच्छ जिला, गुजरात
- विशेषता: त्रिस्तरीय नगर योजना
- जल प्रबंधन: 16 जलाशय
- UNESCO: 2021 में विश्व धरोहर घोषित
मेन्स के लिए:
- धौलावीरा की नगर योजना और इसका ऐतिहासिक महत्व
- हड़प्पा काल के जल प्रबंधन में धौलावीरा की भूमिका
- धौलावीरा से प्राप्त महत्वपूर्ण अवशेष और उनका सांस्कृतिक महत्व
- धौलावीरा के UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित होने का महत्व
विषय | महत्वपूर्ण तथ्य | परीक्षा दृष्टिकोण |
---|---|---|
खोज और स्थान | 1967-68, जगपति जोशी, कच्छ | प्रीलिम्स - वस्तुनिष्ठ प्रश्न |
नगर योजना | त्रिस्तरीय - किला, मध्य नगर, निचला नगर | मेन्स - विस्तृत उत्तर |
जल प्रबंधन | 16 जलाशय, बाँध, नहरें | प्रीलिम्स और मेन्स दोनों |
UNESCO | 2021 में विश्व धरोहर घोषित | प्रीलिम्स - वर्तमान घटनाएं |
लेखन प्रणाली | हड़प्पा लिपि की सबसे लंबी लिखावट | प्रीलिम्स - वस्तुनिष्ठ प्रश्न |
धौलावीरा की खुदाई खुदाई में मिली वस्तुएँ
हड़प्पा लिपि
10 संकेतों वाली सबसे लंबी हड़प्पा लिपि, एक बड़े पत्थर पर उत्कीर्ण
मनके और आभूषण
कार्नेलियन, स्टीटाइट, सोने और तांबे के मनके और आभूषण
मोहरें
सेलखड़ी की मोहरें, पशु चित्रों के साथ
औजार और हथियार
तांबे और पत्थर के औजार, हथियार और उपकरण
मिट्टी के बर्तन
लाल और काले मिट्टी के बर्तन, विभिन्न आकारों में
खेल की वस्तुएं
पासे और खेल की अन्य वस्तुएं
धौलावीरा का महत्व ऐतिहासिक मूल्य
ऐतिहासिक महत्व
- नगर योजना: सिंधु घाटी की सबसे व्यवस्थित योजना
- जल प्रबंधन: प्राचीन जल प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण
- सांस्कृतिक निरंतरता: 1200 वर्षों तक निरंतर बसा रहा
- तकनीकी ज्ञान: पत्थर की वास्तुकला में निपुणता
- सामाजिक संगठन: सामाजिक स्तरीकरण का प्रमाण
आधुनिक महत्व
- UNESCO विश्व धरोहर: 2021 में घोषित
- पर्यटन: महत्वपूर्ण पुरातात्विक पर्यटन स्थल
- शोध: हड़प्पा संस्कृति के अध्ययन का महत्वपूर्ण केंद्र
- शिक्षा: प्राचीन प्रौद्योगिकी का अध्ययन
- संरक्षण: सांस्कृतिक विरासत संरक्षण का मॉडल
धौलावीरा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धौलावीरा की नगर योजना सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे व्यवस्थित और उन्नत योजना थी, जो त्रिस्तरीय थी:
1. किला (उच्च भाग): नगर का सबसे ऊँचा हिस्सा जो दुर्गीकृत था। यहाँ प्रशासनिक और धार्मिक इमारतें स्थित थीं। इस भाग में शासक वर्ग रहता था और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे।
2. मध्य नगर: किले के नीचे स्थित यह भाग अभिजात वर्ग के आवास के लिए था। यहाँ के मकान उच्च गुणवत्ता वाले थे और इनमें बेहतर सुविधाएं थीं।
3. निचला नगर: सबसे बाहरी हिस्सा जहाँ सामान्य जनता और शिल्पकार रहते थे। यहाँ बाजार और शिल्प उत्पादन के केंद्र थे।
इसके अलावा, नगर में एक विशाल स्टेडियम (283 मीटर लंबा) था जो सामूहिक समारोहों के लिए प्रयोग होता था। सड़कें ग्रिड पैटर्न में बनी थीं और जल निकासी की उन्नत व्यवस्था थी।
धौलावीरा का जल प्रबंधन प्रणाली प्राचीन भारत की जल प्रबंधन तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है:
जल संचयन संरचनाएं:
- 16 जलाशय: विभिन्न आकारों के जलाशय बनाए गए थे
- बाँध: मानसूनी नदियों पर बाँध बनाकर जल रोका जाता था
- नहरें: जलाशयों को आपस में जोड़ने वाली नहरें
- तालाब: वर्षा जल संचयन के लिए तालाब
तकनीकी विशेषताएं:
- जलाशय पत्थरों से मजबूती से बनाए गए थे ताकि जल का रिसाव न हो
- नहरों में जल के प्रवाह को नियंत्रित करने की व्यवस्था थी
- अतिरिक्त जल के निस्तारण की उचित व्यवस्था थी
- जल को शुद्ध करने के लिए प्राकृतिक फिल्टरेशन सिस्टम था
यह प्रणाली इतनी कारगर थी कि रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद पूरे वर्ष जल की आपूर्ति सुनिश्चित होती थी।
धौलावीरा की खोज का इतिहास:
खोजकर्ता: जगपति जोशी
खोज का वर्ष: 1967-68
संस्था: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण
उत्खनन:
- प्रारंभिक उत्खनन: 1989-90
- व्यापक उत्खनन: 1990-2005 (आर. एस. बिष्ट के नेतृत्व में)
- नवीनतम शोध: अभी भी जारी है
महत्व: यह खोज सिंधु घाटी सभ्यता के दक्षिणी विस्तार को प्रमाणित करती है और हड़प्पा संस्कृति की जटिलता और विस्तार को दर्शाती है।
धौलावीरा और हड़प्पा दोनों सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण नगर थे, लेकिन इनमें कई अंतर थे:
स्थान:
- धौलावीरा: कच्छ जिला, गुजरात (दक्षिणी सीमांत)
- हड़प्पा: पंजाब, पाकिस्तान (उत्तरी क्षेत्र)
नगर योजना:
- धौलावीरा: त्रिस्तरीय योजना (किला, मध्य नगर, निचला नगर)
- हड़प्पा: द्विस्तरीय योजना (दुर्ग और निचला नगर)
निर्माण सामग्री:
- धौलावीरा: पत्थर प्रधान (स्थानीय सामग्री का उपयोग)
- हड़प्पा: ईंट प्रधान
जल प्रबंधन:
- धौलावीरा: 16 जलाशय, बाँध, नहरें (व्यापक प्रणाली)
- हड़प्पा: कुएं और नालियाँ (सीमित प्रणाली)
आर्थिक आधार:
- धौलावीरा: कृषि और शिल्प उत्पादन
- हड़प्पा: कृषि और व्यापार
कालखंड:
- धौलावीरा: 2650-1450 ईसा पूर्व (1200 वर्ष)
- हड़प्पा: 2600-1900 ईसा पूर्व (700 वर्ष)
ये अंतर हड़प्पा संस्कृति की विविधता और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलन क्षमता को दर्शाते हैं।
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