राज्यपाल: संवैधानिक प्रमुख
राजस्थान के राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है, लेकिन वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना रहता है। राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का औपचारिक प्रमुख होता है और सभी कार्यपालिका कार्य उसके नाम से किए जाते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
वर्तमान राज्यपाल: कलराज मिश्र (सितंबर 2019 से)
पहले राज्यपाल: महाराजा मान सिंह II (1949-1956)
पहली महिला राज्यपाल: प्रतिभा पाटिल (2004-2007)
सबसे लंबा कार्यकाल: सरदार हुकम सिंह (1967-1972)
शपथ: राज्यपाल की शपथ राज्य के मुख्य न्यायाधीश दिलवाते हैं
राज्यपाल की नियुक्ति, योग्यता और कार्यकाल
नियुक्ति प्रक्रिया
- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है
- वास्तव में नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर होती है
- राज्यपाल का चयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है
- नियुक्ति से पहले संबंधित राज्य की मुख्यमंत्री से सलाह ली जा सकती है (संवैधानिक रिवाज)
- राज्यपाल राज्य का मुख्यमंत्री नहीं हो सकता
योग्यताएँ
- वह भारत का नागरिक हो
- वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
- वह संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य न हो
- वह लाभ के पद पर न हो
- कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता आवश्यक नहीं
कार्यकाल और पदच्युति
राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना रहता है। राष्ट्रपति किसी भी समय राज्यपाल को हटा सकता है। राज्यपाल राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी नया राज्यपाल नियुक्त न होने तक वह पद पर बना रह सकता है। एक व्यक्ति एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
राज्यपाल के शक्तियाँ और कार्य
कार्यपालिक शक्तियाँ
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना
- मुख्यमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करना
- राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति करना
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करना
- मुख्यमंत्री से सरकार के कार्यों की जानकारी मांगना
विधायी शक्तियाँ
- विधानसभा का सत्र बुलाना, स्थगित करना और भंग करना
- विधानसभा में अभिभाषण देना
- विधेयकों पर अनुमति देना या रोकना
- अध्यादेश जारी करना
- विधान परिषद का गठन करना
वित्तीय शक्तियाँ
- विधानसभा में धन विधेयक पेश करने की अनुमति देना
- आकस्मिकता निधि से अग्रिम निकासी की अनुमति देना
- वित्त आयोग की नियुक्ति करना
- राज्य के बजट को विधानसभा में पेश करना
न्यायिक शक्तियाँ
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में भाग लेना
- दंडादेशों को कम करना, माफ करना या निलंबित करना
- न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति करना
- मृत्युदंड के मामले में राष्ट्रपति से क्षमा की सिफारिश करना
विवेकाधीन शक्तियाँ
राज्यपाल के पास कुछ विवेकाधीन शक्तियाँ भी होती हैं, जिनका प्रयोग वह मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना कर सकता है। इनमें शामिल हैं: मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना, विधानसभा भंग करना, राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करना, और कुछ विशेष परिस्थितियों में अध्यादेश जारी करना। ये शक्तियाँ राज्यपाल को संवैधानिक संकट की स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर देती हैं।
राजस्थान के राज्यपालों की सूची (1949 से अब तक)
क्रम | नाम | कार्यकाल | पदावधि | विशेष टिप्पणी |
---|---|---|---|---|
1 | महाराजा मान सिंह II | 30 मार्च 1949 - 31 अक्टूबर 1956 | 7 वर्ष, 215 दिन | राजप्रमुख, जयपुर के महाराजा |
2 | गुरुमुख निहाल सिंह | 1 नवंबर 1956 - 16 अप्रैल 1962 | 5 वर्ष, 166 दिन | पहले पूर्णकालिक राज्यपाल |
3 | सरदार सampूरन सिंह | 16 अप्रैल 1962 - 16 अप्रैल 1967 | 5 वर्ष | पूर्व केंद्रीय मंत्री |
4 | सरदार हुकम सिंह | 16 अप्रैल 1967 - 15 जून 1972 | 5 वर्ष, 60 दिन | सबसे लंबा कार्यकाल |
5 | श्री कोठा | 15 जून 1972 - 10 फरवरी 1977 | 4 वर्ष, 240 दिन | पूर्व मुख्यमंत्री (केरल) |
6 | रघुकुल तिलक | 10 फरवरी 1977 - 11 मई 1977 | 90 दिन | सबसे छोटा कार्यकाल |
7 | कंवर कर्ण सिंह | 11 मई 1977 - 21 सितंबर 1977 | 133 दिन | पूर्व केंद्रीय मंत्री |
8 | रघुकुल तिलक | 22 सितंबर 1977 - 16 फरवरी 1981 | 3 वर्ष, 147 दिन | दूसरी बार राज्यपाल |
9 | श्री ओम प्रकाश मेहरा | 17 फरवरी 1981 - 4 मार्च 1982 | 1 वर्ष, 15 दिन | पूर्व एयर चीफ मार्शल |
10 | श्री वीरेंद्र वर्मा | 5 मार्च 1982 - 14 अक्टूबर 1984 | 2 वर्ष, 223 दिन | पूर्व सांसद |
11 | श्री कोठा | 15 अक्टूबर 1984 - 19 अप्रैल 1985 | 186 दिन | दूसरी बार राज्यपाल |
12 | श्री वीरेंद्र वर्मा | 20 अप्रैल 1985 - 14 फरवरी 1987 | 1 वर्ष, 300 दिन | दूसरी बार राज्यपाल |
13 | श्री सुखदेव प्रसाद | 15 फरवरी 1987 - 3 फरवरी 1988 | 354 दिन | पूर्व मुख्यमंत्री (बिहार) |
14 | श्री देवकी नंदन पांडे | 4 फरवरी 1988 - 13 फरवरी 1990 | 2 वर्ष, 9 दिन | पूर्व राजनयिक |
15 | श्री स्वरूप सिंह | 14 फरवरी 1990 - 25 फरवरी 1990 | 11 दिन | अंतरिम राज्यपाल |
16 | श्री मारोतराव कन्नमवार | 26 फरवरी 1990 - 14 अगस्त 1991 | 1 वर्ष, 169 दिन | पूर्व मुख्यमंत्री (मध्य प्रदेश) |
17 | श्री दौलत सिंह | 15 अगस्त 1991 - 4 अप्रैल 1992 | 233 दिन | पूर्व पुलिस अधिकारी |
18 | श्री स्वरूप सिंह | 5 अप्रैल 1992 - 31 मई 1993 | 1 वर्ष, 56 दिन | दूसरी बार राज्यपाल |
19 | श्री मारोतराव कन्नमवार | 1 जून 1993 - 30 मई 1998 | 4 वर्ष, 363 दिन | दूसरी बार राज्यपाल |
20 | श्री नवरंग लाल तिब्बारेवाल | 31 मई 1998 - 13 जनवरी 1999 | 227 दिन | पूर्व राजनयिक |
21 | श्री अनशुमान सिंह | 14 जनवरी 1999 - 13 मई 2003 | 4 वर्ष, 119 दिन | पूर्व सांसद |
22 | श्री मदन लाल खुराना | 14 मई 2003 - 20 सितंबर 2003 | 129 दिन | पूर्व मुख्यमंत्री (दिल्ली) |
23 | श्री तोगड़िया राम सिंह | 21 सितंबर 2003 - 13 जनवरी 2004 | 114 दिन | पूर्व राजनयिक |
24 | श्रीमती प्रतिभा पाटिल | 14 जनवरी 2004 - 22 जून 2007 | 3 वर्ष, 159 दिन | पहली महिला राज्यपाल, बाद में राष्ट्रपति |
25 | श्री अखलाकुर रहमान किदवई | 23 जून 2007 - 5 सितंबर 2009 | 2 वर्ष, 74 दिन | पूर्व राजनयिक |
26 | श्री शिवराज पाटिल | 6 सितंबर 2009 - 25 जनवरी 2010 | 141 दिन | पूर्व केंद्रीय मंत्री |
27 | श्री प्रभा राव | 26 जनवरी 2010 - 6 अप्रैल 2012 | 2 वर्ष, 71 दिन | पूर्व मुख्यमंत्री (आंध्र प्रदेश) |
28 | श्री मार्गरेट अल्वा | 7 अप्रैल 2012 - 5 अगस्त 2014 | 2 वर्ष, 120 दिन | पूर्व केंद्रीय मंत्री |
29 | श्री राम नरेश यादव | 6 अगस्त 2014 - 8 सितंबर 2019 | 5 वर्ष, 33 दिन | पूर्व मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) |
30 | श्री कलराज मिश्र | 9 सितंबर 2019 - वर्तमान | - | पूर्व केंद्रीय मंत्री |
राज्यपाल के विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ
कानूनी उन्मुक्ति
राज्यपाल अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी न्यायालय में किसी भी कार्य के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं है। उसके विरुद्ध कोई भी आपराधिक मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता और न ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
वेतन और भत्ते
राज्यपाल का वेतन राज्य की संचित निधि से दिया जाता है जिस पर कोई मतदान नहीं होता। उसे निवास, यात्रा और अन्य सुविधाएं मुफ्त में प्राप्त होती हैं। वर्तमान में राज्यपाल का मासिक वेतन ₹350,000 है।
पदच्युति के बाद की सुविधाएं
राज्यपाल के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उसे पेंशन, निःशुल्क आवास, चिकित्सा सुविधाएं और अन्य भत्ते प्राप्त होते हैं।
राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के संबंध
मंत्रिपरिषद के कर्तव्य
- राज्यपाल को सलाह देना
- राज्य प्रशासन से संबंधित सभी जानकारी देना
- मंत्रिपरिषद के निर्णयों से अवगत कराना
- विधानसभा में बहुमत सिद्ध करना
- राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में काम करना
राज्यपाल के अधिकार
- मंत्रिपरिषद की सलाह मानने का दायित्व
- सलाह पर पुनर्विचार करने को कहना
- कुछ मामलों में स्वविवेक से कार्य करना
- राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करना
- विधानसभा भंग करने की सिफारिश करना
संवैधानिक संबंध
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होगा। राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में वह अपने विवेक से कार्य कर सकता है। यह संबंध संवैधानिक प्रावधानों और परंपराओं पर आधारित है।
राजस्थान राज्यपाल: महत्वपूर्ण तथ्य
संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल
अनुच्छेद 155: राज्यपाल की नियुक्ति
अनुच्छेद 156: राज्यपाल की पदावधि
अनुच्छेद 157: राज्यपाल नियुक्त होने की योग्यताएं
अनुच्छेद 158: राज्यपाल के पद की शर्तें
राजभवन (गवर्नर हाउस)
राजस्थान के राज्यपाल का आधिकारिक निवास जयपुर में स्थित राजभवन है। इस भवन का निर्माण 1866 में हुआ था और यह 42 एकड़ में फैला हुआ है। राजभवन में राज्यपाल का कार्यालय, आवास और अतिथि कक्ष हैं। यहाँ पर राज्य के महत्वपूर्ण समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राजभवन की स्थापत्य कला राजस्थानी और मुगल शैली का अनूठा संगम है।
राज्यपाल के विशेष अधिकार
राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश (अनुच्छेद 356)
वित्तीय आपातकाल की सिफारिश (अनुच्छेद 360)
कुछ विधेयकों पर राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित रखना
अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद 213)
राज्य की शांति और सुरक्षा के लिए आपातकालीन शक्तियाँ
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQs)
उत्तर:
1. (b) महाराजा मान सिंह II
2. (b) राष्ट्रपति
3. (b) प्रतिभा पाटिल