राजस्थान स्थानीय स्वशासन: परिचय
राजस्थान स्थानीय स्वशासन व्यवस्था भारतीय संविधान के 73वें और 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 के आधार पर संचालित होती है। यह व्यवस्था ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन के लिए संवैधानिक आधार प्रदान करती है। राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था त्रिस्तरीय है जबकि नगरीय निकाय विभिन्न प्रकार के होते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
73वां संविधान संशोधन लागू: 24 अप्रैल 1993
74वां संविधान संशोधन लागू: 1 जून 1993
पंचायती राज दिवस: 24 अप्रैल
ग्राम पंचायतों की संख्या: 9,894
नगरीय निकायों की संख्या: 190
महिला आरक्षण: 50%
पंचायती राज व्यवस्था
राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था त्रिस्तरीय है जिसमें ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद शामिल हैं। यह व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और प्रशासन के लिए जिम्मेदार है।
ग्राम पंचायत
ग्राम स्तर की सबसे छोटी इकाई जो एक या एक से अधिक गाँवों से मिलकर बनती है।
सदस्य: सरपंच, उपसरपंच, पंच
पंचायत समिति
प्रखंड स्तर की इकाई जो कई ग्राम पंचायतों से मिलकर बनती है।
सदस्य: प्रधान, उपप्रधान, सदस्य
जिला परिषद
जिला स्तर की सर्वोच्च पंचायती राज संस्था जो पूरे जिले का प्रतिनिधित्व करती है।
सदस्य: जिला प्रमुख, उपजिला प्रमुख, सदस्य
पंचायती राज व्यवस्था के कार्य
- कृषि और सिंचाई का विकास
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन
- सड़कों और भवनों का निर्माण एवं रखरखाव
- ग्रामीण रोजगार योजनाओं का क्रियान्वयन
- सामाजिक न्याय और अधिकारों का संरक्षण
- ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन
नगरीय स्वशासन व्यवस्था
राजस्थान में नगरीय क्षेत्रों के लिए विभिन्न प्रकार के नगरीय निकाय कार्यरत हैं जिनमें नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका शामिल हैं। ये निकाय शहरी क्षेत्रों के विकास और प्रशासन के लिए उत्तरदायी हैं।
नगर निगम
बड़े शहरों के लिए स्थापित नगरीय निकाय। राजस्थान में 9 नगर निगम हैं।
- प्रमुख: महापौर
- प्रशासनिक अधिकारी: आयुक्त
- सदस्य: पार्षद
- उदाहरण: जयपुर, जोधपुर, कोटा
नगर परिषद
मध्यम आकार के शहरों के लिए स्थापित नगरीय निकाय। राजस्थान में 34 नगर परिषद हैं।
- प्रमुख: अध्यक्ष
- प्रशासनिक अधिकारी: मुख्य नगर अधिकारी
- सदस्य: सदस्य
- उदाहरण: अजमेर, भरतपुर, उदयपुर
नगर पालिका
छोटे शहरों और कस्बों के लिए स्थापित नगरीय निकाय। राजस्थान में 147 नगर पालिकाएं हैं।
- प्रमुख: अध्यक्ष
- प्रशासनिक अधिकारी: कार्यकारी अधिकारी
- सदस्य: सदस्य
- उदाहरण: सीकर, झुंझुनू, पाली
राजस्थान स्थानीय स्वशासन का इतिहास
1959
बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिश पर देश में पहली बार पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत
2 अक्टूबर 1959
नागौर जिले के बगदरी गाँव में देश की पहली पंचायत का गठन
1973
राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद अधिनियम पारित
1992
संविधान के 73वें और 74वें संशोधन अधिनियम पारित
1994
राजस्थान पंचायती राज अधिनियम लागू
2000
राजस्थान में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू
2010
महिला आरक्षण को 50% तक बढ़ाया गया
2015
राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम लागू
स्थानीय स्वशासन के महत्वपूर्ण आँकड़े
विवरण | संख्या | टिप्पणी |
---|---|---|
जिला परिषद | 33 | प्रत्येक जिले में एक |
पंचायत समितियाँ | 295 | प्रखंड स्तर पर |
ग्राम पंचायतें | 9,894 | ग्राम स्तर पर |
नगर निगम | 9 | बड़े शहरों के लिए |
नगर परिषद | 34 | मध्यम शहरों के लिए |
नगर पालिका | 147 | छोटे शहरों के लिए |
कुल नगरीय निकाय | 190 | संपूर्ण राज्य |
निर्वाचित प्रतिनिधि | 1,00,000+ | सभी स्थानीय निकायों में |
महिला प्रतिनिधि | 50,000+ | 50% आरक्षण के कारण |
स्थानीय स्वशासन में आरक्षण
महिलाओं के लिए आरक्षण: 50% (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC महिलाओं के लिए उप-आरक्षण सहित)
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण: जनसंख्या के अनुपात में
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण: जनसंख्या के अनुपात में
OBC के लिए आरक्षण: राज्य सरकार द्वारा निर्धारित
स्थानीय स्वशासन के कार्य और शक्तियाँ
पंचायती राज संस्थाओं के कार्य
- कृषि, पशुपालन और सिंचाई का विकास
- प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का प्रबंधन
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाएं
- सड़कों, पुलों और भवनों का निर्माण
- पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था
- ग्रामीण विद्युतीकरण
- सामाजिक वानिकी और पर्यावरण संरक्षण
नगरीय निकायों के कार्य
- सड़कों और फुटपाथों का निर्माण और रखरखाव
- जल आपूर्ति और स्वच्छता व्यवस्था
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
- स्ट्रीट लाइटिंग की व्यवस्था
- स्लम विकास और आवास योजनाएं
- अग्निशमन सेवाएं
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं
स्थानीय स्वशासन की वित्तीय शक्तियाँ
स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। इन्हें कर लगाने और संग्रह करने की शक्तियाँ भी प्राप्त हैं, जैसे:
- संपत्ति कर
- जल कर
- स्वच्छता कर
- होटल और ढाबे पर कर
- मनोरंजन कर
- विज्ञापन कर
राजस्थान स्थानीय स्वशासन: परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
महत्वपूर्ण तथ्य संग्रह
देश की पहली पंचायत: 2 अक्टूबर 1959 को नागौर जिले के बगदरी गाँव में स्थापित
पंचायती राज दिवस: 24 अप्रैल (73वें संविधान संशोधन के लागू होने के उपलक्ष्य में)
राजस्थान पंचायती राज अधिनियम: 1994 में लागू
महिला आरक्षण: 50% (राजस्थान देश का पहला राज्य जहाँ 50% आरक्षण लागू किया गया)
पंचायतों का कार्यकाल: 5 वर्ष
राज्य चुनाव आयोग: पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव करवाने के लिए उत्तरदायी
राज्य वित्त आयोग: स्थानीय निकायों के वित्तीय संसाधनों की समीक्षा के लिए गठित
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