राजस्थान संवैधानिक प्रावधान: परिचय

राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है जिसका गठन 30 मार्च 1949 को हुआ था। भारतीय संविधान के अनुसार, राजस्थान को विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। राज्य का अपना संविधान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार शासित होता है। राजस्थान के संवैधानिक प्रावधानों में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, विधानसभा, उच्च न्यायालय और अन्य संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका और शक्तियाँ शामिल हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

राजस्थान दिवस: 30 मार्च

राजधानी: जयपुर (गुलाबी नगरी)

विधानसभा सदस्य: 200

लोकसभा सीटें: 25

राज्यसभा सीटें: 10

संवैधानिक आधार: भारतीय संविधान भाग VI

राजस्थान का ऐतिहासिक संवैधानिक विकास

1949

30 मार्च को राजस्थान का गठन (7 चरणों में पूरा हुआ)

1950

भारतीय संविधान लागू होने के साथ राजस्थान को 'ब' श्रेणी का राज्य घोषित किया गया

1956

राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत राजस्थान का वर्तमान स्वरूप स्थापित हुआ

1956

अजमेर राज्य का राजस्थान में विलय

1958

राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना

1973

राजस्थान लोक सेवा आयोग का गठन

राजस्थान का गठन सात चरणों में पूरा हुआ था। पहले चरण में मत्स्य संघ का गठन हुआ, जिसमें अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली रियासतें शामिल थीं। अंतिम चरण में 30 मार्च 1949 को जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासतों के विलय से राजस्थान का गठन पूरा हुआ।

राजस्थान की संवैधानिक संरचना

राजस्थान भारतीय संविधान के भाग VI के अंतर्गत आता है, जिसमें अनुच्छेद 153 से 167 तक राज्य सरकार के बारे में प्रावधान हैं। राज्य की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का गठन संविधान के इन्हीं प्रावधानों के अनुसार होता है।

राज्यपाल

राजस्थान के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और उसके पास कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका से संबंधित महत्वपूर्ण शक्तियाँ होती हैं।

मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद

मुख्यमंत्री राज्य की वास्तविक कार्यपालिका का प्रमुख होता है। विधानसभा में बहुमत दल के नेता को राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है। मुख्यमंत्री की सलाह पर ही राज्यपाल अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

वर्तमान मुख्यमंत्री

राजस्थान के मुख्यमंत्री

श्री भजन लाल शर्मा

  • कार्यकाल: 15 दिसंबर 2023 - वर्तमान
  • जन्म: 15 दिसंबर 1967
  • शिक्षा: राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर
  • निर्वाचन क्षेत्र: सांगानेर
  • राजनीतिक दल: भारतीय जनता पार्टी

राजस्थान विधानसभा

राजस्थान विधानसभा एक सदनीय विधायिका है जिसमें 200 सदस्य होते हैं। विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन इसे राज्यपाल द्वारा पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा के सदस्यों का चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है।

विधानसभा अवधि मुख्यमंत्री विशेष तथ्य
पहली 1952-1957 श्री हीरा लाल शास्त्री राजस्थान की पहली विधानसभा
दूसरी 1957-1962 श्री मोहन लाल सुखाड़िया पहली पूर्ण बहुमत सरकार
पंद्रहवीं 2018-2023 श्री अशोक गहलोत कांग्रेस सरकार
सोलहवीं 2023-वर्तमान श्री भजन लाल शर्मा भाजपा सरकार

राजस्थान उच्च न्यायालय

स्थापना

21 जून 1949 (जोधपुर में)

मुख्य न्यायाधीश

श्री मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव

न्यायाधीश

50 (अधिकतम स्वीकृत संख्या)

खंडपीठ

जयपुर (मुख्य), जोधपुर

राजस्थान उच्च न्यायालय की विशेष शक्तियाँ

राजस्थान उच्च न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी करने की शक्ति प्राप्त है। यह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में रिट जारी कर सकता है। इसके अलावा, उच्च न्यायालय को अपीलीय और प्रशासनिक क्षेत्राधिकार भी प्राप्त है।

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

श्री मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव

मुख्य न्यायाधीश का परिचय

  • नियुक्ति तिथि: 15 अक्टूबर 2021
  • शिक्षा: एलएलबी, विधि स्नातक
  • पूर्व अनुभव: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
  • उल्लेखनीय निर्णय: पर्यावरण संरक्षण और नागरिक अधिकारों से संबंधित मामले

राजस्थान के संवैधानिक अनुच्छेद और विशेष प्रावधान

अनुच्छेद 371

राजस्थान के संदर्भ में अनुच्छेद 371 का विशेष महत्व है। इसके तहत राज्य के विशेष क्षेत्रों के विकास के लिए प्रावधान किए गए हैं। राजस्थान के आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए इस अनुच्छेद के तहत विशेष योजनाएँ बनाई जाती हैं।

अनुच्छेद 333

राजस्थान विधानसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय के एक सदस्य को मनोनीत करने का प्रावधान है, यदि राज्यपाल को लगता है कि इस समुदाय का विधानसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

अनुच्छेद 342

राजस्थान में अनुसूचित जनजातियों की सूची इसी अनुच्छेद के तहत तैयार की गई है। राज्य में मीणा, भील, सहरिया, डामोर आदि जनजातियाँ अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आती हैं।

पंचायती राज व्यवस्था

राजस्थान पंचायती राज व्यवस्था का जन्मस्थान माना जाता है। 2 अक्टूबर 1959 को नागौर जिले में देश की पहली पंचायत का गठन किया गया था। संविधान के 73वें संशोधन के बाद राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 लागू किया गया।

स्तर संख्या प्रमुख चुनाव
ग्राम पंचायत 9,895 सरपंच प्रत्यक्ष
पंचायत समिति 295 प्रधान अप्रत्यक्ष
जिला परिषद 33 जिला प्रमुख अप्रत्यक्ष

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC)

राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना 20 अगस्त 1949 को की गई थी। यह एक संवैधानिक निकाय है जिसका गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 के तहत किया गया है। आयोग का मुख्य कार्य राज्य सरकार के अधीन विभिन्न सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया संचालित करना है।

आयोग के कार्य

  • राज्य सिविल सेवाओं के लिए परीक्षा आयोजित करना
  • सरकारी नौकरियों में भर्ती के नियम बनाना
  • पदोन्नति और स्थानांतरण से संबंधित सलाह देना
  • अनुशासनात्मक मामलों पर सरकार को सलाह देना

आयोग की संरचना

  • अध्यक्ष: श्री संजय श्रोत्रिय
  • सदस्य: अधिकतम 6
  • मुख्यालय: अजमेर
  • स्थापना: 20 अगस्त 1949

राजस्थान में स्थानीय स्वशासन

राजस्थान में स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार की गई है। राज्य में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका जैसी संस्थाएँ स्थानीय शासन चलाती हैं। वर्तमान में राज्य में 10 नगर निगम, 34 नगर परिषद और 169 नगर पालिकाएँ हैं।

नगर निगम

जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, भरतपुर, अलवर, सीकर और प्रतापगढ़ में नगर निगम हैं। ये बड़े शहरी क्षेत्रों का प्रशासन संभालते हैं।

नगर परिषद

मध्यम आकार के शहरों में नगर परिषदें गठित की गई हैं। इनका गठन 15,000 से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में किया जाता है।

नगर पालिका

छोटे शहरी क्षेत्रों में नगर पालिकाएँ कार्यरत हैं। इनका गठन 5,000 से 15,000 की जनसंख्या वाले क्षेत्रों में किया जाता है।

राजस्थान के लिए विशेष संवैधानिक प्रावधान

राजस्थान के विशेष भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए संविधान में कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रावधान हैं:

महत्वपूर्ण विशेष प्रावधान

अनुसूचित क्षेत्र (अनुच्छेद 244): राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्था

राजस्थान राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण

पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना क्षेत्र के लिए विशेष विकास योजनाएँ

मरुस्थल विकास कार्यक्रम के लिए विशेष प्रावधान

राजस्थान में अनुसूचित क्षेत्र

राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित आदिवासी बहुल क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। पांचवीं अनुसूची के तहत इन क्षेत्रों के विकास के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन किया गया है।

राजस्थान संवैधानिक प्रावधान: परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

महत्वपूर्ण तथ्य सारांश

  • राजस्थान का गठन: 30 मार्च 1949
  • राजधानी: जयपुर
  • विधानसभा सदस्य: 200
  • लोकसभा सीटें: 25
  • राज्यसभा सीटें: 10
  • उच्च न्यायालय: जोधपुर (मुख्य), जयपुर (खंडपीठ)
  • राज्यपाल: कलराज मिश्र
  • मुख्यमंत्री: भजन लाल शर्मा
  • राजस्थान लोक सेवा आयोग: अजमेर
  • राजस्थान का क्षेत्रफल: 3,42,239 वर्ग किमी (भारत का सबसे बड़ा राज्य)
1. राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई थी?
A. 15 अगस्त 1947
B. 26 जनवरी 1950
C. 21 जून 1949
D. 1 नवंबर 1956
2. राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत कहाँ से हुई?
A. जयपुर
B. उदयपुर
C. बीकानेर
D. नागौर
3. राजस्थान विधानसभा में कुल कितने सदस्य हैं?
A. 250
B. 200
C. 225
D. 180