राजस्थान न्यायपालिका: परिचय
राजस्थान न्यायपालिका राज्य की न्यायिक व्यवस्था का प्रमुख अंग है जिसका गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत किया गया है। यह न्यायिक समीक्षा की शक्ति रखती है और संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करती है। राजस्थान न्यायपालिका का शीर्ष न्यायालय राजस्थान उच्च न्यायालय है जो जोधपुर में स्थित है।
महत्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान उच्च न्यायालय स्थापना: 21 जून 1949
उच्च न्यायालय स्थान: जोधपुर (मुख्य पीठ), जयपुर में खंडपीठ
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव
जिला न्यायालयों की संख्या: 50
संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 214 से 231
न्यायपालिका की संरचना और संगठन
उच्च न्यायालय
राजस्थान का उच्च न्यायालय जोधपुर में स्थित है और यह राज्य का सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण है।
जिला न्यायालय
राज्य में 50 जिला न्यायालय हैं जो जिला स्तर पर न्यायिक कार्यों का संचालन करते हैं।
अधीनस्थ न्यायालय
सिविल न्यायालय, दंड न्यायालय, सेशन कोर्ट और मजिस्ट्रेट कोर्ट अधीनस्थ न्यायालयों के अंतर्गत आते हैं।
विशेष न्यायालय
फास्ट ट्रैक कोर्ट, लोक अदालत, महिला अदालत और अन्य विशेष न्यायालय विशिष्ट मामलों की सुनवाई करते हैं।
न्यायपालिका का पदानुक्रम
राजस्थान न्यायपालिका का पदानुक्रम निम्नलिखित है: 1. राजस्थान उच्च न्यायालय → 2. जिला एवं सत्र न्यायालय → 3. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय → 4. सिविल जज (वरिष्ठ विभाग) → 5. सिविल जज (कनिष्ठ विभाग) → 6. मुंसिफ न्यायालय → 7. दंड न्यायालय (मजिस्ट्रेट)।
राजस्थान उच्च न्यायालय

न्यायमूर्ति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव
मुख्य न्यायाधीश
राजस्थान उच्च न्यायालय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
- स्थापना: 21 जून 1949
- स्थान: जोधपुर (मुख्य पीठ), जयपुर में खंडपीठ
- मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव
- न्यायाधीशों की संख्या: 50 (सामान्य स्थिति में)
- अधिकार क्षेत्र: राजस्थान राज्य
उच्च न्यायालय की शक्तियाँ
- मूल अधिकार क्षेत्र: मौलिक अधिकारों से संबंधित मामले
- अपीलीय अधिकार क्षेत्र: निचली अदालतों के फैसलों के विरुद्ध अपील
- पर्यवेक्षी अधिकार क्षेत्र: अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
- रिट जारी करने की शक्ति: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध आदि
- न्यायिक समीक्षा: कानूनों और सरकारी कार्यों की संवैधानिकता की जांच
उच्च न्यायालय के कार्य
- संवैधानिक मामलों की सुनवाई
- सिविल और आपराधिक मामलों में अपील सुनना
- अधीनस्थ न्यायालयों का पर्यवेक्षण
- रिट याचिकाओं पर सुनवाई
- न्यायिक प्रशासन और न्यायाधीशों का प्रबंधन
राजस्थान न्यायिक सेवा
राजस्थान न्यायिक सेवा राज्य की न्यायपालिका का महत्वपूर्ण अंग है जिसके माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। राजस्थान उच्च न्यायालय और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) मिलकर न्यायिक सेवा परीक्षा आयोजित करते हैं।
पद | नियुक्ति | योग्यता | कार्यकाल | वेतनमान |
---|---|---|---|---|
जिला जज | राज्यपाल (उच्च न्यायालय की सलाह पर) | 7 वर्ष की अधिवक्ता अनुभव या न्यायिक सेवा में पदोन्नति | 58 वर्ष की आयु तक | ₹1,44,840 - ₹2,24,100 |
अपर जिला जज | राज्यपाल (उच्च न्यायालय की सलाह पर) | 5 वर्ष की न्यायिक सेवा | 58 वर्ष की आयु तक | ₹1,23,100 - ₹2,15,900 |
वरिष्ठ सिविल जज | राज्यपाल (उच्च न्यायालय की सलाह पर) | 3 वर्ष की न्यायिक सेवा | 58 वर्ष की आयु तक | ₹78,800 - ₹1,91,500 |
सिविल जज | राज्यपाल (उच्च न्यायालय की सलाह पर) | RJS परीक्षा उत्तीर्ण | 58 वर्ष की आयु तक | ₹77,840 - ₹1,36,520 |
RJS परीक्षा पैटर्न
राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है: 1. प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ प्रश्न), 2. मुख्य परीक्षा (वर्णनात्मक प्रश्न), 3. साक्षात्कार। प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य ज्ञान, भारतीय संविधान, भारतीय दंड संहिता, सिविल प्रक्रिया संहिता, साक्ष्य अधिनियम आदि विषय शामिल होते हैं।
राजस्थान न्यायपालिका का इतिहास
1949
21 जून को राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना
1950
भारतीय संविधान लागू होने के साथ न्यायपालिका को संवैधानिक दर्जा
1956
राजस्थान पुनर्गठन अधिनियम के बाद न्यायिक व्यवस्था का पुनर्गठन
1977
जयपुर में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित
1985
लोक अदालत व्यवस्था की शुरुआत
2000
फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना
2010
ई-कोर्ट परियोजना की शुरुआत
2017
वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना
2020
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से Virtual Court की शुरुआत
न्यायपालिका की शक्तियाँ और कार्य
संवैधानिक शक्तियाँ
- संविधान की व्याख्या करने की शक्ति
- मौलिक अधिकारों का संरक्षण
- केंद्र और राज्य के बीच विवादों का निपटारा
- राष्ट्रपति और राज्यपाल से परामर्श
- न्यायिक समीक्षा की शक्ति
प्रशासनिक शक्तियाँ
- अधीनस्थ न्यायालयों का पर्यवेक्षण
- न्यायिक सेवा के सदस्यों की नियुक्ति
- न्यायालयों का प्रबंधन और नियंत्रण
- न्यायिक अकादमी का संचालन
- न्यायिक जांच का गठन
न्यायिक कार्य
- सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई
- रिट याचिकाओं पर सुनवाई
- अपीलों का निपटारा
- न्यायिक पुनर्विलोकन
- निर्णयों और आदेशों का क्रियान्वयन
सलाहकारी कार्य
- राज्यपाल को कानूनी मामलों पर सलाह
- विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों की संवैधानिकता पर राय
- सार्वजनिक महत्व के मामलों पर सरकार को सलाह
- न्यायिक प्रशासन से संबंधित सुझाव
राजस्थान न्यायपालिका: महत्वपूर्ण आंकड़े
विवरण | संख्या | टिप्पणी |
---|---|---|
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश | 50 | सामान्य स्थिति में |
जिला न्यायालय | 50 | प्रत्येक जिले में एक |
अधीनस्थ न्यायालय | 500+ | राज्य भर में |
लंबित मामले | 15 लाख+ | विभिन्न न्यायालयों में |
न्यायिक अधिकारी | 1000+ | राज्य भर में |
फास्ट ट्रैक कोर्ट | 100+ | शीघ्र न्याय के लिए |
न्यायपालिका में सुधार के उपाय
ई-कोर्ट परियोजना: न्यायिक प्रक्रिया का डिजिटलीकरण
फास्ट ट्रैक कोर्ट: शीघ्र न्याय के लिए विशेष अदालतें
महिला अदालतें: महिलाओं से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई
लोक अदालत: विवादों का वैकल्पिक समाधान
Virtual Court: ऑनलाइन सुनवाई की सुविधा
राजस्थान न्यायपालिका: परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
महत्वपूर्ण तथ्य संग्रह
राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश: सर कमलकांत वर्मा
राजस्थान की प्रथम महिला न्यायाधीश: न्यायमूर्ति गीता Mittal (अतिरिक्त न्यायाधीश)
उच्च न्यायालय की खंडपीठ: जयपुर (1977 में स्थापित)
RJS परीक्षा का आयोजन: RPSC और उच्च न्यायालय द्वारा संयुक्त रूप से
न्यायिक सेवा में आरक्षण: SC-16%, ST-12%, OBC-21%, EWS-10%
न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु: उच्च न्यायालय - 62 वर्ष, अधीनस्थ न्यायालय - 58 वर्ष
महत्वपूर्ण रिट: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा
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