प्राचीन भारत का इतिहास: एक परिचय
प्राचीन भारत का इतिहास विश्व की सबसे पुरानी और समृद्ध सभ्यताओं में से एक है। भारतीय उपमहाद्वीप में मानव बस्तियों का इतिहास लगभग 2 लाख वर्ष पुराना है। प्राचीन भारत ने विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्राचीनतम सभ्यता: सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1300 ईसा पूर्व)
प्राचीनतम ग्रंथ: ऋग्वेद (1500-1000 ईसा पूर्व)
प्रथम साम्राज्य: मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व)
स्वर्ण युग: गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी)
प्रमुख धर्म: हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म का उदय
प्रागैतिहासिक काल
भारत में मानव बस्तियों का इतिहास पाषाण युग से शुरू होता है। यह काल मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है:
पुरापाषाण काल (500,000 - 10,000 ईसा पूर्व)
- मानव का आदिम युग, शिकार और भोजन संग्रह
- पत्थर के हथियारों का प्रयोग
- आग की खोज
- भीमबेटका (मध्य प्रदेश) की गुफाएँ
मध्यपाषाण काल (10,000 - 6,000 ईसा पूर्व)
- छोटे पत्थर के उपकरणों का विकास
- पशुपालन की शुरुआत
- कब्रिस्तानों का evidence
- बागोर (राजस्थान) और लंघनज (गुजरात) sites
नवपाषाण काल (6,000 - 1,000 ईसा पूर्व)
- कृषि की शुरुआत, बस्तियों का निर्माण
- पशुपालन और बुनाई का विकास
- मिट्टी के बर्तनों का निर्माण
- मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) - प्रारंभिक कृषि समुदाय
ताम्रपाषाण काल (1,800 - 1,000 ईसा पूर्व)
- तांबे के उपकरणों का प्रयोग
- कृषि और पशुपालन का विकास
- मिट्टी के बर्तनों पर चित्रकारी
- अहार (राजस्थान) और जोर्वे (महाराष्ट्र) sites
सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1300 ईसा पूर्व)
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी शहरी सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई थी।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
मुख्य विशेषताएँ
- व्यवस्थित शहर नियोजन और जल निकास प्रणाली
- अन्नागार और महान स्नानागार (मोहनजोदड़ो)
- मोहरें और मुहर लेखन (अपठित लिपि)
- कांस्य और तांबे के उपकरण
- व्यापार और वाणिज्य का विकास
सिंधु घाटी सभ्यता अपने उन्नत शहरीकरण, वास्तुकला और जल प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध थी। इस सभ्यता के लोग कृषि, पशुपालन और व्यापार में निपुण थे। वे तांबे, कांस्य और टेराकोटा के सामान बनाते थे। सिंधु लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है, जिसके कारण इस सभ्यता के बारे में बहुत सी बातें अज्ञात हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था
धार्मिक विशेषताएँ
- मातृदेवी की पूजा
- पशुपति शिव की मुहर
- वृक्ष और प्रकृति पूजा
- योग और ध्यान की मुद्राएँ
- अंतिम संस्कार: दफनाना और जलाना दोनों
सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, शिल्प और व्यापार पर आधारित थी। वे मेसोपोटामिया और फारस के साथ व्यापार करते थे। सामाजिक रूप से यह समतामूलक समाज था जहाँ विशाल महलों या मंदिरों के कोई evidence नहीं मिले हैं। धार्मिक मान्यताओं में मातृदेवी की पूजा, पशुपति शिव जैसे देवता और प्रकृति पूजा शामिल थी।
वैदिक काल (1500-600 ईसा पूर्व)
वैदिक काल आर्यों के भारत में आगमन और वैदिक साहित्य के विकास का काल था। इस काल को दो भागों में बांटा जाता है: ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ईसा पूर्व) और उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व)।
ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ईसा पूर्व)
- सप्तसिंधु क्षेत्र (सात नदियों का प्रदेश)
- कबीलाई समाज, जन और विश की इकाइयाँ
- मुख्य देवता: इंद्र, अग्नि, वरुण, सोम
- यज्ञ और बलि की प्रधानता
- पशुचारण प्रधान अर्थव्यवस्था
उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व)
- गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में विस्तार
- जनपदों का उदय, राजतंत्रीय व्यवस्था
- वर्ण व्यवस्था का विकास
- ब्रह्मा, विष्णु, शिव की अवधारणा
- कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था
वैदिक साहित्य
महत्वपूर्ण विशेषताएँ
- ऋग्वेद: सबसे प्राचीन वेद, 1028 सूक्त
- यजुर्वेद: यज्ञों के मंत्र और विधियाँ
- सामवेद: संगीतमय मंत्र
- अथर्ववेद: जादू-टोना और लोक मान्यताएँ
- उपनिषद: आत्मा, परमात्मा और मोक्ष की अवधारणा
वैदिक साहित्य भारतीय दर्शन, संस्कृति और धर्म की नींव है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है। वैदिक ऋषियों ने प्रकृति, ब्रह्मांड और मानव जीवन के रहस्यों पर गहन चिंतन किया। उपनिषदों में आत्मा, परमात्मा, कर्म और मोक्ष जैसे गहन दार्शनिक विषयों की चर्चा की गई है।
महाजनपद काल (600-325 ईसा पूर्व)
महाजनपद काल भारत में राज्यों के उदय और विकास का काल था। इस period में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
महाजनपद | राजधानी | वर्तमान क्षेत्र | शासन प्रणाली |
---|---|---|---|
मगध | राजगृह, पाटलिपुत्र | बिहार | राजतंत्र |
कोशल | श्रावस्ती | उत्तर प्रदेश | राजतंत्र |
वत्स | कौशाम्बी | उत्तर प्रदेश | राजतंत्र |
अवन्ति | उज्जयिनी, महिष्मति | मध्य प्रदेश | राजतंत्र |
वज्जि | वैशाली | बिहार | गणतंत्र |
मल्ल | कुशीनगर, पावा | उत्तर प्रदेश | गणतंत्र |
चेदि | शुक्तिमती | बुंदेलखंड | राजतंत्र |
मगध साम्राज्य का उदय
मगध साम्राज्य सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में उभरा। इसके उदय के कारण:
- लौह भंडार और हथियारों की उपलब्धता
- उपजाऊ भूमि और कृषि उत्पादन
- सैन्य शक्ति और महत्वाकांक्षी शासक
- रणनीतिक स्थान: गंगा और सोन नदियों के संगम पर
- प्रशासनिक कुशलता
मगध पर शासन करने वाले प्रमुख वंश: हर्यंक वंश, शिशुनाग वंश, नंद वंश और अंततः मौर्य वंश।
मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व)
मौर्य साम्राज्य भारत का पहला विशाल साम्राज्य था जिसने almost संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया।
चंद्रगुप्त मौर्य (322-298 ईसा पूर्व)
प्रमुख उपलब्धियाँ
- नंद वंश का अंत और मौर्य साम्राज्य की स्थापना
- सेल्यूकस को पराजित कर संधि
- विशाल सेना और कुशल प्रशासन
- अर्थशास्त्र ग्रंथ में प्रशासनिक व्यवस्था
- जैन धर्म अपनाकर संथारा द्वारा मृत्यु
अशोक (273-232 ईसा पूर्व)
प्रमुख उपलब्धियाँ
- कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) और धम्म की नीति
- बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार
- शिलालेखों के माध्यम से प्रशासन
- धर्मयात्राएँ और धर्म प्रचारक
- शांति और कल्याण की नीति
अशोक मौर्य साम्राज्य का सबसे महान शासक माना जाता है। कलिंग युद्ध के भीषण रक्तपात से व्यथित होकर उसने बौद्ध धर्म अपना लिया और धम्म की नीति का पालन किया। उसने पूरे साम्राज्य में शिलालेखों और स्तंभों के माध्यम से अपने संदेश प्रसारित किए। अशोक के शिलालेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में हैं।
मौर्य साम्राज्य का पतन
पतन के कारण
- कमजोर उत्तराधिकारी
- विशाल साम्राज्य का प्रबंधन
- अशोक की अहिंसक नीति
- आर्थिक संकट
- केंद्रीय शक्ति का कमजोर होना
मौर्य साम्राज्य का पतन 185 ईसा पूर्व में हुआ जब अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी। इसके बाद शुंग वंश की स्थापना हुई। मौर्य साम्राज्य ने भारत को एक सूत्र में बांधा और एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था दी।
गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी)
गुप्त साम्राज्य को भारत का "स्वर्ण युग" कहा जाता है। इस period में भारत ने कला, साहित्य, विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में अभूतपूर्व progress किया।
गुप्त शासक और उनकी उपलब्धियाँ
प्रमुख उपलब्धियाँ
- समुद्रगुप्त: भारत का नेपोलियन, प्रयाग प्रशस्ति
- चंद्रगुप्त द्वितीय: विक्रमादित्य, नवरत्न, कालिदास
- सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विकास
- दशमलव प्रणाली और शून्य का आविष्कार
- अजंता और एलोरा की गुफाओं का निर्माण
गुप्त साम्राज्य ने भारत को आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से unprecedented heights पर पहुँचाया। इस period में आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त जैसे विद्वानों ने गणित और खगोलशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कालिदास, विशाखादत्त जैसे साहित्यकारों ने संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया।
गुप्त काल की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ
वैज्ञानिक achievements
- आर्यभट्ट: आर्यभटीय, पृथ्वी की गोलाकारता
- वराहमिहिर: पंचसिद्धांतिका, बृहत्संहिता
- दशमलव प्रणाली और शून्य का आविष्कार
- चिकित्सा: धन्वंतरी, सुश्रुत संहिता
- धातु विज्ञान: दिल्ली का लौह स्तंभ
गुप्त काल भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग था जब भारत ने almost every field में unprecedented progress की। इस period में हिंदू धर्म, कला और साहित्य का पुनरुत्थान हुआ। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में शिक्षा का उच्च स्तर था। गुप्त साम्राज्य का पतन हूणों के आक्रमण और आंतरिक कमजोरियों के कारण हुआ।
प्राचीन भारत: परीक्षा उपयोगी तथ्य
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य और आँकड़े:
महत्वपूर्ण तथ्य
सिंधु घाटी सभ्यता: 3300-1300 ईसा पूर्व, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो
ऋग्वेद: 1500-1000 ईसा पूर्व, 1028 सूक्त
मौर्य साम्राज्य: 322-185 ईसा पूर्व, चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक
गुप्त साम्राज्य: 320-550 ईस्वी, भारत का स्वर्ण युग
आर्यभट्ट: गणितज्ञ और खगोलशास्त्री, आर्यभटीय