राजस्थान की मिट्टियाँ: एक परिचय
राजस्थान की मिट्टियाँ विविध प्रकार की हैं जो राज्य की भौगोलिक, जलवायवीय और भूगर्भिक विविधता को दर्शाती हैं। राज्य के विशाल क्षेत्रफल और विभिन्न भौगोलिक दशाओं के कारण यहाँ कई प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं। अरावली पर्वतमाला राज्य की मिट्टियों को दो भागों में विभाजित करती है - पश्चिमी राजस्थान की रेतीली मिट्टी और पूर्वी राजस्थान की उपजाऊ मिट्टी।
महत्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान की कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 60% भाग मरुस्थलीय मिट्टी से ढका है
राजस्थान में सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी: काली मिट्टी (कपास मिट्टी)
राजस्थान में सबसे कम उपजाऊ मिट्टी: बलुई मिट्टी
मिट्टियों के प्रकार और वितरण
राजस्थान की मिट्टियों को मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
बलुई मिट्टी थार मरुस्थल के अधिकांश भाग में पाई जाती है। इस मिट्टी में रेत की मात्रा 80-90% तक होती है और मिट्टी के कण मोटे होते हैं। इस मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता बहुत कम होती है और कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है।
- वितरण: जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चुरू, जोधपुर, नागौर
- फसलें: बाजरा, ग्वार, मूंग, मोठ
- विशेषताएं: नाइट्रोजन की कमी, जल धारण क्षमता कम, वायु अपरदन की संभावना
लाल-पीली मिट्टी अरावली के पूर्वी भाग में पाई जाती है। इस मिट्टी का रंग लौह ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण लाल या पीला होता है। यह मिट्टी बलुई मिट्टी से अधिक उपजाऊ होती है और इसमें जल धारण करने की क्षमता अधिक होती है।
- वितरण: झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा
- फसलें: गेहूं, चना, सोयाबीन, मक्का
- विशेषताएं: लौह तत्वों की अधिकता, मध्यम उपजाऊ, नमी धारण करने की क्षमता
काली मिट्टी को 'रेगुर मिट्टी' या 'कपास मिट्टी' के नाम से भी जाना जाता है। इस मिट्टी में चिकनी मिट्टी की मात्रा अधिक होती है और यह सूखने पर दरारें बना लेती है। यह मिट्टी कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाश से भरपूर होती है लेकिन नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी होती है।
- वितरण: कोटा, बूंदी, झालावाड़, भीलवाड़ा
- फसलें: कपास, गन्ना, गेहूं, सोयाबीन
- विशेषताएं: सूखने पर दरारें पड़ना, चिकनी बनावट, उच्च जल धारण क्षमता
लैटेराइट मिट्टी दक्षिणी राजस्थान के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। इस मिट्टी का निर्माण अधिक वर्षा और उच्च तापमान के कारण होता है। यह मिट्टी लौह ऑक्साइड और एल्युमिनियम से भरपूर होती है लेकिन नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की कमी होती है।
- वितरण: बाँसवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर
- फसलें: धान, मक्का, गन्ना, कपास
- विशेषताएं: लौह ऑक्साइड की अधिकता, अम्लीय प्रकृति, कम उपजाऊ
मिश्रित मिट्टी या जलोढ़ मिट्टी नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी है जो उत्तरी और पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है। यह मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है और इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह मिट्टी रेत, सिल्ट और चिकनी मिट्टी का मिश्रण होती है।
- वितरण: गंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर, भरतपुर, धौलपुर
- फसलें: गेहूं, गन्ना, कपास, चावल, दलहन
- विशेषताएं: अधिक उपजाऊ, जल धारण क्षमता अच्छी, पोषक तत्वों से भरपूर
मिट्टियों की तुलनात्मक विशेषताएं
मिट्टी का प्रकार | वितरण | फसलें | उपजाऊपन | विशेषताएं |
---|---|---|---|---|
बलुई मिट्टी | जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर | बाजरा, ग्वार, मूंग | कम | नाइट्रोजन की कमी, जल धारण क्षमता कम |
लाल-पीली मिट्टी | झालावाड़, कोटा, बूंदी | गेहूं, चना, सोयाबीन | मध्यम | लौह तत्वों की अधिकता, मध्यम उपजाऊ |
काली मिट्टी | कोटा, बूंदी, झालावाड़ | कपास, गन्ना, गेहूं | अधिक | सूखने पर दरारें पड़ना, उच्च जल धारण क्षमता |
लैटेराइट मिट्टी | बाँसवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ | धान, मक्का, गन्ना | कम | लौह ऑक्साइड की अधिकता, अम्लीय प्रकृति |
मिश्रित मिट्टी | गंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर | गेहूं, गन्ना, कपास | अधिक | अधिक उपजाऊ, पोषक तत्वों से भरपूर |
महत्वपूर्ण बिंदु: परीक्षा दृष्टि से
राजस्थान की मिट्टियों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं:
- राजस्थान में सबसे अधिक क्षेत्र में पाई जाने वाली मिट्टी: बलुई मिट्टी
- राजस्थान की सबसे उपजाऊ मिट्टी: काली मिट्टी (कपास मिट्टी)
- राजस्थान में सर्वाधिक लवणीय मिट्टी: गंगानगर और हनुमानगढ़ जिले
- लैटेराइट मिट्टी में लौह ऑक्साइड की अधिकता पाई जाती है
- बलुई मिट्टी में नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है
- काली मिट्टी सूखने पर दरारें बना लेती है
- राजस्थान में मिट्टी अपरदन की सबसे अधिक समस्या: वायु अपरदन
- राजस्थान में मिट्टी संरक्षण हेतु प्रमुख परियोजना: राजस्थान वाटरशेड विकास परियोजना
राजस्थान की मिट्टियाँ: अभ्यास प्रश्न
राजस्थान की मिट्टियों से संबंधित 30 महत्वपूर्ण प्रश्न:
आपका स्कोर: 0/30
अधिक अभ्यास की आवश्यकता है। कृपया पाठ्य सामग्री को पुनः पढ़ें।