राजस्थान जल संसाधन: एक परिचय

राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद जल संसाधनों की दृष्टि से सबसे कम समृद्ध राज्य है। राज्य का अधिकांश भाग शुष्क और अर्द्ध-शुष्क जलवायु क्षेत्र में आता है, जहाँ वर्षा की मात्रा बहुत कम और अनिश्चित है। राजस्थान में जल संसाधनों का वितरण असमान है - पश्चिमी राजस्थान में जल की भारी कमी है, जबकि दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में अपेक्षाकृत अधिक जल संसाधन उपलब्ध हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

राजस्थान में औसत वार्षिक वर्षा: 50-100 सेमी (राष्ट्रीय औसत 119 सेमी)

सर्वाधिक वर्षा वाला जिला: झालावाड़ (लगभग 80-100 सेमी)

न्यूनतम वर्षा वाला जिला: जैसलमेर (लगभग 10-20 सेमी)

राजस्थान की कुल सिंचित भूमि: लगभग 76 लाख हेक्टेयर

भूजल स्तर में सबसे अधिक गिरावट: जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर

राजस्थान की प्रमुख नदियाँ

राजस्थान की नदियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ

ये नदियाँ अरावली के पूर्वी भाग से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इनमें चंबल, बनास, काली सिंध, पार्वती, गंभीरी और मोरेल नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ यमुना नदी की सहायक नदियाँ हैं और राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण नदियाँ हैं।

  • चंबल: राजस्थान की सबसे लंबी नदी (राज्य में 376 किमी), यमुना की सहायक नदी
  • बनास: राजस्थान में पूर्णत: बहने वाली एकमात्र नदी, चंबल की सहायक नदी
  • काली सिंध: मध्य प्रदेश से निकलकर कोटा में चंबल में मिलती है
  • पार्वती: मध्य प्रदेश से निकलकर सवाई माधोपुर में चंबल में मिलती है
अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ

ये नदियाँ अरावली के दक्षिणी भाग से निकलकर अरब सागर में गिरती हैं। इनमें माही, सोम, जाखम और साबरमती नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ खंभात की खाड़ी में गिरती हैं और राजस्थान की एकमात्र दक्षिणवाहिनी नदियाँ हैं।

  • माही: राजस्थान की एकमात्र दक्षिणवाहिनी नदी, कर्क रेखा को दो बार काटती है
  • सोम: उदयपुर से निकलकर माही में मिलती है
  • जाखम: प्रतापगढ़ से निकलकर माही में मिलती है
  • साबरमती: उदयपुर से निकलकर गुजरात में प्रवेश करती है
आंतरिक प्रवाह वाली नदियाँ

ये नदियाँ समुद्र तक नहीं पहुँच पातीं और रास्ते में ही सूख जाती हैं या झीलों में विलीन हो जाती हैं। इनमें लूनी, घग्घर, कांतली, साबी और मेन्था नदियाँ शामिल हैं। ये नदियाँ राजस्थान के शुष्क पश्चिमी भाग में बहती हैं।

  • लूनी: राजस्थान की सबसे लंबी आंतरिक प्रवाह वाली नदी, बालोतरा के बाद खारी हो जाती है
  • घग्घर: प्राचीन सरस्वती नदी, हनुमानगढ़ में लुप्त हो जाती है
  • कांतली: सीकर से निकलकर हनुमानगढ़ में लुप्त हो जाती है
  • साबी: जयपुर से निकलकर हरियाणा में लुप्त हो जाती है

राजस्थान के प्रमुख बाँध और सिंचाई परियोजनाएँ

राजस्थान में जल संग्रहण और सिंचाई के लिए कई बाँध और परियोजनाएँ निर्मित की गई हैं:

बाँध/परियोजना नदी स्थान लाभान्वित क्षेत्र महत्व
इंदिरा गांधी नहर परियोजना सतलज हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर 15.62 लाख हेक्टेयर विश्व की सबसे लंबी नहर, थार मरुस्थल को हरा-भरा किया
भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज गंगानगर, हनुमानगढ़ 4.5 लाख हेक्टेयर राजस्थान को 15.22% जल आवंटन, विद्युत उत्पादन
चंबल परियोजना चंबल कोटा, सवाई माधोपुर 5.6 लाख हेक्टेयर गाँधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर बाँध
माही बजाज सागर परियोजना माही बाँसवाड़ा 1.2 लाख हेक्टेयर दक्षिणी राजस्थान की जीवन रेखा
बीसलपुर परियोजना बनास टोंक 2.5 लाख हेक्टेयर टोंक, जयपुर, अजमेर, दौसा को पेयजल

राजस्थान की प्रमुख झीलें

राजस्थान अपनी ऐतिहासिक और प्राकृतिक झीलों के लिए प्रसिद्ध है:

मीठे पानी की झीलें

  • जयसमंद झील (उदयपुर): एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील
  • राजसमंद झील (राजसमंद): महाराणा राज सिंह द्वारा निर्मित
  • पिछोला झील (उदयपुर): उदयपुर की सबसे प्रसिद्ध झील
  • फतेहसागर झील (उदयपुर): महाराणा फतेह सिंह द्वारा निर्मित
  • आनासागर झील (अजमेर): पृथ्वीराज चौहान के दादा आनाजी द्वारा निर्मित

खारे पानी की झीलें

  • सांभर झील (जयपुर): भारत की सबसे बड़ी inland नमक उत्पादक झील
  • पचपदरा झील (बाड़मेर): नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध
  • लूनकरनसर झील (बीकानेर): नमक उत्पादन हेतु प्रयुक्त
  • डीडवाना झील (नागौर): नमक उत्पादन के लिए जानी जाती है
  • फलौदी झील (जोधपुर): खारे पानी की झील

जल संकट और संरक्षण के उपाय

राजस्थान में जल संकट एक गंभीर समस्या है, लेकिन राज्य सरकार और स्थानीय समुदायों द्वारा कई संरक्षण उपाय किए जा रहे हैं:

जल संकट के कारण

  • अनियमित और कम वर्षा
  • भूजल का अत्यधिक दोहन
  • जल संरचनाओं का क्षरण
  • बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण
  • सिंचाई की पारंपरिक विधियाँ
  • जल प्रदूषण

जल संरक्षण के उपाय

  • वर्षा जल संग्रहण
  • पारंपरिक जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार
  • ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा
  • जलाशयों और तालाबों का निर्माण
  • नदी जोड़ो परियोजना
  • जागरूकता और शिक्षा कार्यक्रम

राजस्थान की पारंपरिक जल संरक्षण विधियाँ

  • टांका: भूमिगत जल संग्रहण टैंक
  • जोहड़: छोटे तालाब या जलाशय
  • नाडी: गाँव के पास का तालाब
  • कुंड: पीने के पानी का भूमिगत संग्रहण
  • बावड़ी: सीढ़ीदार कुँए
  • खड़ीन: मरुस्थलीय क्षेत्र में जल संग्रहण प्रणाली

महत्वपूर्ण बिंदु: परीक्षा दृष्टि से

राजस्थान के जल संसाधनों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं:

परीक्षा उपयोगी तथ्य

  • राजस्थान की सबसे लंबी नदी: चंबल (राज्य में 376 किमी)
  • राजस्थान में पूर्णत: बहने वाली नदी: बनास
  • राजस्थान की एकमात्र दक्षिणवाहिनी नदी: माही
  • सबसे लंबी आंतरिक प्रवाह वाली नदी: लूनी
  • एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील: जयसमंद झील
  • भारत की सबसे बड़ी inland नमक झील: सांभर झील
  • विश्व की सबसे लंबी नहर: इंदिरा गांधी नहर
  • राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध: माही बजाज सागर बाँध
  • राजस्थान की जीवन रेखा: इंदिरा गांधी नहर
  • थार का गंगा: इंदिरा गांधी नहर

राजस्थान जल संसाधन: अभ्यास प्रश्न

राजस्थान के जल संसाधनों से संबंधित 30 महत्वपूर्ण प्रश्न:

1. राजस्थान की सबसे लंबी नदी कौनसी है?
A. चंबल
B. बनास
C. लूनी
D. माही
2. एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील कौनसी है?
A. जयसमंद झील
B. पिछोला झील
C. सांभर झील
D. राजसमंद झील
3. इंदिरा गांधी नहर किस नदी से निकाली गई है?
A. सतलज
B. चंबल
C. यमुना
D. रावी

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