Rajasthan Drainage System

राजस्थान की अपवाह प्रणाली: एक परिचय

राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, अपनी विविध भौगोलिक और जलवायविक परिस्थितियों के लिए जाना जाता है। राज्य की अपवाह प्रणाली और झीलें इसकी प्राकृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। राजस्थान की गणना भारत के शुष्क प्रदेशों में की जाती है, अतः यहाँ नदियों और झीलों का विशेष महत्त्व है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • राजस्थान में आन्तरिक प्रवाह प्रणाली पाई जाती है
  • अरावली पर्वतमाला जल प्रवाह को दो भागों में विभाजित करती है
  • पश्चिमी राजस्थान में नदियाँ रेगिस्तान में विलुप्त हो जाती हैं
  • चम्बल नदी एकमात्र वर्षभर प्रवाहित होने वाली नदी है

राजस्थान की नदियों का वर्गीकरण

राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, अपने रेगिस्तानी भू-भाग और पानी की कमी के लिए जाना जाता है। इस राज्य में नदियाँ सीमित और अस्थायी होती हैं। फिर भी, राजस्थान की नदियाँ राज्य के कृषि, जलाशयों और जीवन-यापन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ की नदियों को उनके जल प्रवाह और नदी घाटियों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। राजस्थान की नदियों को उनके गंतव्य के आधार पर तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है:

वर्ग विशेषताएँ प्रमुख नदियाँ
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ ये नदियाँ गंगा नदी प्रणाली के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती हैं चम्बल, बनास, बाणगंगा
अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ ये नदियाँ पश्चिम की ओर प्रवाहित होकर अरब सागर में गिरती हैं लूनी, माही, साबरमती
अन्तःप्रवाहित नदियाँ ये नदियाँ सागर तक न पहुँचकर रेगिस्तान या भूमि में विलुप्त हो जाती हैं घग्घर, कातली, साबी

राजस्थान की नदियाँ राज्य के जल संसाधन और कृषि विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनका वर्गीकरण स्थायी और अस्थायी नदियों में किया जाता है। स्थायी नदियाँ पूरे वर्ष पानी बहाती हैं जबकि अस्थायी नदियाँ मुख्य रूप से मानसून में प्रवाहित होती हैं। इसके अलावा, नदियों का भौगोलिक वर्गीकरण भी महत्वपूर्ण है, जो राज्य के जल वितरण और सिंचाई योजनाओं को समझने में मदद करता है।

प्रमुख नदी प्रणालियाँ

1. चम्बल नदी

चम्बल नदी राजस्थान की एकमात्र ऐसी नदी है जो वर्ष भर जल से युक्त रहती है। यह नदी मध्य भारत के गंगाजी बेसिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और राजस्थान के दक्षिणी भाग से होकर बहती है। चम्बल नदी का पानी मुख्य रूप से कृषि, पीने के पानी और जल विद्युत उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।

पैरामीटर विवरण
उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में महू के निकट जनापाव पहाड़ी (विंध्याचल पर्वतमाला)
राजस्थान में प्रवेश चौरासीगढ़ किले (झालावाड़) के निकट
प्रमुख विशेषताएँ चूलिया प्रपात, बीहड़ भूमि, संकरी घाटी
परियोजनाएँ गाँधी सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध, राणा प्रताप सागर, कोटा बैराज
सहायक नदियाँ बनास, काली सिंध, पार्वती, बेड़च

चम्‍बल नदी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • यह नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होकर बहकर गंगा नदी में मिलती है।
  • चम्बल नदी के किनारे कई जलाशय और बाँध बने हैं, जैसे गोहद बाँध और चम्बल बाँध, जो सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए उपयोगी हैं।
  • नदी का गहरा और साफ पानी इसे जीव विविधता के लिए उपयुक्त बनाता है। यहाँ पर गंगीय डॉल्फिन और कछुए पाए जाते हैं।

2. बनास नदी

बनास नदी, जिसे 'वन की आशा' के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की एकमात्र नदी है जिसका संपूर्ण मार्ग राज्य के भीतर ही है। यह नदी राजस्थान के मध्यम और उत्तरी हिस्सों से होकर बहती है और मुख्य रूप से कृषि सिंचाई और जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

बनास नदी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • उद्गम: राजसमंद जिले में अरावली की खमनोर पहाड़ियों (कुम्भलगढ़ के निकट)
  • प्रवाह मार्ग: राजसमंद → चित्तौड़गढ़ → भीलवाड़ा → सवाई माधोपुर
  • लम्बाई: लगभग 480 किमी
  • सहायक नदियाँ: बेड़च, कोठारी, खारी, मोरेल
  • बनास नदी बनास घाटी से निकलती है और सागर नदी में मिलती है।
  • नदी के किनारे कई छोटे-बड़े बाँध और जलाशय बने हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पीने और सिंचाई के पानी का मुख्य स्रोत हैं।
  • यह नदी राजस्थान की स्थायी नदियों में शामिल है, लेकिन वर्षा पर निर्भरता के कारण कभी-कभी प्रवाह में कमी आ सकती है।
  • बनास नदी का नाम संस्कृत शब्द 'वनास' (वन की आशा) से आया है, जो इसके आसपास के हरे-भरे क्षेत्र और जीवनदायिनी जल स्रोत का प्रतीक है।
  • विशेषता: ग्रीष्मकाल में सूख जाती है

3. लूनी नदी

लूनी नदी, पश्चिमी राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण नदी है, जो मरुस्थलीय प्रदेश से प्रवाहित होती है। यह नदी राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी जल स्रोत के रूप में जानी जाती है।

पैरामीटर विवरण
उद्गम स्थल अजमेर का नाग पहाड़
प्रवाह मार्ग अजमेर → जोधपुर → पाली → बाड़मेर → जालौर → कच्छ का रन
लम्बाई लगभग 320 किमी
विशेषता बालोतरा तक मीठा पानी, उसके बाद खारा पानी
सहायक नदियाँ लीलड़ी, मीठड़ी, जवाई, सागी, सुखड़ी

लूनी नदी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • लूनी नदी अस्थायी (मानसूनी) नदी है, जो मुख्य रूप से बारिश के मौसम में प्रवाहित होती है।
  • यह नदी राजस्थान के शुष्क और रेगिस्तानी क्षेत्रों में बहती है और पानी का स्तर बारिश पर निर्भर करता है।
  • लूनी नदी का पानी कृषि, जलाशय और स्थानीय समुदायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • नदी के किनारे कई तालाब और जल संरक्षण संरचनाएँ बनाई गई हैं ताकि वर्षा के पानी का सदुपयोग किया जा सके।

राजस्थान की प्रमुख नदी प्रणालियाँ

राजस्थान, एक शुष्क और रेगिस्तानी राज्य होने के बावजूद, यहाँ कई महत्वपूर्ण नदी प्रणालियाँ हैं, जो राज्य के जल आपूर्ति और कृषि के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राजस्थान की नदियाँ प्रायः अस्थायी होती हैं और मानसून के मौसम में उनका जल प्रवाह अधिक रहता है। इन नदियों को विभिन्न नदी प्रणालियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो राज्य की जलवायु और भू-आकृति के अनुरूप हैं।

क्रम संख्या नदी प्रणाली जल ग्रहण क्षेत्र (वर्ग कि.मी. में) कुल जल ग्रहण क्षेत्र का प्रतिशत
1. बनास 46,570 27.48
2. लूनी 34,250 20.21
3. चम्बल 29,110 17.18
4. माही 16,030 9.46
5. बाणगंगा एवं गम्भीरी 14,360 8.47
6. मेघा, रूपनगढ़ 6,940 4.10
7. साबी एवं सोटा 4,480 2.64
8. बर 4,520 2.67
9. साबरमती (वाकल) 4,300 2.53
10. बनास (पश्चिम) 3,000 1.77
11. कातली 2,570 1.52
12. सुकल 1,940 1.14
13. दोहन 1,400 0.83
योग - 1,69,470 100.00
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राजस्थान की झीलें

राजस्थान, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है, यहाँ की झीलों को भी अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। राज्य की अधिकांश झीलें जलीय जीवन, पर्यटन, और जल प्रबंधन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। यहाँ की झीलें न केवल पर्यटन आकर्षण का केन्द्र हैं, बल्कि सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राजस्थान में खारे और मीठे पानी की झीलें हैं। खारे पानी की झीलें जहाँ नमक का स्रोत हैं, वहीं मीठे पानी की झीलों से पेयजल प्राप्त होता है और सिंचाई होती है।

खारे पानी की झीलें

राजस्थान, जो मुख्य रूप से एक रेगिस्तानी राज्य है, यहाँ की खारे पानी की झीलें जलवायु, जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन झीलों का खारा पानी न केवल राज्य के जलवायु को प्रभावित करता है, बल्कि इनका पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व भी है। इन झीलों में पाई जाने वाली विशिष्ट प्रजातियाँ, जलीय जीवन और पक्षी प्रवास को लेकर यह झीलें खास हैं।

सांभर झील

सांभर झील (Sambhar Lake), राजस्थान की सबसे बड़ी खारी झील और भारत की प्रमुख खारी झीलों में से एक है। यह झील जयपुर और अलवर जिलों के बीच स्थित है और राज्य के रेगिस्तानी क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है। सांभर झील का नाम "सांभर" शब्द से आया है, जो हिंदी में "हिरण" के लिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यहां पर historically हिरणों का ठिकाना हुआ करता था।

सांभर झील का महत्व:

  • खारी जल: सांभर झील का पानी अत्यधिक खारा होता है, जो इसे अन्य झीलों से अलग करता है। इसका पानी मुख्य रूप से नमक (Salt) के खजाने के रूप में प्रसिद्ध है। इस झील से राजस्थान का सबसे बड़ा नमक उत्पाद मिलता है, जो देशभर में वितरित किया जाता है।
  • जलवायु और पारिस्थितिकी: यह झील पक्षियों के लिए एक प्रमुख प्रवासी स्थल है। यहां पर विशेष रूप से पक्षियों का मौसम होता है, जिसमें कई प्रजातियाँ ठहरती हैं, जैसे सारस, बगुले, और फ्लेमिंगो।
  • पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व: सांभर झील न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस झील के पास हिंदू मंदिर और किले स्थित हैं, जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

सांभर झील के प्रमुख तथ्य:

  • स्थान: यह झील जयपुर और अलवर जिलों के बीच स्थित है, लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर जयपुर से।
  • क्षेत्रफल: सांभर झील का क्षेत्रफल 230 वर्ग किलोमीटर से अधिक है, जो इसे भारत की सबसे बड़ी खारी झील बनाता है।
  • पानी का स्रोत: यह झील मुख्य रूप से बारिश और नदी जल से भरती है, हालांकि यह वर्ष भर जल से भरी रहती है।
  • नमक उत्पादन: यहां नमक की खदानें हैं, जो इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान करती हैं।
  • पक्षी संरक्षण: सांभर झील विभिन्न प्रवासी पक्षियों के लिए आदर्श स्थान है। इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है।
  • आधिकारिक नाम: सांभर झील का नाम पहले "सांभर साल्ट लेक" था, और यह पूरे राज्य में नमक उत्पादन के मुख्य स्रोत के रूप में प्रसिद्ध है।

डीडवाना झील

डीडवाना झील: राजस्थान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर डीडवाना झील, राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जलाशय है, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए जाना जाता है। यह झील, जो एक खारी जलाशय है, मुख्य रूप से नमक उत्पादन और पारिस्थितिकीय विविधता के लिए प्रसिद्ध है। डीडवाना क्षेत्र राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके में स्थित है, और यहाँ की झील प्राकृतिक रूप से एक महत्वपूर्ण जल स्रोत के रूप में कार्य करती है।

डीडवाना झील का महत्व:

  • खारी जल: डीडवाना झील का पानी खारा होता है, जो इसे अन्य झीलों से अलग करता है। यह झील नमक उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है और आसपास के गांवों के लिए एक प्रमुख आर्थिक स्रोत है।
  • पारिस्थितिकीय महत्व: डीडवाना झील का जलवायु और पारिस्थितिकी में एक विशेष स्थान है, जहां पक्षी और जलीय जीवन के लिए आदर्श वातावरण होता है।
  • जल संरक्षण और सिंचाई: इस झील से आसपास के क्षेत्रों को सिंचाई के लिए जल मिलता है, जिससे यहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि गतिविधियाँ बनी रहती हैं।

डीडवाना झील के प्रमुख तथ्य:

  • स्थान: डीडवाना झील नागौर जिले के डीडवाना कस्बे में स्थित है, जो राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में स्थित है।
  • क्षेत्रफल: डीडवाना झील का क्षेत्रफल सीमित है, लेकिन यह क्षेत्रीय जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
  • नमक उत्पादन: डीडवाना झील का खारा पानी इस क्षेत्र में नमक उत्पादन का मुख्य स्रोत है। झील के किनारे स्थित नमक की खदानें राजस्थान के नमक उद्योग में योगदान करती हैं।
  • पक्षी प्रवास: डीडवाना झील में कई प्रकार के प्रवासी पक्षी आते हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए एक आकर्षण स्थल बनाता है।

पचपद्रा झील

पचपद्रा झील राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण खारी जलाशय है। यह झील अपनी धार्मिक महत्ता, ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के कारण प्रसिद्ध है। पचपद्रा झील का क्षेत्र स्थानीय लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल के रूप में पूजनीय है और इसके आस-पास के गांवों में यह जलाशय एक प्रमुख सिंचाई स्रोत भी है।

पचपद्रा झील का महत्व:

  • धार्मिक महत्व: पचपद्रा झील का नाम "पचपद्रा" (पाँच पद्धारों से सम्बंधित) इस क्षेत्र में हिंदू धर्म से जुड़ी कई कथाओं और आस्थाओं को दर्शाता है। यहाँ स्थित पचपदरी मंदिर और शिव मंदिर धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
  • खारी जल: पचपद्रा झील का पानी खारा होता है, जो इस क्षेत्र की विशेषता है। इसका खारा पानी न केवल नमक उत्पादन के लिए उपयोगी है, बल्कि यह आसपास के क्षेत्र की पारिस्थितिकी और कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  • सिंचाई और जल संरक्षण: पचपद्रा झील स्थानीय किसानों के लिए एक प्रमुख जल स्रोत है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से मरुस्थलीय है, और यहाँ के किसानों के लिए इस झील से जल प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण सिंचाई संसाधन है।

पचपद्रा झील के प्रमुख तथ्य:

  • स्थान: पचपद्रा झील बाड़मेर जिले में स्थित है, जो राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में पाकिस्तान की सीमा के नजदीक है।
  • खारी पानी: झील का पानी खारा होता है, और यहाँ के आसपास नमक का उत्पादन होता है। खारे पानी की झीलों का राजस्थान की पारिस्थितिकी में खास स्थान है।
  • धार्मिक स्थल: पचपद्रा झील के पास स्थित पचपदरी मंदिर और शिव मंदिर इस झील को धार्मिक दृष्टि से महत्व प्रदान करते हैं।
  • जलवायु: पचपद्रा झील एक रेगिस्तानी इलाके में स्थित है, जहाँ की जलवायु बहुत गर्म और शुष्क होती है। फिर भी यह झील एक स्थिर जल स्रोत प्रदान करती है, जो आसपास के क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी है।

मीठे पानी की झीलें

राजस्थान, जो मुख्य रूप से एक रेगिस्तानी राज्य के रूप में जाना जाता है, यहाँ की मीठे पानी की झीलें एक अनमोल जल स्रोत की तरह हैं। ये झीलें न केवल राज्य की पानी की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय पारिस्थितिकी को बनाए रखने में भी मदद करती हैं। राजस्थान की मीठे पानी की झीलें जैसे उदय सागर, पचमढ़ी झील, अनासागर और नगौर की झील यहां के समाज और कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जिला झीलों के नाम
उदयपुर पिछोला, फतेह सागर, उदय सागर, स्वरूप सागर, जयसमंद
अजमेर आना सागर, फाई सागर, पुष्कर, नारायण सागर बाँध
जोधपुर बालसमन्द, कायलाना, उम्मेद सागर, तख्त सागर
भरतपुर मोती झील
बीकानेर गजनेर, कोलायत, अनूप सागर
अलवर सिलीसेढ़, विजयसागर, मंगलसर

उदयपुर की झीलें

उदयपुर जिला, राजस्थान

उदयपुर को 'झीलों का शहर' कहा जाता है। यहाँ की प्रमुख झीलें हैं:

1. पिछोला झील (Pichola Lake)

पिछोला झील उदयपुर की सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन झील है जो 14वीं शताब्दी में एक व्यापारी द्वारा बनवाई गई थी।

स्थापना
1362 ईस्वी में व्यापारी पिछ्छू बनजारा द्वारा
क्षेत्रफल
लगभग 4 वर्ग किलोमीटर
गहराई
अधिकतम 8.5 मीटर
महत्वपूर्ण तथ्य:
  • झील में जग मंदिर और जग निवास द्वीप स्थित हैं
  • मेवाड़ के महाराणाओं द्वारा विस्तारित की गई
  • पर्यटन और नौका विहार का प्रमुख केंद्र
  • झील के किनारे सिटी पैलेस स्थित है

2. फतेह सागर झील (Fateh Sagar Lake)

फतेह सागर झील एक मानव निर्मित झील है जो उदयपुर शहर के उत्तर में स्थित है।

निर्माण
1678 ईस्वी में महाराणा फतेह सिंह द्वारा
क्षेत्रफल
लगभग 4 वर्ग किलोमीटर
विशेषता
तीन द्वीप - नेहरू पार्क, सोलर संयंत्र, जल वेधशाला

3. उदय सागर झील (Udai Sagar Lake)

उदय सागर झील राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित है और यह सहरी जलाशय के रूप में प्रसिद्ध है।

निर्माण
1559-1565 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह द्वारा
जल स्रोत
बेड़च नदी
उपयोग
सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, पर्यटन
महत्वपूर्ण तथ्य:
  • यह झील उदयपुर के आसपास की जलवायु को नियंत्रित करती है
  • झील के पास स्थित उदय सागर महल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है
  • यह झील यहाँ की हरियाली बनाए रखने में मदद करती है
  • वर्षा और नदी जल से भरने वाली प्राकृतिक झील

4. जयसमंद झील (Jaisamand Lake)

जयसमंद झील एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है जिसे 'ढेबर झील' के नाम से भी जाना जाता है।

निर्माण
1685-1691 ईस्वी में महाराणा जय सिंह द्वारा
क्षेत्रफल
36 वर्ग किलोमीटर
विशेषता
7 द्वीप, जिनमें बब्बर शाह का मकबरा

अजमेर की झीलें

अजमेर जिला, राजस्थान

1. अनासागर झील (Ana Sagar Lake)

अनासागर झील अजमेर शहर में स्थित एक प्राकृतिक जलाशय है, जो कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

निर्माण
1135-1150 ईस्वी में परमार राजा अनाजी चौहान द्वारा
क्षेत्रफल
13 किमी परिधि
उपयोग
पानी की आपूर्ति और सिंचाई
महत्वपूर्ण तथ्य:
  • इस झील का निर्माण परमार राजा अनाजी चौहान ने करवाया था
  • यह झील राजस्थान के ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है
  • आसपास के क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक समारोह होते हैं
  • झील के किनारे शाहजहाँ द्वारा बनवाए गए बारहदरी स्मारक स्थित हैं

2. फॉय सागर झील (Foy Sagar Lake)

फॉय सागर झील एक कृत्रिम झील है जो अकाल राहत कार्य के रूप में बनाई गई थी।

निर्माण
1892 ईस्वी में अंग्रेज इंजीनियर मि. फॉय द्वारा
उद्देश्य
अकाल राहत कार्य
विशेषता
पूर्णतः मानव निर्मित झील

3. पुष्कर झील (Pushkar Lake)

पुष्कर झील राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है।

धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म में पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक
प्रसिद्धि
पुष्कर मेला और ब्रह्मा मंदिर
विशेषता
52 घाट और 500 से अधिक मंदिर

जोधपुर की झीलें

जोधपुर जिला, राजस्थान

1. कायलाना झील (Kaylana Lake)

कायलाना झील जोधपुर शहर से 8 किमी दूर स्थित एक कृत्रिम झील है।

निर्माण
1872 ईस्वी में प्रताप सिंह द्वारा
क्षेत्रफल
लगभग 4 वर्ग किलोमीटर
जल स्रोत
हथनी नदी और नहरें
महत्वपूर्ण तथ्य:
  • यह झील पक्षी प्रेमियों और पिकनिक के शौकीनों के लिए आकर्षण का केंद्र है
  • झील के आसपास का क्षेत्र पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया गया है
  • सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है
  • पर्यटकों के लिए नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है

2. बालसमंद झील (Balsamand Lake)

बालसमंद झील जोधपुर शहर के निकट स्थित एक कृत्रिम झील है जो 1159 ईस्वी में बनाई गई थी।

निर्माण
1159 ईस्वी में
विशेषता
बालसमंद लेक पैलेस
उपयोग
पर्यटन और सिंचाई

3. उम्मेद सागर झील (Ummed Sagar Lake)

उम्मेद सागर झील जोधपुर में स्थित एक महत्वपूर्ण जलाशय है।

3. उम्मेद सागर झील (Ummed Sagar Lake)

उम्मेद सागर झील जोधपुर में स्थित एक महत्वपूर्ण जलाशय है।

महत्वपूर्ण बिंदु

राजस्थान में आन्तरिक प्रवाह प्रणाली पाई जाती है
चम्बल नदी वर्ष भर जल से युक्त रहती है
बनास नदी का सम्पूर्ण मार्ग राजस्थान में है
लूनी नदी का पानी बालोतरा के बाद खारा हो जाता है
सांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है
उदयपुर को 'झीलों का शहर' कहा जाता है

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

राजस्थान की सबसे लंबी नदी कौन सी है?
चम्बल नदी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है जिसकी कुल लंबाई 965 किमी है, जिसमें से 135 किमी राजस्थान में बहती है।
राजस्थान में कितनी नदियाँ वर्ष भर प्रवाहित होती हैं?
राजस्थान में केवल चम्बल नदी ही वर्ष भर प्रवाहित होने वाली नदी है। अन्य नदियाँ मौसमी हैं।
सांभर झील क्यों प्रसिद्ध है?
सांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है और यहाँ नमक का उत्पादन होता है। यह राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है।
उदयपुर को 'झीलों का शहर' क्यों कहा जाता है?
उदयपुर में पिछोला, फतेह सागर, उदय सागर, स्वरूप सागर और जयसमंद जैसी कई सुंदर झीलें हैं, इसलिए इसे 'झीलों का शहर' कहा जाता है।

प्रश्नोत्तरी

1. राजस्थान की एकमात्र वर्षभर प्रवाहित होने वाली नदी कौन सी है?
A) बनास
B) लूनी
C) चम्बल
D) माही

उत्तर: C) चम्बल

2. सांभर झील किस जिले में स्थित है?
A) जोधपुर
B) जयपुर
C) उदयपुर
D) बीकानेर

उत्तर: B) जयपुर

3. बनास नदी का उद्गम स्थल कहाँ है?
A) नाग पहाड़
B) खमनोर पहाड़ियाँ
C) जनापाव पहाड़ी
D) अरावली पर्वत

उत्तर: B) खमनोर पहाड़ियाँ

4. लूनी नदी का पानी कहाँ से खारा हो जाता है?
A) जोधपुर
B) बालोतरा
C) पाली
D) बाड़मेर

उत्तर: B) बालोतरा

5. 'झीलों का शहर' किसे कहा जाता है?
A) जयपुर
B) जोधपुर
C) उदयपुर
D) बीकानेर

उत्तर: C) उदयपुर