भारत की राजव्यवस्था: एक परिचय

भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसकी राजव्यवस्था संविधान द्वारा संचालित होती है। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है जिसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। भारत की राजव्यवस्था संघात्मक है लेकिन इसमें एकात्मक विशेषताएँ भी शामिल हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

संविधान अपनाने की तिथि: 26 नवंबर, 1949

संविधान लागू होने की तिथि: 26 जनवरी, 1950

संविधान के भाग: 22

अनुच्छेद: 395 (मूल)

संविधान संशोधन: 105 (2024 तक)

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

"हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"

भारतीय संविधान का ऐतिहासिक विकास

भारतीय संविधान का विकास ब्रिटिश शासन काल के दौरान बनाए गए विभिन्न अधिनियमों और संवैधानिक दस्तावेजों पर आधारित है।

1773

रेग्युलेटिंग एक्ट

बंगाल में गवर्नर-जनरल की स्थापना, भारत में केंद्रीय प्रशासन की शुरुआत

1858

भारत सरकार अधिनियम

ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त, ब्रिटिश क्राउन का प्रत्यक्ष शासन शुरू

1909

मार्ले-मिंटो सुधार

पहली बार सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत

1919

मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार

द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत, केंद्र और प्रांतों में शक्तियों का बँटवारा

1935

भारत सरकार अधिनियम

संघीय ढाँचे की स्थापना, प्रांतीय स्वायत्तता, भारतीय संविधान का मुख्य आधार

1947

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम

भारत और पाकिस्तान का विभाजन, संविधान सभा की स्थापना

संविधान सभा

भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया, जिसकी स्थापना कैबिनेट मिशन योजना (1946) के तहत हुई थी।

संविधान सभा के महत्वपूर्ण तथ्य

सदस्यों की कुल संख्या: 389 (बाद में 299)
पहली बैठक: 9 दिसंबर, 1946
अध्यक्ष: डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा (पहले)
स्थायी अध्यक्ष: डॉ. राजेंद्र प्रसाद
महत्वपूर्ण समितियाँ
  • प्रारूप समिति - डॉ. बी.आर. अंबेडकर
  • झंडा समिति - जे.बी. कृपलानी
  • संघ शक्ति समिति - जवाहरलाल नेहरू
  • प्रांतीय संविधान समिति - सरदार पटेल

संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन में संविधान का निर्माण किया। कुल 11 सत्र हुए और 166 दिनों तक बैठकें चलीं। संविधान पर कुल खर्च लगभग 64 लाख रुपये आया।

प्रारूप समिति के सदस्य

प्रारूप समिति के 7 सदस्य थे:

  1. डॉ. बी.आर. अंबेडकर (अध्यक्ष)
  2. एन. गोपालस्वामी आयंगर
  3. अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर
  4. डॉ. के.एम. मुंशी
  5. सैयद मोहम्मद सादुल्ला
  6. एन. माधव राव
  7. टी.टी. कृष्णामाचारी

भारतीय संविधान के स्रोत

भारतीय संविधान विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों से प्रभावित है और इसमें कई देशों के संवैधानिक प्रावधान शामिल हैं।

स्रोत प्रावधान महत्व
ब्रिटिश संविधान संसदीय शासन प्रणाली, एकल नागरिकता, विधि का शासन सबसे अधिक प्रभाव
अमेरिकी संविधान मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता अधिकारों का संरक्षण
आयरलैंड का संविधान नीति निर्देशक तत्व, राष्ट्रपति का निर्वाचन राज्य के नीतिगत लक्ष्य
कनाडाई संविधान संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र-राज्य संबंध
जर्मनी का संविधान आपातकालीन उपबंध राष्ट्रीय सुरक्षा
दक्षिण अफ्रीका का संविधान संविधान संशोधन की प्रक्रिया संविधान में लचीलापन
फ्रांस का संविधान गणतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व प्रस्तावना के आदर्श

सरकार के अंग

भारत की सरकार तीन मुख्य अंगों में विभाजित है - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर आधारित है।

विधायिका

कानून निर्माण का कार्य

  • संसद (लोकसभा, राज्यसभा)
  • विधानसभाएँ
  • विधान परिषदें

कार्यपालिका

कानूनों को लागू करने का कार्य

  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
  • मंत्रिपरिषद
  • प्रशासनिक तंत्र

न्यायपालिका

न्याय करने का कार्य

  • सर्वोच्च न्यायालय
  • उच्च न्यायालय
  • अधीनस्थ न्यायालय

केंद्र सरकार

  • राष्ट्रपति - संवैधानिक प्रमुख
  • प्रधानमंत्री - वास्तविक कार्यपालिका प्रमुख
  • संसद - द्विसदनीय विधायिका
  • सर्वोच्च न्यायालय - शीर्ष न्यायिक संस्था

राज्य सरकार

  • राज्यपाल - संवैधानिक प्रमुख
  • मुख्यमंत्री - वास्तविक कार्यपालिका प्रमुख
  • विधानसभा - एकसदनीय/द्विसदनीय विधायिका
  • उच्च न्यायालय - राज्य स्तरीय न्यायिक संस्था

मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकार संविधान के भाग-III (अनुच्छेद 12-35) में वर्णित हैं। ये अधिकार नागरिकों की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करते हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।

समता का अधिकार

अनुच्छेद 14-18

कानून के समक्ष समानता

स्वतंत्रता का अधिकार

अनुच्छेद 19-22

विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

शोषण के विरुद्ध अधिकार

अनुच्छेद 23-24

बेगार और बाल श्रम का निषेध

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

अनुच्छेद 25-28

धर्मपालन की स्वतंत्रता

शिक्षा और संस्कृति का अधिकार

अनुच्छेद 29-30

अल्पसंख्यक अधिकार

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

अनुच्छेद 32

अधिकारों का संरक्षक

महत्वपूर्ण तथ्य

मौलिक अधिकार अमेरिकी संविधान से लिए गए हैं। अनुच्छेद 32 को डॉ. अंबेडकर ने "संविधान की आत्मा और हृदय" कहा है। ये अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त हैं (कुछ अपवादों को छोड़कर)। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं।

नीति निर्देशक तत्व

नीति निर्देशक तत्व संविधान के भाग-IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं। ये राज्य के लिए नीतिगत निर्देश हैं जो सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करते हैं।

मुख्य नीति निर्देशक तत्व

  • सामाजिक न्याय: राज्य लोगों के कल्याण की दिशा में कार्य करेगा (अनुच्छेद 38)
  • समान कार्य के लिए समान वेतन: पुरुषों और महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन (अनुच्छेद 39)
  • काम का अधिकार: सभी को काम का अधिकार प्रदान करना (अनुच्छेद 41)
  • मुफ्त कानूनी सहायता: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता (अनुच्छेद 39A)
  • पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार (अनुच्छेद 48A)
  • अंतर्राष्ट्रीय शांति: अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 51)
  • मौलिक अधिकार

    • न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय
    • नकारात्मक प्रकृति
    • व्यक्ति के लिए
    • तुरंत लागू
    • अमेरिका से लिए गए

    नीति निर्देशक तत्व

    • न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं
    • सकारात्मक प्रकृति
    • राज्य के लिए
    • धीरे-धीरे लागू
    • आयरलैंड से लिए गए

    मूल कर्तव्य

    मूल कर्तव्य संविधान के भाग-IVA (अनुच्छेद 51A) में वर्णित हैं। इन्हें 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर जोड़ा गया।

    मुख्य मूल कर्तव्य

    प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह:

    1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे
    2. स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को संजोए रखे और उनका पालन करे
    3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे
    4. देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे
    5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का विकास करे

    महत्वपूर्ण तथ्य

    मूल कर्तव्यों की कुल संख्या 11 है। इन्हें रूस (सोवियत संघ) के संविधान से लिया गया है। ये केवल नागरिकों पर लागू होते हैं, विदेशियों पर नहीं। ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन न्यायालय इनकी व्याख्या कर सकते हैं।

    संविधान संशोधन

    भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में वर्णित है। भारत का संविधान लचीला और कठोर दोनों प्रकार का है।

    संशोधन वर्ष मुख्य प्रावधान महत्व
    प्रथम संशोधन 1951 मौलिक अधिकारों पर reasonable restrictions जमींदारी उन्मूलन का समर्थन
    सातवाँ संशोधन 1956 राज्यों का पुनर्गठन भाषाई राज्यों का निर्माण
    42वाँ संशोधन 1976 मूल कर्तव्य जोड़े गए आपातकाल के दौरान किया गया
    44वाँ संशोधन 1978 आपातकालीन प्रावधानों में संशोधन नागरिक अधिकारों की सुरक्षा
    73वाँ संशोधन 1992 पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा स्थानीय स्वशासन को मजबूती
    86वाँ संशोधन 2002 शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया शिक्षा का अधिकार अधिनियम का आधार
    101वाँ संशोधन 2016 जीएसटी (GST) लागू किया गया एक राष्ट्र, एक कर की अवधारणा

    परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

    प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत की राजव्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:

  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान का परिचय पत्र कहा जाता है
  • भारत एक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) है
  • भारत में संसदीय शासन प्रणाली है जो ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है
  • भारत का संविधान 'उधार का बैग' (Bag of Borrowings) कहलाता है
  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन द्वारा 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' और 'राष्ट्र की एकता' शब्द जोड़े गए
  • भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, अर्थात राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है
  • भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है (ब्रिटिश मॉडल पर)
  • भारतीय संविधान की मूल प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हस्तलिखित है
  • संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई थी
  • भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है
  • ज्ञान परीक्षण

    1. भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
    26 नवंबर, 1949
    26 जनवरी, 1950
    15 अगस्त, 1947
    26 जनवरी, 1930
    2. संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष कौन थे?
    डॉ. बी.आर. अंबेडकर
    डॉ. राजेंद्र प्रसाद
    पंडित जवाहरलाल नेहरू
    सरदार वल्लभभाई पटेल
    3. मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कौन सा अनुच्छेद 'संविधान का हृदय और आत्मा' कहलाता है?
    अनुच्छेद 14
    अनुच्छेद 19
    अनुच्छेद 21
    अनुच्छेद 32